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राजाराम की जमानत अर्जी पर बहस पूरी, 13 सितंबर को फैसला सुनाएगी कोर्ट

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Published : Sep 10, 2021, 5:53 PM IST

Updated : Sep 10, 2021, 5:59 PM IST

BVG company bribery case, Jaipur News
राजाराम की जमानत अर्जी पर बहस पूरी

बीवीजी कंपनी रिश्वतखोरी (BVG company bribery case) मामले में एसीबी कोर्ट में राजाराम की जमानत याचिका पर बहस पूरी हो गई है. कोर्ट इस मामले में 13 सितंबर को फैसला सुनाएगी.

जयपुर. एसीबी मामलों की विशेष अदालत में शुक्रवार को बीवीजी कंपनी के नगर निगम पर बकाया 276 करोड़ रुपए भुगतान के बदले बीस करोड़ रुपए की रिश्वत मांगने से जुड़े मामले में आरोपी राजाराम की जमानत अर्जी पर बहस हुई. अदालत ने दोनों पक्षों की बहस सुनकर अर्जी पर 13 सितंबर को फैसला देना तय किया है.

जमानत अर्जी में पूर्व मेयर सौम्या गुर्जर (Somya Gurjar suspension case) के पति आरोपी राजाराम की ओर से कहा गया कि प्रकरण में एसीबी ने आरोप पत्र पेश कर दिया है. वहीं सह आरोपी ओमकार सप्रे को हाईकोर्ट से जमानत मिल चुकी है. वह पिछले 29 जून से न्यायिक अभिरक्षा में चल रहा है. इसके अलावा प्रकरण की ट्रायल पूरी होने में लंबा समय लगने की संभावना है. ऐसे में प्रार्थी को न्यायिक अभिरक्षा में रखकर अभियोजन पक्ष का कोई उद्देश्य सफल नहीं होगा. इसके अलावा प्रकरण में ऐसा कोई अपराध नहीं है, जिसमें मृत्युदंड या उम्रकैद की सजा का प्रावधान हो. ऐसे में उसे जमानत पर रिहा किया जाए.

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गौरतलब है कि एसीबी ने इस संबंध में रिश्वत लेने के मामले में वीडियो वायरल होने के बाद राजाराम, ओमकार सप्रे और निंबाराम सहित संदीप चौधरी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की थी. प्रकरण में एसीबी ने संदीप चौधरी और निंबाराम के खिलाफ जांच लंबित रखते हुए राजाराम और सप्रे के खिलाफ पिछले दिनों आरोप पत्र पेश किया था.

क्या है पूरा मामला

साल 2017 में तत्कालीन महापौर अशोक लाहोटी ने राजधानी में BVG कंपनी के जरिए डोर टू डोर कचरा संग्रहण करने की योजना की शुरुआत की थी. राजधानी में करीब 527 डोर टू डोर कचरा संग्रहण करने वाली गाड़ियां संचालित हैं. इनमें से BVG की गाड़ियां महज 106 हैं, जबकि 421 गाड़ियां उन वेंडर्स की हैं, जिन्हें BVG ने सबलेट किया है, जोकि नियम विरुद्ध है.

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BVG कंपनी को नगर निगम प्रशासन ने जो काम सौंपा था, उसमें शर्तों की पालना नहीं हुई. बावजूद इसके BVG कंपनी ने अधूरे काम के 300 करोड़ से ज्यादा के बिल निगम को सौंप दिए. 100 फीसदी डोर टू डोर कचरा संग्रहण, कचरे का सेग्रीगेशन, हूपर्स में ट्रैकिंग सिस्टम, वेस्ट ट्रांसफर स्टेशन बनाकर मैकेनाइज सिस्टम से डंपिंग यार्ड तक कचरा पहुंचाने और शहर में ओपन कचरा डिपो हटाने जैसी शर्तों के साथ, BVG कंपनी को नगर निगम प्रशासन की ओर से काम सौंपा गया था, लेकिन इन शर्तों की पालना नहीं हुई. बावजूद इसके BVG कंपनी ने अधूरे काम के 300 करोड़ से ज्यादा के बिल निगम को सौंप दिए.

बता दें, BVG कंपनी देश के 70 से ज्यादा शहरों में काम कर रही है और जिसका सालाना टर्नओवर 2000 करोड़ से ज्यादा का है. कंपनी का दावा है कि निगम पर 302 करोड़ का बकाया है, लेकिन लूप पोल ये है कि 2 वर्षों से कंपनी के काम की थर्ड पार्टी से निगरानी ही नहीं हुई. ऐसे में एक सवाल यह भी उठ रहा है कि जब बिलों का वेरिफिकेशन ही नहीं हुआ है, तो उसका भुगतान कैसे हो रहा है. बताया जा रहा है इसी बिल में से 276 करोड़ रुपए के बकाया भुगतान को लेकर कथित डील हुई जिसके ऑडियो और वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुए हैं.

Last Updated :Sep 10, 2021, 5:59 PM IST
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