जयपुर. जालोर में दलित बच्चे की मौत के मामले में अब एससी-एसटी वर्ग सड़कों पर उतर रहा है. आक्रोशित एससी एसटी वर्ग 24 अगस्त को राजधानी जयपुर में आक्रोश रैली (Aakrosh Rally in Jaipur) निकालेगा. इस रैली में एससी एसटी वर्ग के मौजूदा और सेवानिवृत्त अधिकारी कर्मचारियों के साथ समाज के बड़ी संख्या में युवा, बुजुर्ग और महिलाएं शामिल होंगी. खास बात यह है कि इस आक्रोश रैली में सभी विरोध स्वरूप सफेद ड्रेस में होंगे.
क्या है नाराजगीः अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण संयुक्त संघर्ष समिति के संरक्षक पूर्व आईएएस महेंद्र सिंह ने बताया कि जालोर में एक बच्चे को स्कूल के (Jalore Dalit Child Death Case) अध्यापक ने इसलिए पिटाई करके मार दिया, क्योंकि उसने उसके घड़े का पानी छू लिया था. उन्होंने आरोप लगाया कि राजस्थान में लगातार दलितों के साथ इस तरह की घटनाएं हो रही हैं. बार-बार सरकार से आग्रह करने के बाद भी दलितों पर होने वाले अत्याचार कम नहीं हो रहे हैं. इसी को लेकर समाज में भारी आक्रोश है.
इसी आक्रोश को जाहिर करने के लिए 24 अगस्त को राजधानी जयपुर में एससी एसटी वर्ग के हजारों लोग सड़कों पर उतरेंगे. उन्होंने बताया कि प्रदेश के सभी जिलों से एससी एसटी वर्ग (SC ST Protest in Jaipur) से जुड़े संगठन के लोग सुबह 11:00 बजे शहीद स्मारक गवर्नमेंट हॉस्टल पर एकत्रित होकर शांति मार्च के रूप में सिविल लाइंस फाटक जाएंगे. साथ ही मुख्यमंत्री को ज्ञापन देंगे.
सफेद ड्रेस में शांति मार्च होगाः संघर्ष समिति के अनिल गोठवाल ने कहा कि यह आक्रोश पूरी तरीके से शांति मार्च के रूप में होगी. हम इस रैली में (Protest in White dress in Jaipur) किसी भी तरह के किसी भी राजनीतिक पार्टी का झंडा इस्तेमाल नहीं करेंगे. साथ ही न ही किसी के खिलाफ और न ही पक्ष में हम नारे लगाएंगे. ये रैली समाज को मिले संवैधानिक अधिकारों के लिए निकाली जा रही है. पूर्ण रूप से ये रैली शांति मार्च के रूप में होगी. इसलिए हमने रैली में शामिल होने वाले समाज के सभी लोगों को आग्रह किया है कि वह सफेद ड्रेस पहनकर आएं. रैली में किसी भी तरह की कोई न्यूसेंस नहीं हो इसके लिए संघर्ष समिति की एक कोर टीम बनाई गई है, जो इस बात का विशेष ध्यान रखेगी. यह सिर्फ आक्रोश है जो शांतिपूर्ण तरीके से हम सरकार के सामने रखेंगे.
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ये है प्रमुख मांगे:
- पुलिस से प्रकरण के निष्पक्ष अनुसंधान की आशा नहीं है. लिहाजा प्रकरण का अनुसंधान CBI से कराया जाए ताकि छात्र इंद्र कुमार की हत्या के कारण की वास्तविकता ज्ञात हो सके.
- उदयपुर में कन्हैयालाल हत्या कांड में सरकार की ओर से पीड़ित परिवार को 50 लाख रुपये की वित्तीय सहायता और दो लोगों को सरकारी सेवा में नौकरी देने की घोषणा की गई. उसी अनुरूप बिना भेदभाव के पीड़ित परिवार को वित्तीय सहायता और सरकारी सेवा में नौकरी तत्काल दी जाए.
- एसएचओ, पुलिस उपअधीक्षक, जिला पुलिस अधीक्षक और जिला कलेक्टर को निलंबित किया जाए. साथ ही घटनाक्रम और ज्यादती की निष्पक्ष उच्च स्तरीय प्रशासनिक जांच तीन वरिष्ठ अधिकारीयों से कराई जाए. जिनमे एक सदस्य अनुसूचित जाति वर्ग का हो.
- जिला शिक्षा अधिकारी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करते हुए उक्त विद्यालय की अस्थाई रूप से रद्द की गई मान्यता को बहाल नहीं किया जाए. शिक्षण संस्थानों और छात्रावासों (चाहे वह सरकारी हों या निजी) में अनुसूचित जाति के छात्रों के साथ किसी रूप में भी भेदभाव नहीं हो. यह सुनिश्चित करने के लिए विस्तृत दिशा निर्देश जारी किए जाएं. साथ ही संबंधित अधिकारी के उत्तरदायित्व और सजा के प्रावधान राज्य सरकार स्तर पर जारी किए जाएं.
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- जातीय भेदभाव की समस्या का अध्ययन (Detailed Study) राज्य सरकार के स्तर पर किसी विश्वविद्यालय से प्रोजेक्ट या Ph.D के रूप में करवाई जाए. साथ ही इस तरह के भेदभावों को किस तरह से समाप्त किया जा सकता है, इसकी सिफारिशों सहित रिपोर्ट प्राप्त की जाए. साथ ही उस पर समयबद्ध कार्य योजना बनाकर इसे जड़ से खत्म किया जाए.
- बाडी, जिला धौलपुर में सहायक अभियंता हर्षाधिपति वाल्मीकि बिजली विभाग पर हुए कातिलाना हमले के आरोपी को न्यायालय से जमानत मिल गई है. यह गंभीर मामला है. लिहाजा आरोपी की जमानत निरस्त करवाने के लिए उच्च न्यायालय में विशेष याचिका दायर की जाए.
- राजस्थान में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति की कृषि भूमि पर गैर कानूनी तरीके से अन्य वर्गों की ओर से कब्जा किया जा रहा है. राजस्थान काश्तकारी अधिनियम में स्पष्ट उपबंध होने के बावजूद पुलिस और प्रशासनिक अधिकारीयों की निष्क्रियता के साथ मिलीभगत से अवैध कब्जे बरकरार हैं. साथ ही दिन प्रतिदिन नए कब्जे हो रहे हैं. राज्य सरकार के स्तर पर इस तरह का मेकेनिज्म विकसित किया जाए, जिसमे पुलिस और राजस्व विभाग के अधिकारीयों को अवैध कब्जे हटाने के लिए उत्तरदायी ठहराया जाए. साथ ही अनुसूचित जाति, जनजाति के काश्तकारों को उनकी भूमि पर फिर से काबिज कराया जाए.
- राजस्थान अनुसूचित जाति आयोग एवं अनुसूचित जनजाति आयोग को वैधानिक (Statutory) दर्जा प्रदान किया जाए.