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हाई कोर्ट के निर्णय से नाखुश हैं अभिभावक, फीस माफी को लेकर आगे भी लड़ाई लड़ने का किया ऐलान

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Published : Sep 7, 2020, 10:54 PM IST

फीस को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट का निर्णय पर अभिभावकों और निजी स्कूल संचालकों की मिलीजुली प्रतिक्रिया आई है. कुछ अभिभावक खुश नजर आए तो कुछ ने नाराजगी जताई है. अभिभावकों का कहना है कि इससे कुछ राहत तो मिली है, लेकिन वे फीस को लेकर आगे भी लड़ाई लड़ते रहेंगे.

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हाई कोर्ट के निर्णय से नाखुश हैं अभिभावक

जयपुर. फीस को लेकर हाई कोर्ट का निर्णय आने के बाद अभिभावकों ने राहत की सांस ली है, हालांकि इस निर्णय अभिभावक खुश नजर नहीं आए. इस निर्णय को लेकर अधिकतर अभिभावकों ने नाखुशी भी जताई है और कहा है कि वह फीस को लेकर आगे भी लड़ाई लड़ते रहेंगे. फीस को लेकर हाईकोर्ट ने निर्णय दिया है कि निजी स्कूल संचालक ट्यूशन फीस का 70 फीसदी फीस ले सकते हैं और यह फीस अभिभावक जनवरी तक तीन किस्तों में दे सकेंगे.

हाई कोर्ट के निर्णय से नाखुश हैं अभिभावक

अभिभावकों ने कहा कि हाई कोर्ट का निर्णय से अभिभावकों के हाथ पूरी तरह से काट दिए गए हैं और यह निर्णय पूरी तरह से निजी स्कूल संचालकों के पक्ष में है. पेरेंट्स वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष दिनेश कांवट ने कहा कि लॉकडाउन के कारण अभिभावकों की आर्थिक स्थिति खराब हो गई है और बच्चों की स्कूल फीस देने में पूरी तरह से असमर्थ हैं. अनलॉक होने के बाद अभी भी अभिभावकों के सामने कई चुनौतियां हैं. सरकार को भी कई बार गुहार लगाई, लेकिन सरकार भी इस मामले में आगे नहीं आई.

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कांवट ने कहा कि सरकार चाहती थी कि कोर्ट इसमें दखल दे, ताकि वह पक्षकार नहीं बने. यह निर्णय किसी भी तरह से अभिभावकों के हित में नहीं है. इस निर्णय से अभिभावकों के हाथ ही काट दिए गए हैं. हाईकोर्ट ने केवल 30 फीसदी फीस माफ की है, जबकि कई निजी स्कूल संचालकों ने 50 फीसदी तक फीस पहले ही माफ कर दी. अभिभावकों को राहत जरूर दी है, यह गलत फैसला है.

कांवट ने कहा कि हम लोग हाई कोर्ट के निर्णय की विवेचना करेंगे और फीस माफ करने को लेकर हमारी लड़ाई आगे भी जारी रहेगी. उन्होंने कहा कि ऑनलाइन क्लास के लिए शुल्क लेने को भी कहा गया है और यह बहुत बड़ी बात है. यदि कोई अभिभावक फीस नहीं दे पाएगा तो बच्चे का नाम स्कूल से नहीं काटा जाएगा. ज्यादा बेहतर होता कि ऑनलाइन क्लासेज हाईकोर्ट बंद कर देता, क्योंकि ऑनलाइन क्लासेस से बच्चों में कई तरह की विकृतियां आ रही हैं.

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वहीं संयुक्त अभिभावक समिति के महामंत्री एवं अभिभावक मनीष विजयवर्गीय ने कहा कि लॉकडाउन में अभिभावक मानसिक तनाव में रहा. हाई कोर्ट ने जो निर्णय दिया है, वह संतोषप्रद है. हाई कोर्ट सम्मानीय है, हम उसके निर्णय का स्वागत करते हैं. अभी हम हमारे अभियान में 2 कदम ही आगे बढ़े हैं. नो स्कूल नो फीस को लेकर हमारी मुहिम आगे भी जारी रहेगी. हमें उम्मीद है कि यह राहत आने वाले दिनों में और बढ़ेगी.

अभिभावक इशांत शर्मा ने कहा कि अभिभावक हाई कोर्ट के इस निर्णय से खुश नहीं हैं. लॉकडाउन में सभी अभिभावकों के काम धंधे चौपट हो गए. कई बेरोजगार हो गए. इसके बावजूद भी 30 प्रतिशत की राहत दी गई है. ईशान शर्मा ने कहा कि कई ब्रांडेड कंपनियां एक के साथ एक फ्री सामान दे रही है और हमने कोर्ट से इससे बढ़कर ही राहत की उम्मीद की थी. अब हम आगे और पुरजोर तरीके से अपनी मांग सरकार के सामने रखेंगे.

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अभिभावक एवं एडवोकेट अमित छंगाणी ने कहा कि हाई कोर्ट ने अपना निर्णय दे दिया है और यह भी कहा है कि अभिभावक अपना पक्ष रखने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र हैं.
स्कूल शिक्षा परिवार के अध्यक्ष अनिल शर्मा ने कहा कि हाईकोर्ट के फैसले को वे जीत के रूप में नहीं देखते हैं. पेरेंट्स भी हमारा ही परिवार का हिस्सा है और इस निर्णय से दोनों ही पक्षों को राहत मिली है. अभिभावकों को जहां 30 प्रतिशत फीस की राहत दी गई है. वहीं निजी स्कूलों को 70 फ़ीसदी फीस तीन किश्तों में लेने के लिए कहा गया है. जो निजी स्कूल संचालक टीचरों को वेतन नही नहीं दे पा रहे थे, उन्हें राहत मिलेगी.

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