जयपुर. कांग्रेस विधायक गणेश घोघरा ने राज्य सरकार के बजट को ऐतिहासिक बताते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की तुलना की सम्राट अशोक से कर दी. उन्होंने मुख्यमंत्री से आदिवासी क्षेत्रों में अंग्रेजी शराब की दुकानें बंद करने और आदिवासियों को परंपरागत देसी शराब महुआ की 8-10 बोतलें घर में रखने की इजाजत देने की मांग की.
बजट अभिभाषण पर बोलते हुए डूंगरपुर विधायक गणेश घोघरा ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जोरदार, शानदार और ऐतिहासिक बजट पेश किया है. बजट को लेकर विपक्ष वालों ने कई तरीके की बातें की थीं लेकिन अपने बजट से उन्होंने विपक्ष की बोलती बंद कर दी. उन्होंने कहा कि प्रदेश में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ऐसा बजट पेश किया जिसकी किसी को आशा नहीं थी. हिंदुस्तान में किसी भी राज्य का मुख्यमंत्री ऐसा बजट पेश नहीं कर सकता इसीलिए इन्हें अशोक महान कहा जाता है.
उन्होंने कहा कि बजट में हर वर्ग युवाओं, किसानों, व्यापारियों का ध्यान रखा गया है. जिस तरीके से पूरा विश्व और पूरा देश कोरोना से जूझ रहा था ऐसी परिस्थिति में ऐसा बजट पेश करना वास्तव में सराहनीय है. उन्होंने भाजपा पर तंज कसते हुए कहा कि भाजपा के लोग रंगा बिल्ला, चाय वाला और तड़ीपार जब मोमबत्तियां जलवा रहे थे, थालियां बजवा रहे थे, ऐसे समय में मुख्यमंत्री गहलोत कोरोना को लेकर चिंतित थे.
उन्होंने आदिवासी क्षेत्र में प्रशासन शहरों के संग और प्रशासन गांव के संग पट्टे देने की मांग की. साथ ही एक अजीबोगरीब मांग भी विधानसभा में अपने बजट अभिभाषण के समय रखी. उन्होंने कहा कि अनुसूचित क्षेत्र टीएसपी में शराब की दुकान के आवंटन में 100% आरक्षण लागू किया जाए. टीएसपी क्षेत्र में शराब की दुकानें बंद कर देनी चाहिएं.
उन्होंने कहा कि आदिवासी क्षेत्रों में जो हमारे यहां पर संस्कृति और परंपरा है किसी त्योहार, मौत मरण पर हमारे पूर्वजों को धार चढ़ाते हैं. वह हमारे देसी महुआ होता है. जो फूल से बनाया जाता है. उसे हम पूजा अर्चना में चढ़ाते हैं. पुलिस वाले एक बोतल या दो बोतल किसी के घर में मिल गया तो उसे 8 बोतल का झूठा मुकदमा बनाते हैं. हमारी संस्कृति परंपरा उसके अनुसार हमें 8 से 10 बोतल और आदिवासी को रखने का अधिकार दिया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि टीएसपी में अंग्रेजी शराब की दुकानें बंद होनी चाहिएं. क्योंकि आदिवासी ही बदनाम हो रहा है जबकि अंग्रेजी शराब गुजरात के लोग पी रहे हैं. उन्होंने कहा कि अंग्रेजी शराब से हमारी आर्थिक स्थिति और कमजोर हो रही है. आदिवासी जाता है 1000 की बोतल लेने के लिए अब वो हजार रुपए कहां से लाएगा. ऐसे में सरकार से निवेदन है कि 8 से 10 बोतल की छूट मिलनी चाहिए.