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छतों पर नजर आई जयपुर की सांस्कृतिक विरासत, पतंगों से अटा आसमान

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Published : Jan 14, 2020, 5:10 PM IST

जयपुर में मंगलवार को मकर संक्रांति के अवसर पर शहरवासी अपनी छतों पर पतंग महोत्सव मनाते नजर आए. पतंग महोत्सव राजस्थान के सांस्कृतिक और लोकप्रिय उत्सव में से एक है. जिसे हिंदू त्यौहार मकर सक्रांति के दौरान मनाया जाता है.

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जयपुर पतंग महोत्सव

जयपुर. पतंग महोत्सव राजस्थान के सांस्कृतिक और लोकप्रिय उत्सव में से एक है. जिसे हिंदू त्योहार मकर सक्रांति के दौरान मनाया जाता है. जयपुर की इसी सांस्कृतिक विरासत का नजारा खासकर परकोटे में दिखता है. जहां मंगलवार को छतों पर फीणी, तिल और गुड़ के स्वाद के साथ शहर वासियों ने जमकर पतंगबाजी की.

शहर में घर से लेकर बाजार तक मकर सक्रांति पर्व का उल्लास देखने को मिला. मकर सक्रांति इस बार 2 दिन मनाई जा रही है. 14 जनवरी को पतंग उत्सव का उल्लास छाया रहा. वहीं 15 जनवरी को दान पुण्य का दौर चलेगा. इस बीच शहर के परकोटा क्षेत्र में शहरवासी छतों पर और उनकी पतंगे आसमान में नजर आईं. सूरज उगने के साथ ही छतों पर स्पीकर के तेज वॉल्यूम में गानों की आवाज और वो काटा-वो मारा का शोर भी सुनाई देने लगा.

छतों पर नजर आई जयपुर की सांस्कृतिक विरासत

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वहीं महिलाओं के हाथ से बनी फीणी, तिल-गुड़ और दाल की पकौड़ी का स्वाद भी चलता रहा. शहरवासियों की मानें तो इस दिन तिल गुड़ खाने का भी विशेष महत्व होता है. जिस तरह तिल और गुड़ एक साथ स्वादिष्ट लगते हैं, उसी तरह लोग भी आपस में मिलजुल कर जिंदगी का स्वाद बढ़ा सकते हैं. वहीं लोगों ने बताया कि पतंगबाजी का चलन जयपुर में प्राचीन समय से चलता आ रहा है. जिसके पीछे साइंटिफिक रीजन भी है. इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है. ऐसे में सूर्य की किरणें शरीर के लिए लाभदायक होती हैं. यही वजह है कि दिन भर लोग छतों पर पतंगबाजी का लुफ्त उठाते हैं.

वहीं पतंगबाजी के दौरान मांझे के इस्तेमाल से सैकड़ों परिंदे भी इसकी जद में आकर घायल हो जाते हैं. ऐसे में इस बार चाइनीस मांझे पर भी नकेल कसी गई है और लोग भी पहले से ज्यादा जागरूक दिखें हैं.

Intro:जयपुर - राजस्थान भारत के सबसे रंगीन और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध राज्य में से एक माना जाता है। जो दुनिया भर में त्योहारों की भूमि के रूप में प्रसिद्ध है। यहां पतंग महोत्सव राजस्थान के सांस्कृतिक और लोकप्रिय उत्सव में से एक है। जिसे हिंदू त्योहार मकर सक्रांति के दौरान मनाया जाता है। जयपुर की इसी सांस्कृतिक विरासत का नजारा खासकर परकोटे में दिखता है। जहां आज भी छतों पर फीणी, तिल गुड के स्वाद के साथ शहर वासियों ने जमकर पतंगबाजी की।


Body:शहर में घर से लेकर बाजार तक मकर सक्रांति पर्व का उल्लास देखने को मिला। मकर सक्रांति पर इस बार 2 दिन मनाया जा रहा है। 14 जनवरी को पतंग उत्सव का उल्लास छाया। वही 15 जनवरी को दान पुण्य का दौर चलेगा। इस बीच शहर के परकोटा क्षेत्र में शहरवासी छतों पर और उनकी पतंगे आसमान में नजर आई। सूरज उगने के साथ ही छतों पर स्पीकर के तेज वॉल्यूम में गानों की आवाज के बीच वो काटा वो मारा का शोर भी सुनाई देने लगा। वहीं महिलाओं के हाथ से बनी फीणी, तिल गुड और दाल की पकौड़ी का स्वाद भी चलता रहा। शहरवासियों की माने तो इस दिन तिल गुड़ खाने का भी विशेष महत्व होता है। जिस तरह तिल और गुड़ एक साथ स्वादिष्ट लगते हैं, उसी तरह लोग भी आपस में मिलजुल कर जिंदगी का स्वाद बढ़ा सकते हैं। वहीं लोगों ने बताया कि पतंगबाजी का चलन जयपुर में प्राचीन समय से चलता आ रहा है। और उसके पीछे साइंटिफिक रीजन भी है। इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। ऐसे में सूर्य की किरणें शरीर के लिए लाभदायक होती हैं। यही वजह है कि दिन भर लोग छतों पर पतंगबाजी का लुफ्त उठाते हैं।


Conclusion:चूंकि, पतंगबाजी के दौरान मांझे के इस्तेमाल से सैकड़ों परिंदे भी इसकी जद में आकर घायल हो जाते हैं। ऐसे में इस बार चाइनीस मांझा पर भी नकेल कसी गई। और लोग भी पहले से ज्यादा जागरूक दिखे।
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