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Special : राजस्थान में लागू हो रहा कामराज फॉर्मूला, नजर विधानसभा के साथ 2024 के लोकसभा चुनावों पर

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Published : Oct 15, 2021, 7:31 PM IST

राजस्थान कांग्रेस में सियासी संकट को हल करने का फॉर्मूला मिल गया है. प्रदेश में 60 के दशक का के. कामराज फॉर्मूला लागू हो रहा है. पहले डोटासरा फिर रघु शर्मा और अब हरीश चौधरी समेत आधा दर्जन मंत्रियों को संगठन की जिम्मेदारी देने की तैयारी चल रही है. ऐसे में कांग्रेस पार्टी की नजर 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव के साथ ही साल 2024 में लोकसभा चुनाव पर भी है.

there may be a big change in the cabinet
राजस्थान में कामराज फॉर्मूला...

जयपुर. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आज 15 अक्टूबर को दिल्ली गए हैं. गहलोत 27 फरवरी के बाद अब करीब साढ़े 7 महीने बाद दिल्ली गए हैं. माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री गहलोत दिल्ली में कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) की बैठक में तो हिस्सा लेंगे ही, इसके साथ ही वे कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी, संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल और राजस्थान के प्रभारी अजय माकन से भी मुलाकात कर सकते हैं.

यह सभी मुलाकातें राजस्थान में राजनीतिक परिवर्तनों जैसे कैबिनेट विस्तार या फेरबदल, राजनीतिक नियुक्तियों और संगठन में विस्तार को लेकर होंगी. लेकिन आपको बता दें कि राजस्थान में कांग्रेस 1960 के दशक के कामराज फॉर्मूले पर काम करना शुरू कर चुकी है, जिसके तहत 1960 में के कामराज ने बेहतरीन मंत्रियों को इस्तीफा दिलवा कर संगठन का काम सौंपा था. राजस्थान में इस फॉर्मूले की आवश्यकता लगातार दो बार से लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को मिल रही करारी हार को माना जा रहा है.

अब हरीश चौधरी समेत कई मंत्रियों को मिलेगी संगठन की जिम्मेदारी...

राजस्थान में कामराज फॉर्मूला (Kamaraj Formula in Rajasthan Congress) लागू भी हो चुका है और उसका उदाहरण पहले तो प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा हैं, तो वहीं राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री को भी गुजरात का प्रभारी बना दिया गया है. अब कहा जा रहा है कि राजस्थान में जो आगामी कैबिनेट फेरबदल या विस्तार होगा, उसमें से अभी और भी कई मंत्रियों को संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपी जाएंगी.

राजस्व मंत्री हरीश चौधरी (Harish Chaudhary Rajasthan) को तो कांग्रेस पार्टी अघोषित रूप से पंजाब की जिम्मेदारी दे चुकी है और संभवतः आने वाले दिनों में उन्हें आधिकारिक रूप से पंजाब की जिम्मेदारी दे दी जाए. इसके साथ ही राजस्थान के कई मंत्री और भी हैं जिन्हें संगठन में जिम्मेदारी दी जा सकती है. यहां तक कि राजस्थान के प्रभारी महासचिव अजय माकन (Ajay Maken) विधायकों और मंत्रियों के साथ हुए अपने फीडबैक कार्यक्रम के बाद यह बयान भी दे चुके हैं कि राजस्थान के कई मंत्री ऐसे हैं जो संगठन में काम करना चाहते हैं.

कैबिनेट में हो सकता है बड़ा परिवर्तन...

गहलोत कैबिनेट में अभी मुख्यमंत्री समेत 21 मंत्री शामिल हैं. अब माना जा रहा है कि 20 में 10 मंत्रियों को हटाया जा सकता है, लेकिन 10 में से पांच या छह मंत्रियों को कांग्रेस पार्टी कमजोर परफॉर्मेंस या किसी शिकायत के चलते नहीं, बल्कि कामराज फॉर्मूले के तहत संगठन में ला सकती है. क्योंकि कांग्रेस पार्टी मजबूत मंत्रियो का इस्तेमाल संगठन में कर संगठन को मजबूत करने के लिए करना चाहती है. यही कारण है कि राजस्थान में अब उसको कामराज फॉर्मूला लागू करने की कवायद चल रही है.

क्या है कामराज फॉर्मूला...

तमिलनाडु यानी तत्कालीन मद्रास के दूसरे मुख्यमंत्री रहे कुमारास्वामी कामराज ने 1960 के दशक में कांग्रेस के संगठन में सुधार के लिए कामराज योजना प्रस्तुत की. जिसके तहत उन्होंने कांग्रेस संगठन को मजबूत बनाने के लिए इस बात की आवश्यकता समझी कि सरकार में बैठे मजबूत मंत्री यहां तक कि राज्यों के मुख्यमंत्री भी अपने पदों को छोड़कर संगठन के लिए काम करें.

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कामराज योजना के तहत खुद कामराज ने तो इस्तीफा दिया ही, उनके साथ ही लाल बहादुर शास्त्री, जगजीवन राम और मोरारजी देसाई जैसे नेताओं ने भी अपने पदों से इस्तीफा दे दिया. इस फॉर्मूले के तहत कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए वह इतने मजबूत हो गए कि उन्हें कांग्रेस का किंग मेकर कहा जाता था. के. कामराज अपनी कामराज योजना के तहत लाल बहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी को एक किंग मेकर के तौर पर प्रधानमंत्री बनाने में कामयाब रहे.

डोटासरा, रघु शर्मा पहले ही किए गए संगठन में फिट, हरीश पहले ही पंजाब के अघोषित प्रभारी...

