जयपुर. कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए देश में किए गए 21 दिन के लॉकडाउन में हर वर्ग प्रभावित हो रहा है. इस बीच शहर की सबसे बड़ी गौशाला में गायों पर इसका कितना प्रभाव पड़ रहा है. ये जानने के लिए ईटीवी भारत हिंगोनिया गौशाला पहुंचा.
हर दिन लगता है 80 हजार किलो चारा
यहां बड़ी संख्या में सूखा और हरा चारा देखने को मिला. जिसे देख कर संतोष की अनुभूति हुई. लेकिन जब जानकारी मिली कि यहां 15 हजार से ज्यादा गौवंश है और करीब 80 हजार किलो चारा हर दिन उठता है, तो यहां की स्थिति भी स्पष्ट हो गई. सामने आया कि यहां अभी महज डेढ़ लाख किलो चारा बचा है या यूं कहे कि महज 2 दिन का चारा शेष है.
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इस संबंध में हिंगोनिया गौशाला के ऑपरेशन हेड अमन नाहर ने बताया कि हर दिन चारे की गाड़ियां गौशाला पहुंच रही हैं. उनकी कोशिश है कि जिस लॉकडाउन का असर पूरे देश पर पड़ रहा है, उसका असर हिंगोनिया गौशाला की गायों पर ना पड़े. इसे ध्यान में रखते हुए हर संभव कोशिश की जा रही हैं.
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उन्होंने बताया कि सूखा चारा तो पर्याप्त मात्रा में पहुंच रहा है, लेकिन हरे चारे की बात की जाए तो राजस्थान में कांचनी और रंजगा के रूप में हरे चारे की मौजूदगी रहती है. लेकिन अब खेतों में कांचनी लगभग खत्म हो गई है. हालांकि अभी खेतों में गेहूं की कटाई चल रही है, जिसे स्टोर किया जाएगा. लेकिन फिलहाल बाजारों में जई और सोयाबीन का चारा खरीद गायों की आपूर्ति की जा रही है.
भामाशाहों से की ये अपील
हालांकि अक्षय पात्र ट्रस्ट के द्वारा हिंगोनिया गशाला के अलावा जयपुर शहर में विचरण करने वाली गायों को भी चारा पहुंचाया जा रहा है. जिसकी मात्रा गोशाला से भी ज्यादा रहती है. ऐसे में उन्होंने ईटीवी भारत के माध्यम से भामाशाहों को गायों के लिए उपयुक्त चारा खरीद उपलब्ध कराने की अपील की.