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Political Tour of Rajasthan BJP Leaders : नड्डा के दौरे से पहले भाजपा में सियासी यात्राएं तेज, राजे के बाद पूनिया की ये यात्रा चर्चाओं में...

भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के अजमेर दौरे की तैयारियों के बीच (BJP National President Ajmer Visit) प्रदेश बीजेपी नेताओं के सियासी दौरे चर्चाओं में हैं. पहले वसुंधरा राजे ने मेवाड़ दौरा किया और उसके बाद पूनिया ने इसी संभाग के 6 जिले नापे. पार्टी मजबूती की दृष्टि से राजनेताओं के ये दौरे (Political tour of Rajasthan BJP leaders) लाजमी हैं, लेकिन पूनिया लगभग उन्हीं जिलों में गए, जहां राजे कुछ दिनों पहले ही गई थीं. ऐसे में राजनीतिक गलियारों में नई चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है.

Preparations for JP Nadda Rajasthan Tour
नड्डा के दौरे से पहले भाजपा में सियासी यात्राएं तेज...
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Published : Dec 27, 2021, 5:59 PM IST

जयपुर. भाजपा नेता भले ही पार्टी को एकजुट बताएं, लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं है कि राजस्थान भाजपा नेताओं में भी कई गुट (Groups in Rajasthan BJP Leaders) बने हुए हैं. खासतौर पर सतीश पूनिया और वसुंधरा राजे खेमा एकदूसरे के विपरीत है.

ऐसे में जब इनसे जुड़े नेताओं की सियासी यात्राएं होती हैं तो वो चर्चा में भी रहती है. यही कारण है कि राजे के मेवाड़ सहित कुछ जिलों में व्यक्तिगत दौरे हुए तो उसे साल 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव की दृष्टि से अपने समर्थकों को एकजुट करने और अपनी सियासी ताकत दिखाने वाले दौरे के रूप में देखा गया. लेकिन इस दौरे के ठीक कुछ दिनों बाद मेवाड़ के छह जिलों में सतीश पूनिया का दौरा और उसके बाद 29-30 दिसंबर को भरतपुर का प्रवास इसी ओर इशारा करता है.

पूनिया ने क्या कहा...

क्या पूनिया दिखा रहे हैं संगठन की ताकत ?

मेवाड़ के 6 जिले और उसके बाद अब भरतपुर का दौरा सतीश पूनिया (Satish Poonia Bharatpur Visit) करने जा रहे हैं. भाजपा नेताओं में चर्चा इस बात की है कि संगठनात्मक प्रवास के इस कार्यक्रम के जरिए पूनिया प्रदेश नेतृत्व संगठन की ताकत विरोधियों को दिखा रहे हैं. क्योंकि पूनिया जहां गए वहां भारी संख्या में कार्यकर्ताओं ने एकत्रित होकर उनका स्वागत किया. स्वागत की भव्यता और विभिन्न कार्यक्रम इसी बात का संकेत है कि यह प्रवास भी किसी सियासी शक्ति-प्रदर्शन से कम नहीं था.

पढ़ें : BJP Rajasthan Politics : कमजोर पकड़ वाले क्षेत्र पर भाजपा का फोकस, जयपुर के साथ अब अन्य स्थानों पर होंगे बड़े आयोजन...

पढ़ें : Rajasthan Congress training camp: माकन बोले- हम गांधी को मानने वाले सत्यवादी और भाजपा गोडसे को मानने वाली सत्ताग्रही पार्टी

हालांकि, इस बारे में जब सतीश पूनिया से पूछा गया तो उन्होंने साफ तौर पर कहा कि प्रदेश अध्यक्ष के नाते मेरी नैतिक जिम्मेदारी है कि भौगोलिक और सामाजिक रूप से हर जिले में मेरी उपस्थिति हो, जिसके जरिए कार्यकर्ताओं का मनोबल भी बढ़ाया जाए और जनता के बीच इसके जरिए पार्टी का पक्ष जाए. उन्होंने कहा कि इन सभी बातों को लेकर मैं जनता के बीच जाता हूं. इसलिए मेरे दौरों को सियासी दौरा नहीं कहा जा सकता.

सियासी यात्राओं के बीच क्या नड्डा का दौरा कर पाएगा नेताओं को एकजुट...

