ETV Bharat / city

Encroachment in Jaipur : सालों पहले खाली हुए बरामदे आज फिर अतिक्रमण से अटे, नीचे अस्थाई कब्जा...ऊपर स्थाई निर्माण

author img

By

Published : Apr 24, 2022, 6:42 PM IST

Updated : Apr 26, 2022, 12:41 PM IST

रामगंज और घाट गेट बाजार अस्थाई अतिक्रमण का (Encroachment in Jaipur) शिकार है, जहां बरामदों की छतों पर स्थाई अतिक्रमण हो रखा है. इस मामले पर स्थानीय पार्षद ने सरकार से अपील करते हुए कहा है कि जल्द ही यहां से अतिक्रमण हटाया जाए. जानिए क्या है पूर मामला...

Rajasthan latest news
रामगंज और घाट गेट बाजार में अस्थाई अतिक्रमण

जयपुर. शहर के रामगंज और घाट गेट बाजार अस्थाई अतिक्रमण से जूझ रहे हैं. आलम ये है कि दोनों ही बाजारों (Encroachment in Jaipur) में बरामदों की छतों पर भी स्थाई अतिक्रमण हो रखा है. इस पर स्थानीय पार्षद कुसुम यादव ने सरकार से अपील की है कि जल्द ही शहर के जनजीवन का ध्यान रखते हुए दोनों बाजारों से अतिक्रमण को हटाया जाए, ताकि रामगंज बाजार, घाटगेट बाजार भी सुंदर बने. शहर के मुख्य बाजारों में शामिल रामगंज बाजार और घाट गेट बाजार में बरामदे और सड़कों पर व्यापारियों की ओर अस्थाई अतिक्रमण हो रखा है और बरामदों की छतों पर स्थाई आवास भी बने हुए हैं, जो न सिर्फ निगम प्रशासन को बल्कि यूनेस्को की गाइडलाइन को (Government is not taking any action for encroachment ) भी मुंह चिढ़ाते हैं. अब तो दूसरे बाजारों के व्यापारियों ने भी इस पर सवाल उठाए हैं.

त्रिपोलिया बाजार के बर्तन व्यापारी नवनीत मित्तल ने कहा कि सरकार ने पूरे जयपुर शहर की बाजारों के बरामदे खाली कराए. आज की तारीख में सभी बाजारों के बरामदे खाली हैं और यदि कोई व्यापारी सामान रख भी लेता है, तो उस पर तुरंत कार्रवाई कर दी जाती है. लेकिन रामगंज, घाट गेट बाजार और उससे लगते हुए इलाकों में अतिक्रमण पसरा हुआ है, वहां की जनता की सुविधाओं का सरकार बिल्कुल ध्यान नहीं रखती और ऐसा भी हो सकता है कि शायद सरकार उस क्षेत्र के लोगों को सुविधा देना ही नहीं चाहती.

सालों पहले खाली हुए बरामदे आज फिर अतिक्रमण से अटे

पढ़ें:जयपुर के परकोटे में बाजारों और बरामदों में पसरे अतिक्रमण को हटाने के लिए 'ऑपरेशन पिंक' की दरकार

सरकार नहीं हटा रही है क्षेत्र से अतिक्रमण : उन्होंने कहा कि शहर के दूसरे बाजारों के बरामदे की छतों पर व्यापारी यदि एयर कंडीशनर भी लगाता है, तो उस पर कार्रवाई हो जाती है. लेकिन रामगंज और घाट गेट बाजार के बरामदों पर लोगों ने पक्के निर्माण कर रखे हैं और सालों से वहां लोग रह रहे हैं. उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर सरकार (Government is not taking any action for encroachment) उस क्षेत्र में कार्रवाई क्यों नहीं करती. कहीं सरकार को वोट बैंक का लालच तो नहीं.

स्थानीय पार्षद कुसुम यादव ने बताया कि निगम प्रशासन की ओर से एक-दो बार रामगंज और घाट गेट बाजार से अतिक्रमण हटाने की कोशिश की गई है, लेकिन हालात ढाक के तीन पात बने हैं. प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है. निगम में कांग्रेस का बोर्ड है और उन्हें ऐसा लगता है कि यदि इस क्षेत्र में कोई कार्रवाई की जाएगी तो उनके वोट बैंक पर फर्क पड़ेगा.

सरकार वोटों पर नहीं शहरी जनजीवन पर ध्यान दे : पार्षद कुसुम यादव ने सरकार से अपील की है (councilor appeals to government to remove encroachment) कि वोटों पर ध्यान न देते हुए शहर के जनजीवन का ध्यान रखते हुए इन बाजारों से अतिक्रमण हटाया जाए, ताकि इस क्षेत्र से गुजरने वाले और यहां रहने वाले बाशिंदे सुकून से जी सकें. उन्होंने कहा कि स्थानीय अल्पसंख्यक समुदाय भी चाहता है कि यहां से अतिक्रमण हटाए और रामगंज बाजार, घाटगेट बाजार भी सुंदर बने.

हाल ही में चांदपोल बाजार व्यापार मंडल के प्रयास से वहां के बरामदे पूरी तरह अतिक्रमण मुक्त हुए हैं. दुकानों के आगे दुकानदारों में सामान रखना बंद कर दिया है. जिससे पैदल चलने वाले राहगीरों का चलना आसान हो गया है. रामगंज बाजार और घाटगेट बाजार में भी इसी तरह के प्रयास करने की दरकार है.

क्या है पूरा मामला : जयपुर के महाराज सवाई मान सिंह द्वितीय ने बाजारों में आम उपभोक्ताओं के चलने के लिए बरामदों का निर्माण कराया था. यहां धीरे-धीरे व्यापारियों ने अतिक्रमण शुरू कर दिया।.हालांकि, 1944 मेंमिर्जा इस्माइल ने बाजारों के बरामदों को खाली कराने की मुहिम छेड़ी, लेकिन बाद में यहां व्यापारियों ने दोबारा कब्जा कर लिया. इसे फरवरी 2000 से अगस्त 2001 तक जयपुर नगर निगम के सीईओ रहे मनजीत सिंह ने खाली कराया था. जिसके बाद जयपुर के बाजारों में फुटपाथ की कमी महसूस नहीं हुई. हालांकि, अभी भी शहर के रामगंज और घाट गेट बाजार अस्थाई अतिक्रमण से जूझ रहे हैं. आलम ये है कि इन दोनों ही बाजारों में बरामदों की छतों पर भी स्थाई अतिक्रमण हो रखा है, जिस पर न तो निगम प्रशासन का ध्यान है और न सरकार का.

Last Updated : Apr 26, 2022, 12:41 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.