गोविंद सिंह डोटासरा : डोटासरा राजस्थान कांग्रेस के मंत्री रहते हुए अध्यक्ष बनाए गए. गोविंद डोटासरा को अध्यक्ष बने एक साल का समय बीत चुका है, लेकिन दो जिम्मेदारियों के चलते गोविंद डोटासरा संगठन पर पूरा फोकस नहीं कर सके. यही कारण है कि अबतक राजस्थान कांग्रेस के संगठन का विस्तार नहीं हो सका है. ऐसे में अब गोविंद डोटासरा ने खुद की इच्छा जता दी है कि वह प्रदेश अध्यक्ष ही रहना चाहते हैं, उन्हें शिक्षा मंत्री की जिम्मेदारी से मुक्त किया जाए. ऐसे में अब यह लगभग तय है कि गोविंद डोटासरा को मंत्री पद की जिम्मेदारी से मुक्त कर प्रदेश अध्यक्ष पद पर फोकस करने दिया जाएगा.

रघु शर्मा : राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा एक कुशल वक्ता तो हैं ही, विपक्ष को जिस तरीके से घेरने का काम करते हैं, उनकी इसी काबिलियत को कांग्रेस पार्टी संगठन में शामिल करते हुए गुजरात जैसे चुनावी राज्य की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी है. रघु शर्मा उन बिरले 2 नेताओ में से शामिल हैं जो उपचुनाव में ही सही, लेकिन राजस्थान से पिछ्ले 10 साल में कांग्रेस के लोकसभा सांसद बने. रघु शर्मा को युवा कांग्रेस चलाने का अनुभव भी रहा और यही कारण है कि रघु शर्मा अब गुजरात के प्रभारी बना दिए गए हैं. अब आगामी कैबिनेट फेरबदल में रघु शर्मा को स्वास्थ्य मंत्री के पद से जिम्मेदारी मुक्त किया जा सकता है.

हरीश चौधरी : हरीश चौधरी को हमेशा से ही संगठन का नेता माना जाता रहा है. मंत्री बनने से पहले वह ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (AICC) में सचिव रह चुके हैं और पंजाब कांग्रेस के सह प्रभारी के तौर पर उन्होंने बेहतरीन काम किया और पंजाब में सरकार बनवाई. हाल ही में पंजाब कांग्रेस में चले राजनीतिक घटनाक्रम में हरीश चौधरी ने अहम योगदान निभाते हुए नवजोत सिंह सिद्धू को अध्यक्ष बनवाने और अमरिंदर सिंह की जगह चरणजीत सिंह चन्नी को पंजाब का मुख्यमंत्री बनाने में अहम योगदान दिया. हरीश चौधरी को अघोषित तौर पर पंजाब का प्रभारी माना जाता है. हालांकि, उन्हें पंजाब की जिम्मेदारी मिलती है या फिर अन्य किसी राज्य की, यह आने वाला समय बताएगा. लेकिन हरीश चौधरी भी संगठन में जाने की इच्छा जता चुके हैं.

There may be a big change in the cabinet
कैबिनेट में हो सकता है बड़ा परिवर्तन...

लाल चंद कटारिया ने खुद माकन के सामने संगठन में जाने की बात कही...

राजस्थान में शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा और रघु शर्मा को संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिल चुकी है तो हरीश चौधरी को कभी भी यह जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है. लेकिन इन तीन नेताओं के साथ ही राजस्थान में मंत्री पद संभाल रहे और भी मंत्री ऐसे हैं, जिन्हें संगठन की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है.

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इनमें परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास जिनका अब तक जयपुर कांग्रेस को कोई विकल्प नहीं मिल रहा है. खेल मंत्री अशोक चांदना जो 7 साल तक राजस्थान यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष रहे और सरकार लाने में किए गए प्रदर्शनों में शामिल रहे तो वहीं सुस्त पड़ी महिला कांग्रेस में जान फूंकने के लिए राजस्थान की महिला एवं बाल विकास मंत्री ममता भूपेश को महिला कांग्रेस की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है. इसके साथ ही खान मंत्री प्रमोद जैन भाया को भी संगठन में लेने की बातें सामने आ रही हैं.

राजस्थान में 2024 लोकसभा चुनावों में जीत दिलाना मुख्य कारण...

राजस्थान में के कामराज फॉर्मूला लागू करने के पीछे सबसे बड़ा कारण लोकसभा में कांग्रेस पार्टी को लगातार दो चुनावों से मिल रही कड़ी शिकस्त है. दरअसल, पिछले 10 साल से लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी राजस्थान की सभी 25 सीट पर चुनाव हार रही है. भले ही उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी को एक साल के लिए रघु शर्मा और करण सिंह यादव के रूप में दो सांसद मिले, लेकिन लोकसभा के मुख्य चुनाव में कांग्रेस पार्टी फिर जीरो पर आ गई.

ऐसे में भले ही राजस्थान में कांग्रेस पार्टी सरकार बनाने में कामयाब रही हो, लेकिन इसके बावजूद लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के हाल बेहाल है. ऐसे में कांग्रेस पार्टी की नजर 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव के साथ ही साल 2024 में लोकसभा चुनाव पर है. ऐसे में वह प्रमुख नेता जो बेहतरीन मंत्री तो हैं, लेकिन मंत्री बनने के चलते वह संगठन में अपना योगदान नहीं दे पा रहे हैं, उन नेताओं को मंत्री पद की जिम्मेदारी से मुक्त कर संगठन की जिम्मेदारी दी जाएगी.

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