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IAS अफसर ने बढ़ाया देश का मान, कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में 100 में से लाए 107.5 अंक

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Published : Jul 9, 2019, 9:21 PM IST

झारखंड के IAS अफसर मनीष रंजन ने दुनियाभर में भारत का नाम रोशन कर दिया है. उन्होंने कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी की एक परीक्षा में 100 में 107.5 अंक हासिल किया. खास बात यह है कि इतना अंक देने वाले प्रोफेसर रकर सी जॉनसन, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के सलाहकारों में एक हैं.

झारखंड के IAS अफसर ने बढ़ाया देश का मान

रांचीः देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद जब छात्र थे, तब उनकी परीक्षा की कॉपी जांचने वाले शिक्षक ने उनकी कॉपी पर लिखा था 'Examinee is better than Examiner', यानी परीक्षा देने वाला परीक्षा लेने वाले से बेहतर है. आज भी ये चंद शब्द छात्रों के लिए प्रेरणास्रोत का काम करते हैं. इस कड़ी में एक और नाम जुड़ गया है. झारखंड कैडर के एक आईएएस अधिकारी ने अमेरिका जाकर ऐसे ही देश का नाम रोशन किया है.

मनीष रंजन 2002 बैच के झारखंड कैडर के आईएएस ऑफिसर हैं. इन्हें दुनिया के मशहूर विश्वविद्यालयों में से एक अमेरिका के ब्राकले स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया ने 100 अंक की परीक्षा में 107.5 अंक दिया है. मनीष रंजन को यह उपलब्धि इंफ्रेंटल स्टैटिस्टिकस कोर्स में मिली है.

ये भी पढ़ें-BJP के केंद्रीय नेताओं का बढ़ा झारखंड टूर, पहले नड्डा फिर आएंगे शिवराज

अमेरिका में अधिकतम अंक से ज्यादा अंक देने का अधिकार प्रोफेसर को होता है, जो बिरले ही किसी छात्र को मिलता है. खास बात है कि जिस प्रोफेसर ने मनीष रंजन को यह अंक दिया है, उनकी पहचान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर है. उनका नाम है रकर सी जॉनसन. जॉनसन एक लेबर इकोनॉमिस्ट हैं. इसके साथ ही वे अमेरिकी प्रेसिडेंट ट्रंप के सलाहकारों में एक हैं. उन्होंने Children of the dream : why school integration works समेत कई किताबें लिखी हैं.

आईएस मनीष रंजन को मिली इस उपलब्धि को आईएएस एसोसिएशन ने ट्विटर के जरिए शेयर कर शुभकामनाएं दी हैं. इसी को आधार बनाकर ईटीवी भारत की टीम ने मनीष रंजन के बायोडाटा को खंगाला. सबसे पहले मनीष रंजन से संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन पता चला कि वे पब्लिक अफेयर्स में मास्टर डिग्री की पढ़ाई के लिए कैलिफोर्निया में हैं. मनीष रंजन के बारे में ईटीवी भारत को जो जानकारी हाथ लगी है उसे हम अपने दर्शकों के साथ शेयर करना चाहते हैं. खासतौर से यह जानकारी झारखंड के उन छात्रों के लिए है जो अपने भीतर छिपे गुणों को देखने के बजाय अपनी कमियों को चश्मा बना लेते हैं.

बिहार के रहने वाले हैं मनीष रंजन

बिहार के छपरा के एक गांव की पगडंडियों से निकलकर नेतरहाट आवासीय विद्यालय से स्कूली तालीम हासिल करने के बाद मनीष रंजन ने हिंदू कॉलेज से समाजशास्त्र और अर्थशास्त्र में स्नातक की डिग्री ली. पीएचडी के बाद इन्होंने गुजरात के आनंद स्थित इंस्टीट्यूट आफ रूरल मैनेजमेंट से मैनेजमेंट की पढ़ाई पूरी की.

यूपीएससी की परीक्षा में चौथा स्थान

मनीष रंजन ने साल 2002 यूपीएससी की परीक्षा में चौथा स्थान हासिल किया. उन्होंने बतौर उपायुक्त हजारीबाग, पाकुड़, देवघर, गढ़वा, खूंटी और लातेहार जिला में अपनी सेवा दी. स्वास्थ्य शिक्षा, श्रम और उद्योग विभाग में निदेशक रहे. पर्यटन, कला संस्कृति विभाग में सचिव रहे. फिलहाल झारखंड में अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी के पद पर रहते हुए स्टडी लीव पर कैलिफोर्निया में हैं.

