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30 साल बाद बना दुर्लभ संयोग, सोमवती अमावस्या पर महिलाओं ने रखा वट सावित्री व्रत, शनि जयंती भी आज

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Published : May 30, 2022, 10:36 AM IST

somvati amavasya
30 साल बाद बना दुर्लभ संयोग

आज का दिन बेहद खास है. 30 साल बाद दुर्लभ संयोग बना है जब ज्येष्ठ माह की अमावस्या सोमवार को पड़ी है, जिसे सोमवती अमावस्या (somvati amavasya today) के नाम से जाना जाता है. वहीं, ज्येष्ठ माह की अमावस्या को सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी और अच्छे स्वास्थ्य के लिए वट सावित्री का व्रत कर रही है. खास बात ये है कि आज ही के दिन शनि जयंती भी है. ऐसे में एक महासंयोग बन रहा है.

जयपुर. आज का दिन बेहद खास है. 30 साल बाद दुर्लभ संयोग बना है जब ज्येष्ठ माह की अमावस्या सोमवार को पड़ी है, जिसे सोमवती अमावस्या (somvati amavasya today) के नाम से जाना जाता है. वहीं, ज्येष्ठ माह की अमावस्या को सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी और अच्छे स्वास्थ्य के लिए वट सावित्री का व्रत कर रही है. खास बात ये है कि आज ही के दिन शनि जयंती भी है. ऐसे में एक महासंयोग बन रहा है. इन तीनों के एक साथ पड़ने से न केवल शनिदेव की कृपा होगी बल्कि महिलाओं को अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद प्राप्त होगा.

किसी भी सुहागिन महिला के लिए वट सावित्री का व्रत बहुत अधिक महत्व रखता है. इसका फल भी करवा चौथ के व्रत के समान है. इस व्रत को करने से महिलाओं को सदा सुहागन होने का वरदान प्राप्त होता है, और इनके पति को लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य का भी वरदान प्राप्त होता है. इस दिन सोमवती अमावस्या पड़ने से उसका फल भी व्रत रखने वाली महिलाओं को प्राप्त होगा. मान्यता है कि इसी दिन सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राणों की रक्षा की थी. इसीलिए सुहागिन महिलाओं के लिए ये व्रत महत्वपूर्ण है.

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वट सावित्री का व्रत करने वाली महिलाएं सोलह शृंगार कर बरगद के पेड़ के पास जाकर कच्चा सूत बांधकर बरगद की परिक्रमा करती हैं और अपने पति की लंबी आयु की कामना करती हैं. बरगद के पेड़ पर जल चढ़ाकर हल्दी कुमकुम या रोली का टीका लगाकर विधिवत पूजा अर्चना करती हैं. सुहागिन महिलाएं अपने सास को बायना (सुहाग का पूरा सामान) भी देती हैं. ऐसी मान्यता है कि सास को सुहाग का सामान भेंट करने से सदा सुहागन होने का वरदान प्राप्त होता है और घर में सुख शांति समृद्धि बढ़ती है.

ज्योतिष परिषद एवं शोध संस्थान अध्यक्ष ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ के अनुसार साल में एक या दो बार ही सोमवती अमावस्या का शुभ योग बनता है. इस शुभ योग में तीर्थ स्नान कर जरुरतमंदों को दान करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है. महाभारत में भी स्वयं भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को इस तिथि का महत्व बताया था. ये दिन को पितृ दोष के उपाय करने के लिए बहुत ही खास माना गया है.

पितृ दोष की शांति के लिए करें ये उपाय :

  • सोमवती अमावस्या पर किसी भी तीर्थ स्थान में जाकर पितरों के श्राद्ध, तर्पण आदि कर्म करें. पूजा के बाद जरुरतमंदों को भोजन, कच्चा अनाज, बर्तन, कपड़े आदि चीजों का दान करें. इन कार्यों से पितृ देवता प्रसन्न होते है और आशीर्वाद देते हैं.
  • इस दिन किसी ब्राह्मण परिवार को भोजन पर बुलाएं. उनकी इच्छा के अनुसार ही भोजन करवाएं. दान-दक्षिणा देकर उनके संतुष्ट होने के बाद ही उन्हें विदा करें. इससे पितृ प्रसन्न होते हैं.
  • सोमवती अमावस्या पर गाय को हरा चारा खिलाना चाहिए. मछलियों के लिए नदी या तालाब में आटे की गोलियां बनाकर डालना चाहिए. अन्य पशु-पक्षियों के लिए भी भोजन पानी की व्यवस्था करना चाहिए. इससे पितृों को शांति मिलती है, वे तृप्त होते हैं और पितृ दोष का अशुभ प्रभाव कम होता है.
  • अमावस्या के दिन दूध में काले तिल और पानी मिलाकर पीपल पर चढ़ाना चाहिए. साथ ही पीपल की पूजा कर परिक्रमा करना चाहिए. इससे पितृ दोष में आराम मिलता है.
  • सोमवती अमावस्या पर भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए और पितृ दोष निवारण के लिए प्रार्थना करनी चाहिए.

अगली सोमवती अमावस्या कब होगी : ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ के अनुसार साल 2022 में सोमवती असावस्या का पहला संयोग 31 जनवरी को बना था. दूसरा संयोग 30 मई यानी आज है. अब इसके बाद साल 2023 में 20 फरवरी को सोमवती अमावस्या का शुभ संयोग बनेगा.

आज ज्येष्ठ माह की अमावस्या के दिन शनि देव का जन्म हुआ था. इसलिए इस दिन शनि जयंती के नाम से मनाया जाता है. इस दिन शनिदेव की विशेष अराधना होती है. इस बार 30 वर्ष बाद शनि जयंती के दिन शनि अपनी राशि कुंभ में है. इसलिए शनि की साढ़ेसाती वालों के लिए ये दिन बहुत खास है. इस दिन किए गए उपाय शनि की पीड़ा वालों जैसे शनि महादशा, साढ़ेसाती, ढैया वालों के लिए बहुत खास है.

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