जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने रिश्वत मामले में निलंबित चल रहे आरपीएस आस मोहम्मद के निलंबन आदेश पर सक्षम प्राधिकारी को पुन: विचार करने को कहा है. अदालत ने इसके लिए आस मोहम्मद को दो सप्ताह में अपना विस्तृत अभ्यावेदन संबंधित अधिकारी के समक्ष पेश करने के निर्देश दिए हैं.
पढ़ेंः आवेदक RTO कार्यालय से अब ले सकेंगे ड्राइविंग लाइसेंस और आरसी...
न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश आस मोहम्मद की याचिका पर दिए. अदालत ने कहा है कि याचिकाकर्ता दिसंबर, 2020 में सेवानिवृत्त हो रहे हैं. ऐसे में उनके अभ्यावेदन को सेवानिवृत्ति से पहले ही तय किया जाए. याचिका में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार निलंबन के तीन माह बाद निलंबन आदेश का रिव्यू किया जाना चाहिए. इसके अलावा प्रकरण से जुडे़ सह आरोपी बत्तु खां को सेवा में वापस लिया जा चुका है. ऐसे में याचिकाकर्ता को भी पुन: सेवा में लेने के निर्देश दिए जाए.
पढ़ेंः राजस्थान : शिक्षा मंत्री को 10 करोड़ रुपये की मानहानि का नोटिस, डोटासरा ने दिया ये जवाब...
वहींं, राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ता को निलंबन आदेश पर विचार के लिए संबंधित अधिकारी के समक्ष जाना चाहिए. इस पर याचिकाकर्ता ने भी अपनी सहमति जताई. दोनों पक्षों की सहमति से एकलपीठ ने संबंधित प्राधिकारी के समक्ष अभ्यावेदन पेश करने के निर्देश देते हुए याचिका का निस्तारण कर दिया है.
गौरतलब है कि आपराधिक मामले में कुछ धाराएं हटाने के संबंध में राजवीर सिंह की शिकायत पर एसीबी ने झोटवाड़ा थाने के रीडर बत्तू खां और सुमंत को एक लाख रुपए के साथ ट्रैप किया था. वहीं, आस मोहम्मद ने पिछले साल 23 अगस्त को एसीबी में सरेंडर किया था.