एक नौकरशाह के रूप में मनीष रंजन के उपलब्धियों की फेहरिस्त काफी लंबी है। इन्होंने 'सेव चाइल्डहुड' नाम से प्रोग्राम शुरू किया था जिसे आगे चलकर केंद्र सरकार ने भी अंगीकृत किया. बात मनरेगा की हो या गरीबों को उनका अधिकार दिलाने की, मनीष रंजन ने कई काम किए. शिशु मृत्युदर को साल 2011 से 2013 के बीच 38 प्रतिशत से 29 प्रतिशत पर लाने में इन्होंने अहम भूमिका निभाई. मनीष रंजन को सराहनीय कार्यों के लिए राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री पुरस्कार भी मिल चुके हैं.

Intro: एक IAS ने झारखंड का नाम किया रोशन, कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में 100 में से लाए 107.5 अंक

रांची/यूएसए

हम बचपन में सुना करते थे कि देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद जब छात्र थे तब उनकी परीक्षा की कॉपी जांचने वाले शिक्षक ने उनकी कॉपी पर लिखा था " Examinee is better than Examiner " आज भी यह चंद शब्द छात्रों के लिए प्रेरणास्रोत का काम करते हैं। इस कड़ी में एक और नाम जुड़ गया है। नाम है मनीष रंजन। 2002 बैच के झारखंड कैडर के आईएएस ऑफिसर। इन्हें विश्व के प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों में से एक USA के ब्राकले स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया ने 100 अंक की परीक्षा में 107.5 अंक दिया है। मनीष रंजन को यह उपलब्धि Inferential Statistics में मिली है। अमेरिका में अधिकतम अंक से ज्यादा अंक देने का अधिकार प्रोफेसर को होता है जो बिरले ही किसी छात्र को मिलता है। खास बात है कि जिस प्रोफेसर ने मनीष रंजन को यह अंक दिया है, उनकी पहचान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर है। उनका नाम है रकर सी जॉनसन। जॉनसन एक लेबर इकोनॉमिस्ट हैं। अमेरिकी प्रेसिडेंट के सलाहकारों में से एक हैं। उन्होंने Children of the dream : why school integration works समेत कई किताबें लिखी है।

आईएस मनीष रंजन को मिली इस उपलब्धि को आईएएस एसोसिएशन ने ट्विटर के जरिए शेयर कर शुभकामनाएं प्रेषित की है। इसी को आधार बनाकर ईटीवी भारत की टीम ने मनीष रंजन के बायोडाटा को खंगाला। सबसे पहले मनीष रंजन से संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन पता चला कि वह पब्लिक अफेयर्स में मास्टर डिग्री की पढ़ाई के लिए कैलिफ़ोर्निया में हैं। लेकिन मनीष रंजन के बारे में ईटीवी भारत को जो जानकारी हाथ लगी है उसे हम अपने दर्शकों के साथ शेयर करना चाहते हैं। खासतौर से यह जानकारी झारखंड के उन छात्रों के लिए है जो अपने भीतर छिपे गुणों को देखने के बजाय अपनी कमियों को चश्मा बना लेते हैं।

युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैं मनीष रंजन

बिहार के छपरा के एक गांव की पगडंडियों से निकलकर नेतरहाट आवासीय विद्यालय से स्कूली तालीम हासिल करने के बाद इस छात्र ने हिंदू कॉलेज से समाजशास्त्र और अर्थशास्त्र में स्नातक की डिग्री ली। पीएचडी के बाद इन्होंने गुजरात के आनंद स्थित इंस्टीट्यूट आफ रूरल मैनेजमेंट से मैनेजमेंट की पढ़ाई पूरी की। मनीष रंजन ने यूपीएससी की परीक्षा में चौथा स्थान हासिल किया और बतौर उपायुक्त हजारीबाग, पाकुड़, देवघर, गढ़वा, खूंटी और लातेहार जिला में अपनी सेवा दी। स्वास्थ्य शिक्षा, श्रम और उद्योग विभाग में निदेशक रहे। पर्यटन, कला संस्कृति विभाग में सचिव रहे। फिलहाल झारखंड में अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी के पद पर रहते हुए वह स्टडी लीव पर कैलिफोर्निया में हैं। एक नौकरशाह के रूप में मनीष रंजन के उपलब्धियों की फेहरिस्त काफी लंबी है। इन्होंने "Save Childhood " नाम से प्रोग्राम शुरू किया था जिसे आगे चलकर केंद्र सरकार ने भी अंगीकृत किया। बात मनरेगा की हो या गरीबों को उनका अधिकार दिलाने की, मनीष रंजन ने कई काम किए। IMR यानी Infant mortality rate को साल 2011 से 13 के बीच 38 प्रतिशत से 29 प्रतिशत पर लाने में इन्होने अहम भूमिका निभाई। मनीष रंजन को कई सराहनीय कार्य के लिए राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री पुरस्कार भी मिल चुके हैं।


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