जयपुर की पतंगबाजी मशहूर, पीएम मोदी से लेकर राहुल गांधी की पतंगे लोगों की बनी पसंद

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Published : Jan 13, 2022, 5:51 PM IST

Kite flying in Jaipur, Rajasthan hindi news

जयपुर की बाजारें रंग-बिरंगी पतंगों से सजी (Kite flying in Jaipur) हैं. चुनाव का असर पतंगों पर भी दिख रहा है. लोगों को नेताओं के कटआउट वाली पतंगे भा रही हैं. वहीं कोरोना का असर इस व्यापार पर भी पड़ा है.

जयपुर. मकर संक्रांति (Makar Sankranti in Jaipur) आते ही बाजार रंग-बिरंगे पतंगों से सज गए (Kite market in Jaipur) हैं. राजनेताओं और बच्चों की छोटी-छोटी पतंगे आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. बच्चों के लिए डोरेमोन और अन्य कार्टून करैक्टर की पतंगे बाजारों में सजी हुई है. इसके साथ ही पतंगों पर नो मास्क नो एंट्री समेत कोरोना से जुड़े संदेश दिए गए हैं. लोग बाजारों में पतंगों की खरीददारी करने पहुंच रहे हैं. हालांकि पतंग बाजार पर कोरोना का असर भी देखने को मिल रहा है.

पिछले साल की तुलना में इस बार बिक्री कम हो रही है. जयपुर का हरिपुरा पतंग बाजार पतंगों से सजा हुआ है. बाजार में बिक्री करीब 50 प्रतिशत ही रह गई. जयपुर की पतंगे देशभर के विभिन्न राज्यों में भेजी जाती है. बाजारों में 100 से लेकर 2000 रुपए तक मांझा और 1 रुपए से लेकर 20 रुपए तक सामान्य पतंग और 400 रुपए तक की राजनेताओं की बड़ी पतंगे उपलब्ध हैं (Corona effect on Jaipur Kite business).

जयपुर में पतंगबाजी

राजनेताओं और फिल्मी सितारों की पतंगे आकर्षण का केंद्र

जयपुर के 72 वर्षीय पतंग कारोबारी अब्दुल गफ्फार पिछले 40 साल से राजनेताओं और फिल्मी सितारों की पतंगे बना रहे हैं. अब्दुल गफ्फार ने इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, अखिलेश यादव, अशोक गहलोत, वसुंधरा राजे, सचिन पायलट, नवजोत सिद्दू, ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल समेत कई राजनेताओं की पतंगे बनाई हैं (Kites of leaders in demand). अब्दुल गफ्फार इन पतंगों को शौक के तौर पर तैयार करके राजनेताओं को तोहफे में देते हैं. पतंगों पर मास्क लगाने का भी संदेश दिया गया है. राजनेताओं की पतंगे भी आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. अब्दुल गफ्फार बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और एड्स को लेकर भी पतंगों पर संदेश दे चुके हैं.

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कोरोना के चलते नहीं होंगे बड़े आयोजन

कोरोना के चलते मकर सक्रांति पर होने वाले बड़े आयोजन रद्द कर दिए गए हैं. पर्यटन विभाग की ओर से होने वाला काइट फेस्टिवल भी इस बार स्थगित कर दिया गया है. इसके साथ ही राजा पार्क गुरुद्वारे में होने वाला लोहड़ी कार्यक्रम भी स्थगित कर दिया गया है. राजा पार्क गुरुद्वारे में जश्न का कार्यक्रम नहीं होगा. लोग अपने घरों में ही मकर सक्रांति का पर्व मनाएंगे. समाज के लोगों ने अपील की है कि घरों से ही पर्व को मनाए. जरूरतमंदों और बेजुबानों की सेवा करें. कोरोना की मुक्ति और सुख समृद्धि की कामना करें.

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राजनेताओं की पतंग

मकर सक्रांति पर दान पुण्य का बड़ा महत्व

मकर सक्रांति पर दान पुण्य का बड़ा महत्व माना जाता है. इस दिन लोग मंदिरों में जाकर भी दान पुण्य करते हैं. वहीं गायों को चारा खिलाते हैं. गुड़ और तिल के लड्डू, फीणी समेत अनेक व्यंजनों के स्वाद के साथ लोग पतंगबाजी का लुत्फ उठाते हैं. मकर सक्रांति के पर्व पर राजधानी जयपुर में बड़े उत्साह के साथ पतंगबाजी की जाती है. जयपुर में 14 जनवरी और 15 जनवरी को जमकर पतंगबाजी होती है.

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पतंग दुकानदारों की अपील

पतंग दुकानदार चाइनीज मांझे का उपयोग नहीं करने की अपील कर रहे हैं. मांझे की जगह सादा डोर का उपयोग करे. मांझे से पक्षी घायल हो जाते हैं. इसलिए मांझे की जगह सादा डोर का उपयोग करें. बाजार में कई कलरफुल सादा डोर भी उपलब्ध है. कलर फुल सादा डोर मांझे की तरह ही दिखाई देती है. लेकिन इससे घायल होने का खतरा कम रहता है. बेजुबान पक्षी आसमान में उड़ते हैं और पतंगबाजी की डोर से कटकर घायल हो जाते हैं. वहीं राह चलते लोग भी पतंग की डोर में फंसने से घायल हो जाते हैं. इसलिए बेजुबान परिंदों और मनुष्य की जीवन की सुरक्षा के लिए हमें सादा डोर का उपयोग करना चाहिए.

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