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स्पेशल: ऑनलाइन फल-फूल रहा सट्टे का कारोबार, शिकंजा कसने में जुटी क्राइम ब्रांच टीम

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Published : Oct 24, 2020, 7:24 PM IST

IPL का सीजन शुरू होते ही राजस्थान में बड़े पैमाने पर अलग-अलग शहरों में सटोरिए सक्रिय हो जाते हैं. जहां पहले फोन के माध्यम से बोली लगाकर सट्टा खिलाया जाता था. वहीं अब सटोरियों ने सट्टा खिलाने के अपने ट्रेंड को बदल लिया है. सटोरिए अब ऑनलाइन सट्टा खिलाने का काम कर रहे हैं.

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क्राइम ब्रांच तोड़ रही सटोरियों की कमर

जयपुर. सट्टा खिलाने के लिए सटोरियों द्वारा विभिन्न वेबसाइट का इस्तेमाल किया जाता है और सट्टा खेलने की इच्छुक लोगों को ID और पासवर्ड क्रिएट करके दिए जाते हैं. साथ ही पुलिस की कार्रवाई से बचने के लिए नामी-गिरामी सोसायटी के किसी फ्लैट, फार्म हाउस में या फिर चलती हुई गाड़ी में ऑनलाइन सट्टा खिलाने का काम सटोरियों द्वारा किया जा रहा है. प्रदेश में सट्टा खेलना या खिलाना पूरी तरह से गैरकानूनी है. इसके बावजूद भी चोरी-छिपे सट्टा खेलने और खिलाने का काम लगातार जारी है.

क्राइम ब्रांच तोड़ रही सटोरियों की कमर

राजधानी जयपुर में अपनी जड़े मजबूत कर चुके सटोरियों को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए जयपुर पुलिस की क्राइम ब्रांच लगातार एक के बाद एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम दे रही है. जहां पहले सट्टे की कार्रवाई के दौरान गिरफ्तार किए गए लोगों की बड़ी आसानी से जमानत हो जाया करती थी. वहीं अब उनकी जमानत होना भी काफी कठिन हो गया है. सट्टे की कार्रवाई के दौरान गिरफ्तार किए गए सटोरियों के खिलाफ क्राइम ब्रांच द्वारा आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज किया जाता है. साथ ही विभिन्न एक्ट के तहत कार्रवाई की जाती है और कोर्ट में भी पुलिस की तरफ से केस को काफी मजबूती के साथ रखा जाता है. ताकि आरोपी को अधिक से अधिक सजा दिलाई जा सके.

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नशे की तरह ही लगती है सट्टे की लत

एडिशनल डीसीपी क्राइम सुलेश चौधरी ने बताया कि टेक्नोलॉजी के इस दौर में सटोरियों द्वारा ऑनलाइन सट्टा न केवल जयपुर में, बल्कि पूरे देश में विभिन्न शहरों में खिलाया जा रहा है. ऐसे में जिस तरह से किसी व्यक्ति को नशे की लत लग जाती है, ठीक उसी प्रकार से सट्टा खेलने वाले लोगों को सट्टे की लत लग जाती है. सट्टे में राशि हारने के बावजूद भी व्यक्ति अगले दांव में राशि जीतने के लालच में आकर न केवल स्वयं आर्थिक रूप से प्रभावित होता है, बल्कि अपने परिवार को भी आर्थिक रूप से कमजोर करने का काम करता है. ऐसे में व्यक्ति कर्जा लेकर भी सट्टे में राशि लगाता है और लगातार राशि हारने के चलते उस पर काफी कर्जा हो जाता है, जिसके चलते ऐसे व्यक्ति को अनेक तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

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ऑनलाइन वेबसाइट के जरिए खिलाया जा रहा सट्टा

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राजधानी के लोगों को सट्टे की गंदी लत से बचाने के लिए और सटोरियों पर नकेल कसने के लिए क्रिकेट का सीजन शुरू होते ही जयपुर पुलिस की क्राइम ब्रांच एक्टिव हो जाती है. एडिशनल डीसीपी क्राइम सुलेश चौधरी ने बताया कि जिस प्रकार से वर्तमान में आईपीएल का सीजन चल रहा है, उसे देखते हुए राजधानी जयपुर में अनेक सटोरिए सक्रिय हैं. राजधानी में सक्रिय हुए सटोरियों की तार दुबई और अन्य देशों से जुड़े हुए पाए गए हैं. जैसे-जैसे क्राइम ब्रांच को सटोरियों के खिलाफ इनपुट मिलता है, उस इनपुट को डेवलप कर पुलिस द्वारा सटोरियों तक पहुंच उन्हें गिरफ्तार किया जाता है. पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए सटोरियों के नेटवर्क में शामिल अन्य सटोरियों के बारे में जानकारी जुटाकर उनके खिलाफ भी पुलिस टीम द्वारा कार्रवाई की जा रही है.

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नशे की तरह ही लगती है सट्टे की लत

ऑनलाइन वेबसाइट के जरिए खिलाया जा रहा सट्टा

सटोरियों द्वारा ऑनलाइन सट्टा खिलाने के लिए विभिन्न तरह की वेबसाइट का सहारा लिया जा रहा है. सटोरियों द्वारा जिन ऑनलाइन वेबसाइट के माध्यम से सट्टा खिलाया जा रहा है, उन तमाम वेबसाइट पर सट्टे की अलग-अलग रेट होती है. ऑनलाइन सट्टे में रुपयों का जो लेनदेन होता है. उसे भी गैरकानूनी तरीके से किया जाता है. हवाला की राशि के माध्यम से सट्टे में लगाए जाने वाली करोड़ों रुपयों की राशि को एक शहर से दूसरे शहर तक और राशि जीतने वाले व्यक्ति तक पहुंचाने का काम किया जाता है. ऐसे लोगों पर भी क्राइम ब्रांच द्वारा पैनी नजर रखी जाती है और ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए सट्टे के नेटवर्क को तोड़ने का प्रयास किया जाता है.

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सटोरियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने और उनकी कमर तोड़ने के लिए जयपुर पुलिस द्वारा जुआ अधिनियम के साथ ही आईटी एक्ट और आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत कार्रवाई की जाती है. पुलिस द्वारा कार्रवाई करते हुए सटोरियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 120-बी, 467, 468 के साथ आईटी एक्ट की धारा 66-डी लगाई जाती है, जिस तरह से सटोरियों के द्वारा फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल कर सिम खरीदी जाती है और लोगों के साथ धोखाधड़ी की जाती है. उन तमाम चीजों को ध्यान में रखते हुए आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत सटोरियों के खिलाफ पुलिस द्वारा सख्त कार्रवाई की जाती है.

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एडिशनल डीसीपी क्राइम सुलेश चौधरी का कहना है कि सट्टे की कार्रवाई में प्रायः देखने को मिलता है कि जल्द अमीर होने और ज्यादा रुपए कमाने के लालच में आकर युवा सट्टे के दलदल में फंस जाते हैं, जिसके चलते युवाओं को सट्टे की लत लग जाती है. वे अपने कैरियर को संवारने की बजाय गैरकानूनी तरीकों को अपनाते हैं. लत चाहे सट्टे की हो, नशे की या किसी भी बुरी चीज की वह युवाओं के लिए, उनके परिवार के लिए और समाज के लिए काफी घातक होती है. ऐसे में जयपुर पुलिस द्वारा युवाओं को यह संदेश दिया जा रहा है कि वह गैरकानूनी तरीकों को अपनाने की बजाय अपने करियर पर ध्यान दें.

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