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रीट पेपर लीक प्रकरण में 50 दिन बाद भी सरगना गिरफ्त से दूर, गिरोह से जुड़े 21 आरोपी गिरफ्तार

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Published : Nov 14, 2021, 9:02 PM IST

रीट परीक्षा पेपर लीक मामले (REET Paper Leak Case) में पुलिस गैंग की सरगना तक नहीं पहुंच पाई है. इस मामले में अभ्यर्थी, पुलिस कर्मी सहित 21 आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके हैं. पुलिस अब बत्तीलाल मीणा के बाद भजनलाल मीणा को मास्टरमाइंड मान रही है.

REET Paper Leak Case, Jaipur news
रीट परीक्षा लीक प्रकरण

जयपुर. रीट परीक्षा लीक प्रकरण (REET Paper leak) में राजस्थान एसओजी (Rajasthan SOG) 50 दिन बाद भी पेपर लीक करने वाली गैंग के सरगना तक नहीं पहुंच सकी है. अब जिस व्यक्ति को गैंग का सरगना मानकर एसओजी (Rajasthan SOG) उसका पीछा कर रही है, वह गैंग का सरगना है या नहीं, इसका खुलासा उस व्यक्ति के गिरफ्तार होने के बाद ही हो सकेगा. पेपर लीक प्रकरण में सबसे पहले एसओजी बत्तीलाल मीणा को गैंग का सरगना मानकर उसकी तलाश कर रही थी. जब बत्तीलाल को गिरफ्तार किया गया तो यह पता चला कि वह गैंग का सरगना नहीं है.

इसके बाद पृथ्वीराज मीणा का नाम गैंग के सरगना के रूप में सामने आया और जब एसओजी ने पृथ्वीराज मीणा को गिरफ्तार किया, तब उसके भी गैंग के सरगना नहीं होने का खुलासा हुआ. अब इस पूरे प्रकरण में एसओजी भजनलाल विश्नोई को गैंग का सरगना मानकर चल रही है. हालांकि, भजनलाल गैंग का सरगना है या नहीं इसका खुलासा उसकी गिरफ्तारी के बाद ही हो सकेगा.

रीट परीक्षा लीक प्रकरण

अब तक 21 आरोपी गिरफ्तार, जिसमें अभ्यर्थी और पुलिसकर्मी भी शामिल

रीट परीक्षा लीक प्रकरण में एसओजी अब तक कुल 21 आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है. जिसमें 7 अभ्यर्थी और 5 पुलिसकर्मी शामिल हैं. एसओजी ने प्रकरण में कार्रवाई करते हुए हेड कांस्टेबल युद्धवीर सिंह, कांस्टेबल देवेंद्र सिंह, कांस्टेबल दिगंबर सिंह, कांस्टेबल परमवीर सिंह और कांस्टेबल जयवीर को गिरफ्तार किया है. इसके साथ ही अभ्यर्थी सीमा, लक्ष्मी, उषा, मनीषा, आशीष, दिलखुश सिंह और दिलखुश मीणा को गिरफ्तार किया है. इसके साथ ही गैंग से जुड़े हुए संजय मीणा, राजेश मीणा, बत्तीलाल मीणा, रवि पागड़ी, रवि जीनापुर, शिवा और पृथ्वीराज मीणा सहित अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है.

भजनलाल बिश्नोई ने शुरु किया पेपर बांटना

एसओजी इस पूरे प्रकरण में भजनलाल विश्नोई को गैंग का सरगना मानकर चल रही है, जो कि जालोर जिले के चितलवाना का रहने वाला है. पहले भी पुलिस भर्ती सहित अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में उसकी भूमिका संदिग्ध रही है. साल 2018 पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा में फर्जी अभ्यर्थी बनने के चलते भजनलाल को गिरफ्तार भी किया जा चुका है. इसके साथ ही भजनलाल ने लैब टैक्नीशियन और रेडियोग्राफर की भर्ती परीक्षा के लिए कई अभ्यर्थियों को फर्जी डिग्री बनाकर बेचने की बात स्वीकारी है.

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प्रकरण में एसओजी ने आगरा से पृथ्वीराज मीणा को गिरफ्तार किया तो उसने पूछताछ में बताया कि रीट परीक्षा का पेपर उसको भजनलाल विश्नोई ने 26 सितंबर कि सुबह 3:45 बजे व्हाट्सएप पर उपलब्ध करवाया था. रीट परीक्षा के आयोजन से 9 दिन पहले भजनलाल ने व्हाट्सएप कॉल कर पृथ्वीराज को प्रति परीक्षार्थी 12 लाख रुपए में पेपर उपलब्ध कराने का सौदा किया. जिसके बाद पृथ्वीराज ने गैंग के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर 15 से 18 लाख रुपए प्रति अभ्यर्थी पेपर आगे बेचा.

राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए किया जा रहा एसओजी का दुरुपयोग

पूर्व पुलिस अधिकारी राजेंद्र सिंह शेखावत का कहना है कि प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले स्टूडेंट पूरे साल भर मेहनत करते हैं. जब उन्हें यह पता चलता है कि पेपर लीक हुआ है या फिर पेपर में नकल करवाई जा रही है तो उनका मनोबल पूरी तरह से टूट जाता है. इस दिशा में राजस्थान सरकार, राजस्थान पुलिस व अन्य एजेंसियों को सख्त से सख्त कदम उठाने की बेहद आवश्यकता है. पेपर लीक करने वाले या पेपर में नकल कराने वाले प्रदेश में तकरीबन 10 गिरोह सक्रिय होंगे जिनके बारे में राजस्थान पुलिस को भी पूरी जानकारी है. ऐसे में पुलिस गिरोह से जुड़े हुए हैं लोगों पर पैनी नजर रखकर और लगातार उनकी गतिविधियों को ट्रेस करके इस समस्या का समाधान कर सकती है.

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रीट पेपर लीक प्रकरण की जांच कर रही एसओजी का वर्तमान में राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए दुरुपयोग किया जा रहा है. पिछले साल विधायक खरीद-फरोख्त प्रकरण (horse trading in Rajasthan) में एसओजी ने जिस स्तर पर काम किया और विधायकों को नोटिस भेजकर उनके बयान दर्ज करने और उन्हें गिरफ्तार करने का प्रयास किया यदि उसी लगन के साथ एसओजी पेपर लीक करने वाले गिरोह के सदस्यों के पीछे पड़ जाती तो राजस्थान के लगभग 70 लाख बेरोजगार लोगों को एक बड़ी राहत मिल पाती.

नेटबंदी के चलते झेलना पड़ता है बड़ा आर्थिक नुकसान

पूर्व पुलिस अधिकारी राजेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि राजस्थान सरकार किसी भी बड़ी परीक्षा का आयोजन होने पर नेटबंदी कर देती है. जिसके चलते एक बड़ा आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता है. डिजिटलाइजेशन के दौर में हर चीज ऑनलाइन हो गई है और ऐसे में परीक्षा के चलते जब नेट बंद कर दिया जाता है तो लोग खुद को असहाय महसूस करने लगते हैं. फूड डिलीवरी करने वाले, कैब चालक व अन्य ऑनलाइन सर्विसेज से जुड़े हुए लोगों को इसका सबसे ज्यादा खामियाजा भुगतना पड़ता है. ऐसे में सरकार को नेटबंदी को एक आखिरी विकल्प के रूप में देखना चाहिए. ऐसे में राजस्थान सरकार व राजस्थान एसओजी को इस समस्या को एक चैलेंज के रूप में स्वीकार करना चाहिए और साथ ही नकल गिरोह को पूरी तरह से नेस्तनाबूद करना चाहिए.

राजस्थान सरकार, राजस्थान पुलिस और समाज इन नकल गिरोह के सरगनाओं को हल्के में ले रहे हैं और इस मामले को ज्यादा महत्व नहीं दे रहे हैं. यदि राजस्थान पुलिस इस विषय को महत्व दें तो गिरोह के सरगना पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है और आमजन को नेटबंदी के श्राप से निजात दिलाई जा सकती है.

गैंग के सरगनाओं की खोली जाए हिस्ट्रीशीट और रखी जाए निगरानी

पूर्व पुलिस अधिकारी राजेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि राजस्थान पुलिस के नियमों में इस चीज का पहले से ही प्रावधान है कि अपराधिक गतिविधियों में लिप्त बदमाशों की हिस्ट्रीशीट खोली जाए और उन पर निगरानी रख पाबंदी लगाई जाए. इसके साथ ही नकल कराने वाले या पेपर आउट करने वाले गिरोह से जुड़े हुए लोगों के मोबाइल को लगातार इंटरसेप्ट किया जाए. ऐसे बदमाशों के फोन को इंटरसेप्ट करने के लिए एक विशेष सेल बनाई जाए. जिससे इन बदमाशों की तमाम गतिविधियों और इनकी प्लानिंग के बारे में जानकारी जुटाई जा सके. ऐसा करके पुलिस पहले ही यह पता लगा सकती है कि बदमाश किन लोगों से मिलकर पेपर लीक या पेपर में नकल कराने की प्लानिंग कर रहे हैं. ऐसा करके काफी हद तक प्रदेश में पेपर लीक और नकल के प्रकरणों पर नकेल कसी जा सकती है. प्रदेश के बेरोजगारों के साथ अन्याय ना हो, इसके लिए राजस्थान सरकार और राजस्थान पुलिस को इस दिशा में गंभीरता से काम करना चाहिए.

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