जयपुर. शहर के प्रमुख बाजारों में शामिल रामगंज और घाट गेट बाजार के बरामदे इन दिनों अतिक्रमण से भरे पड़े हैं. दुकानें बरामदों में और आशियानें बरामदे की छतों पर उतर आए हैं, जिस पर यूनेस्को की टीम ने भी आपत्ति जताई थी. बावजूद इसके जिम्मेदार अधिकारी अस्थाई अतिक्रमण पर अपनी पिछली कार्रवाइयों को गिनाने में लगे हैं. यही नहीं बरामदे की छतों पर किए गए स्थाई अतिक्रमण पर अलग-अलग नियम होने का जिक्र करते हुए गोलमोल जवाब देते दिखे.
फरवरी 2000 से अगस्त 2001 तक जयपुर नगर निगम ने बाजारों के बरामदों को खाली कराया था. जिसके (Encroachment in markets of Jaipur) बाद जयपुर के बाजारों में फुटपाथ की कमी महसूस नहीं हुई. लेकिन शहर के रामगंज और घाट गेट बाजार अभी भी अस्थाई अतिक्रमण से जूझ रहे हैं. बरामदों की छतों पर भी स्थाई अतिक्रमण हो रखा है, जिस पर न तो निगम प्रशासन का ध्यान है और न ही सरकार का. इस संबंध में हेरिटेज निगम कमिश्नर अवधेश मीणा ने कहा कि बरामदे में जो अतिक्रमण किए गए हैं, वो अस्थाई अतिक्रमण हैं.
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दुकानदार सुबह आकर अपना सामान बाहर रखता है, और शाम को उस सामान को दुकान में रखकर चला जाता है. इस तरह के अस्थाई अतिक्रमण पर नियमित कार्रवाई की जाती है. हाल ही में अभियान चलाकर करीब एक हजार दुकानदारों पर कार्रवाई की गई. कार्रवाई में सामान जब्त करने से लेकर जुर्माना लगाने तक की कार्रवाई शामिल है. लेकिन इसमें आम जनता और व्यापारी के सहयोग की भी आवश्यकता है. जहां तक रामगंज और घाट गेट बाजार का सवाल है, तो यहां अमूमन इस तरह के प्रकरण आते रहते हैं. जिन पर कई बार अभियान चलाकर अतिक्रमण हटाया गया है.
कमिश्नर ने दिए गोलमोल जवाब: इन्हीं बाजारों के बरामदे की छतों पर पक्के निर्माण हैं, इसे लेकर कमिश्नर ने गोलमोल जवाब देते हुए कहा कि हेरिटेज बायोलॉज के विपरीत जो निर्माण हैं उन्हें नोटिस भी दिए हैं. अभी भी ऐसा निर्माण नजर आता है, तो सीलिंग और ध्वस्त करने की कार्रवाई भी की जाएगी. बाद में बायलॉज का हवाला देते हुए कहा कि अलग-अलग जगह पर अलग-अलग हाइट और कंडीशन होती है. बीते दिनों स्थानीय पार्षद कुसुम यादव ने भी सरकार से अपील की थी कि शहर के जनजीवन का ध्यान रखते हुए दोनों बाजारों से अतिक्रमण को हटाया जाएं. ताकि रामगंज बाजार, घाटगेट बाजार भी सुंदर बनें. वहीं दूसरे बाजारों के व्यापारियों ने भी इन दोनों बाजारों में हो रहे अतिक्रमण पर सवाल उठाए थे.