विधानसभा चुनाव में 2 साल का समय बाकी है, लेकिन उससे पहले पार्टी नेताओं के सियासी प्रवास और दौरों से राजस्थान भाजपा की राजनीतिक ताकत का प्रदर्शन (Demonstration of Rajasthan BJP Political Power) शुरू हो गया है. यह सियासी प्रदर्शन पार्टी के लिए कितना फायदेमंद होगा यह तो साल 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव का परिणाम ही बताएगा. लेकिन इन दौरों के साथ अलग-अलग खेमों में बंटी भाजपा को एकजुट करना बेहद जरूरी है. इसी के चलते हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का राजस्थान दौरा हुआ और अब जनवरी में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा अजमेर (BJP National President Ajmer Visit) आ रहे हैं. बड़ा सवाल यही है कि पार्टी के शीर्ष नेता क्या राजस्थान भाजपा नेताओं को 2023 से पहले मतभेद और मनभेद मिटाकर एक जाजम पर बिठा पाएंगे.

जयपुर. भाजपा नेता भले ही पार्टी को एकजुट बताएं, लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं है कि राजस्थान भाजपा नेताओं में भी कई गुट (Groups in Rajasthan BJP Leaders) बने हुए हैं. खासतौर पर सतीश पूनिया और वसुंधरा राजे खेमा एकदूसरे के विपरीत है.

ऐसे में जब इनसे जुड़े नेताओं की सियासी यात्राएं होती हैं तो वो चर्चा में भी रहती है. यही कारण है कि राजे के मेवाड़ सहित कुछ जिलों में व्यक्तिगत दौरे हुए तो उसे साल 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव की दृष्टि से अपने समर्थकों को एकजुट करने और अपनी सियासी ताकत दिखाने वाले दौरे के रूप में देखा गया. लेकिन इस दौरे के ठीक कुछ दिनों बाद मेवाड़ के छह जिलों में सतीश पूनिया का दौरा और उसके बाद 29-30 दिसंबर को भरतपुर का प्रवास इसी ओर इशारा करता है.

पूनिया ने क्या कहा...

क्या पूनिया दिखा रहे हैं संगठन की ताकत ?

मेवाड़ के 6 जिले और उसके बाद अब भरतपुर का दौरा सतीश पूनिया (Satish Poonia Bharatpur Visit) करने जा रहे हैं. भाजपा नेताओं में चर्चा इस बात की है कि संगठनात्मक प्रवास के इस कार्यक्रम के जरिए पूनिया प्रदेश नेतृत्व संगठन की ताकत विरोधियों को दिखा रहे हैं. क्योंकि पूनिया जहां गए वहां भारी संख्या में कार्यकर्ताओं ने एकत्रित होकर उनका स्वागत किया. स्वागत की भव्यता और विभिन्न कार्यक्रम इसी बात का संकेत है कि यह प्रवास भी किसी सियासी शक्ति-प्रदर्शन से कम नहीं था.

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हालांकि, इस बारे में जब सतीश पूनिया से पूछा गया तो उन्होंने साफ तौर पर कहा कि प्रदेश अध्यक्ष के नाते मेरी नैतिक जिम्मेदारी है कि भौगोलिक और सामाजिक रूप से हर जिले में मेरी उपस्थिति हो, जिसके जरिए कार्यकर्ताओं का मनोबल भी बढ़ाया जाए और जनता के बीच इसके जरिए पार्टी का पक्ष जाए. उन्होंने कहा कि इन सभी बातों को लेकर मैं जनता के बीच जाता हूं. इसलिए मेरे दौरों को सियासी दौरा नहीं कहा जा सकता.

सियासी यात्राओं के बीच क्या नड्डा का दौरा कर पाएगा नेताओं को एकजुट...

विधानसभा चुनाव में 2 साल का समय बाकी है, लेकिन उससे पहले पार्टी नेताओं के सियासी प्रवास और दौरों से राजस्थान भाजपा की राजनीतिक ताकत का प्रदर्शन (Demonstration of Rajasthan BJP Political Power) शुरू हो गया है. यह सियासी प्रदर्शन पार्टी के लिए कितना फायदेमंद होगा यह तो साल 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव का परिणाम ही बताएगा. लेकिन इन दौरों के साथ अलग-अलग खेमों में बंटी भाजपा को एकजुट करना बेहद जरूरी है. इसी के चलते हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का राजस्थान दौरा हुआ और अब जनवरी में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा अजमेर (BJP National President Ajmer Visit) आ रहे हैं. बड़ा सवाल यही है कि पार्टी के शीर्ष नेता क्या राजस्थान भाजपा नेताओं को 2023 से पहले मतभेद और मनभेद मिटाकर एक जाजम पर बिठा पाएंगे.

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