Fodder Crisis in Rajasthan: तीन गुने दाम पर बिक रहा चारा, पशुओं को धान पुआल खिलाने को मजबूर किसान...

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Published : May 7, 2022, 4:08 PM IST

Fodder Crisis in Rajasthan

पानी, कोयला और बिजली संकट से जूझ रहे राजस्थान के सामने चारे का (Rising price of fodder in Rajasthan) संकट भी खड़ा हो गया है. 4 से 5 रुपए किलो बिकने वाला चारा अब 13 से 15 रुपए प्रति किलो क्विंटल में मिल रहा है. इस मामले में भाजपा उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने भी सरकार को पंचायत और उपखंड स्तर पर चारा डिपो खोलने की सलाह दी, ताकि किसानों को राहत मिल सके.

जयपुर. राजस्थान में पशुओं को खिलाए जाने वाले चारे का संकट दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है. बीते दिन (Fodder Crisis in Rajasthan) डीजल-पेट्रोल की बढ़ती कीमतों के चलते चारे की कीमतों में इजाफा हुआ था. अब पड़ोसी राज्यों जैसे मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के बॉर्डर पर चारा ले जाने पर लगाए गए रोक के कारण राजस्थान में हालात विकट हो गए हैं. हालात ये है कि राजस्थान में जहां चारा बीते साल 500 रुपए क्विंटल मिल जाया करता था, अब वही चारा 1500 से 2000 प्रति क्विंटल में मिल रहा है.

महंगे होने के कारण पशुधन को पर्याप्त चारा नहीं मिल पा रहा, जिस कारण दूध के उत्पादन में भी कमी आ रही है. चारा संकट मामले पर किसान के साथ-साथ भाजपा नेता ने भी चिंता जाहिर की है. भाजपा की ओर से उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा है कि 4 से 5 रुपए किलो में बिकने वाले (Rate of Fodder in Rajasthan) चारे की कीमत 13 से 15 रु प्रति किलो हो गई है. ऐसे में सरकार को पंचायत और उपखंड स्तर पर चारा डिपो खोलने चाहिए ताकि किसानों को राहत पहुंचे.

पूरे उत्तर भारत में सूखे चारे की कमी: पशुधन के पेट भरने के लिए सूखे चारे की कमी इस बार उत्तर भारत में भी दिखाई दे रही है. जिस कीमत पर पशुपालकों का गेहूं का भूसा आसानी से मिल जाता था, उस कीमत पर अब पशुपालकों को फ्री (Reasons for scarcity of fodder in Rajasthan) में मिलने वाला धान पुआल पशुओं को खिलाना पड़ रहा है. ये धान पुआल सर्दियों में पशुओं के नीचे बिछाने और आग जलाकर पशु शालाओं को गर्म करने के काम आता था. पूरे उत्तर भारत में लगभग सभी राज्यों में आज गेहूं के भूसे की कीमत 1200 से लेकर 1400 रु प्रति क्विंटल चल रही है.

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इस साल मानसून की देरी, अतिवृष्टि के कारण बाजरा, मक्का और सोयाबीन जैसी फसलें बुरी तरह प्रभावित हुई. जिससे भूसा बहुत कम प्राप्त हुआ. गेहूं के भूसे की कमी का एक कारण हार्वेस्टर से फसल की कटाई को भी माना जा रहा है. हार्वेस्टिंग से कटिंग कराने के कारण खेत से आधा ही भूसा मिलता है. जबकि थ्रेसिंग के दौरान अनाज उत्पादन से ज्यादा भूसा मिल जाता है. गर्मियों में गेहूं की फसल कटाई के दौरान मजदूरों की कमी होती जा रही है. जिसके चलते किसान हार्वेस्टिंग का सहारा ले रहे हैं. इसके अलावा राजस्थान के पड़ोसी राज्यों ने अपने बॉर्डर से चारे के परिवहन पर भी रोक लगा दी है, जिस कारण चारे का संकट खड़ा हो गया है.

पैसा देकर भी चारा नहीं: किसान रामस्वरूप गुर्जर ने कहा कि पहले वो 10 से 15 पशु रखते थे. लेकिन आज 2-3 पशुओं को पालने में भी दिक्कत आ रही है. चारे की कीमतें बढ़ रही हैं, पड़ोसी राज्यों से भी चारा नहीं आ रहा. हालात ये है कि जिस चारे का भाव 500 रु प्रति क्विंटल था, वो अब 1500 प्रति क्विंटल हो गया है. इस कीमत में भी चारा खरीदने के लिए 20 से 50 किलोमीटर तक जाना पड़ रहा है.

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चारे की कमी के कारण मर रहे पशु: जयपुर के किसान गोपाल कुमावत ने कहा कि पशुओं के चारे के लिए राजस्थान में भयंकर संकट आ गया है. राजस्थान तो वैसे ही सूखा प्रदेश है, पहले ही यहां चारे की कमी थी. स्टेट गवर्नमेंट ने चारे के परिवहन पर रोक लगा दी जिसके कारण पड़ोसी राज्यों से जो चारा आता था, वो भी खत्म हो गया. हमारे पशु चारे की कमी के कारण मर रहे हैं और गौशालाओं में भी दिक्कत हो गई है. किसान गोपाल कुमावत कहते हैं कि चारे का दाम पेट्रोल डीजल की बढ़ती कीमतों के कारण बढ़ रहा है या फिर जमाखोरी की वजह से, ये या तो सरकार जानती है या फिर भगवान.

किसान गोविंद कुमावत का कहना है कि पहले 500 रुपए प्रति क्विंटल में चारा मिलता था. अब वही चारा 1300- 1500 रुपए प्रति क्विंटल मिल रहा है. अब ऐसे में जानवर को कैसे खिलाएं? क्या करें? ये हमारी समझ में नहीं आ रहा. गाय भैंस रखने के लिए हम तैयार हैं, लेकिन चारा ही नहीं मिल रहा. अगर मिल भी रहा है तो बहुत महंगा हो गया है. पेट्रोल डीजल में पहले ही हमें कोई राहत नहीं मिल रही थी. अब चारा भी हमें मार रहा है. जहां पहले 10 पशु रखते थे अब वहां मेरे पास केवल 5 पशु रह गए हैं.

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