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लॉकडाउन में डिग्रीधारियों के सामने रोजगार का संकट, वेतन नहीं मिली तो मनरेगा में शुरू की मजदूरी

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Published : May 24, 2020, 12:16 AM IST

जयपुर से 50 किलोमीटर दूर आसलपुर गांव में मनरेगा के तहत काम चल रहा है. बता दें कि आसलपुर गांव में मनरेगा के तहत कई डिग्रीधारी लोग भी काम कर रहे हैं. डिग्रीधारियों का कहना है कि लॉकडाउन के बाद वेतन नहीं मिलने के कारण परिवार के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया था, इसलिए मनरेगा में मजदूरी शुरू कर दी.

डिग्रीधारी कर रहे मजदूरी, Jaipur News,  Asalpur Village News
गड्ढे खोद रहे डिग्रीधारी

जयपुर. कोरोना संकट के बीच लागू किए गए लॉकडाउन के कारण कई लोगों की नौकरियां चली गई, तो कई काम नहीं मिलने से बेरोजगार हो गए. ऐसे में इन लोगों के सामने परिवार पालने का भी संकट खड़ा हो गया. संकट की इस घड़ी में सरकार की एक योजना ऐसी भी है जो बेरोजगार लोगो के वरदान साबित हो रही है. ना केवल मजदूरों के लिए बल्कि पढ़े-लिखे डिग्रीधारी लोगों के लिए भी ये योजना कारगर साबित हो रही है.

डिग्रीधारियों के सामने रोजगार का संकट

जयपुर से 50 किलोमीटर दूर आसलपुर गांव में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत काम चल रहा है. इस योजना के तहत प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में लोगों को रोजगार मिल रहा है. बता दें कि आसलपुर गांव में मनरेगा के तहत कई डिग्रीधारी लोग भी काम कर रहे हैं. निजी स्कूलों और प्राइवेट कंपनियों में काम करने वाले डिग्रीधारी लोग भी जब लॉकडाउन के कारण बेरोजगार हुए तो उन्हें भी मनरेगा के तहत ही रोजगार मिला. मनरेगा में मिले रोजगार के कारण संकट की इस घड़ी में उनके घरों का चूल्हा जल रहा है.

डिग्रीधारी कर रहे मजदूरी, Jaipur News,  Asalpur Village News
गड्ढे खोद रहे डिग्रीधारी

परिवार के सामने आर्थिक संकट

डिग्रीधारी मजदूरों ने बताया, कि वे निजी स्कूलों और प्राइवेट कंपनियों में नौकरी करते हैं. लेकिन जबसे लॉकडाउन हुआ है उसके बाद से ना तो स्कूल वालों ने तनख्वाह दी और ना ही निजी कंपनियों ने सैलरी दी है. ऐसे में उनके परिवार के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया था.

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मजदूरों का कहना है कि बच्चों की परवरिश कैसे हो, यही चिंता सताती रहती थी. लॉकडाउन के दौरान जब मनरेगा में रोजगार शुरू हुआ था, तो उन्होंने भी जॉबकार्ड में अपना नाम लिखवाया और उन्हें रोजगार मिल गया. वहीं, अपने डिग्रीधारी होने के बावजूद मनरेगा में काम करने की बात पर उन्होंने कहा कि क्या करें मजबूरी में सही, लेकिन परिवार का पेट तो पालना ही है.

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मनरेगा में शुरू की मजदूरी

राजस्थान देश का पहला राज्य जहां मजदूरों को मिल रहा बड़े पैमाने पर काम

बता दें कि राजस्थान देश का पहला राज्य है जो संकट की इस घड़ी में ग्रामीण इलाकों में इतने बड़े पैमाने पर मजदूरों को काम मुहैया करवा रहा है. अप्रैल महीने के पहले पखवाड़े के अंत में राजस्थान में जहां मनरेगा श्रमिकों की संख्या केवल 60 हजार थी.

बता दें कि करीब 36 दिनों के भीतर 21 मई तक ये संख्या बढ़कर साढ़े 36 लाख के आंकड़े को भी पार कर गई. मनरेगा में दूसरे प्रदेशों से आने वाले प्रवासी राजस्थानी मजदूरों को भी उनके गांवों में रोजगार दिया जा रहा है.

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