Gehlot Government Third Anniversary: सरकार के तीन साल पूरे लेकिन अल्पसंख्यक वर्ग नाराज...वोट बैंक की राजनीति का आरोप

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Published : Dec 17, 2021, 11:08 PM IST

Gehlot Government Third Anniversary
गहलोत सरकार से अल्पसंख्यक वर्ग नाराज ()

गहलोत सरकार के तीन साल (Gehlot Government Third Anniversary) पूरे होने को लेकर कांग्रेसियों में जहां उत्साह है वहीं अल्पसंख्यक वर्ग में उनके खिलाफ नाराजगी देखी जा रही है. अल्पसंख्यक समाज के कई संगठनों ने प्रदेश की मौजूदा सरकार पर वोट बैंक की राजनीति का आरोप लगाया है. यह भी कहना है कि सरकार ने अल्पसंख्यक वर्ग से किए गए कोई वादे पूरे नहीं किए हैं.

जयपुर. राजस्थान की कांग्रेस सरकार 3 साल (Gehlot Government Third Anniversary) पूरे होने का जश्न मना रही है, लेकिन इन तीन सालों में अल्पसंख्यकों से जुड़े कार्य नहीं होने से अल्पसंख्यक समुदाय गहलोत सरकार (Minorities annoyed with ehlot Government) से नाराज है. समुदाय को नजरअंदाज करने पर अल्पसंख्यक समुदाय मुस्लिम विधायकों से भी गुस्सा है. राजस्थान अल्पसंख्यक आयोग, राजस्थान मुस्लिम वक्फ बोर्ड, राजस्थान मदरसा बोर्ड, राजस्थान उर्दू अकादमी, राजस्थान हज कमेटी सहित अन्य अल्पसंख्यक विभागों में तीन साल बीतने के बावजूद कोई चेयरमैन नहीं बनाया गया है.

इसके अलावा उर्दू शिक्षा की तरफ ध्यान नहीं देने, मदरसा पैराटीचर्स को नियमित नहीं करने से भी मुस्लिम समुदाय में सरकार को लेकर नाराजगी है. इस विधानसभा में अल्पसंख्यक समुदाय के 9 विधायक हैं. सालेह मोहम्मद अल्पसंख्यक मामलात मंत्री हैं, जाहिदा खान राज्य मंत्री हैं. इसके अलावा रफीक खान, दानिश अबरार, अमीन कागजी, हाकम अली अल्पसंख्यक समुदाय से विधायक हैं. मुस्लिम पदाधिकारियों का कहना है कि अल्पसंख्यक समुदाय के विधायक भी अपने समुदाय को नजरअंदाज कर रहे हैं.

गहलोत सरकार से अल्पसंख्यक वर्ग नाराज

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राजस्थान उर्दू शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमीन कायमखानी ने कहा कि गहलोत सरकार के 3 साल पूरे हो चुके हैं लेकिन अभी तक अल्पसंख्यक समुदाय की भलाई के लिए एक भी निर्णय नहीं लिया गया. इसके अलावा समुदाय से जुड़े हुए बोर्ड अध्यक्षों के पद भी खाली पड़े हैं. कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में अल्पसंख्यक समुदाय के लिए जो वादे किए थे, वे भी पूरे नहीं किए हैं. अमीन कायमखानी ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय गहलोत सरकार को 10 में से जीरो नंबर देता है. सोनिया गांधी राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को प्रदेश के मुख्यमंत्री को पाबंद करना चाहिए कि बचे हुए 2 सालों में मुस्लिमों के लिए अच्छा काम करें ताकि समुदाय में अच्छा संदेश जाए.

मदरसा टीचर्स संघ के अध्यक्ष सैयद मसूद अख्तर ने कहा कि विधायक वाजिब अली ने कहा था कि अगर मदरसा पैराटीचर्स को नियमित नहीं किया जाएगा तो वह इस्तीफा दे देंगे, लेकिन हुआ कुछ नहीं. अख्तर ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय के 99 फीसदी से अधिक वोट कांग्रेस को देने के बाद भी उनकी सुनवाई नहीं कर रही. ऐसा लगता है कि कांग्रेस भी सॉफ्ट हिंदुत्व की तरफ जा रही है. जब अल्पसंख्यकों के मसले सामने आते हैं तो कांग्रेस पार्टी अपना मुंह मोड़ लेती और दोगलापन दिखाती है.

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मुस्लिम प्रोग्रेसिव फेडरेशन के कन्वीनर अब्दुल सलाम जौहर ने कहा कि इन 3 सालों में गहलोत सरकार ने अल्पसंख्यक समुदाय के साथ इंसाफ नहीं किया है. चाहे मदरसों की बात हो, मदरसा पैराटीचर्स को नियमित करने की बात हो या चाहे नियुक्तियों से संबंधित बात हो, हर मामले में गहलोत सरकार असफल साबित हुई है.

वकार अहमद खान ने कहा कि मंत्रिमंडल में भी अल्पसंख्यक समुदाय को तवज्जो नहीं दी गई है. मदरसा पैराटीचर का मामला भी अभी तक अटका हुआ है. इसके अलावा उर्दू शिक्षा की तरफ भी सरकार ध्यान नहीं दे रही. उर्दू शिक्षकों की भर्ती नहीं की जा रही है. सरकार अल्पसंख्यक समुदाय को केवल वोट बैंक के लिए ही प्रयोग करती है.

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