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उपचुनाव के लिटमस टेस्ट में पास हुए राजनीति के जादूगर, दो सीटें जीती, तीसरी में हार का मार्जिन किया कम

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Published : May 2, 2021, 2:09 PM IST

राजस्थान की तीन सीटों में हुए उपचुनाव के लिटमस टेस्ट में राजनीति के जादूगर अशोक गहलोत पास हुए हैं. उन्होंने कुशल रणनीति के जरिए संगठन को साथ रखकर अपना जलवा दिखा दिया. गहलोत ने सुजानगढ़ में मनोज मेघवाल का नाम तय करवाया, तो ऐन वक्त पर सहाड़ा का टिकट राजेंद्र त्रिवेदी की पत्नी गायत्री त्रिवेदी को टिकट दिया. वहीं संगठन और प्रभारी मंत्रियों को एकजुट कर राजसमंद की सीट का मार्जिन भी कम किया.

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उपचुनाव के लिटमस टेस्ट में पास हुए राजनीति के जादूगर

जयपुर. राजस्थान में तीन उपचुनाव के नतीजे अब जारी हो चुके हैं. नतीजों के बाद राजस्थान में विधानसभा सदस्यों की संख्या में किसी पार्टी के संख्या बल में कोई परिवर्तन नहीं होगा, क्योंकि जिस तरीके से पहले ही इन तीन विधानसभा सीटों में 2 सीटों पर कांग्रेस और एक सीट पर भाजपा काबिज थी. अब नतीजे एक बार फिर वही रहे हैं, लेकिन इन नतीजों के पीछे राजनीति की जादूगरी आने की राजस्थान कांग्रेस के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को माना जा रहा है. जिनकी बेहतर चुनावी रणनीति, चुनाव से पहले बजट में की गई घोषणाओं के चलते जनता ने कांग्रेस को अपना साथ दिया है.

Rajasthan by election 2021, Rajasthan assembly by election
एक साथ सवार होकर कांग्रेस के चारों नेताओं ने दिया जनता में एकजुटता का संदेश

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आपको बताते हैं कि संगठन के मुखिया गोविंद डोटासरा के साथ मिलकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कैसे रणनीति से दोनों सीटों को जीता और राजसमंद जैसी सीट, जो कांग्रेस लगातार 4 बार से बड़े मार्जिन से हार रही है, उसका मार्जिन भी काफी कम किया.

सुजानगढ़

सुजानगढ़ विधानसभा सीट पर कांग्रेस पार्टी ने पहले ही यह तय कर दिया था कि मनोज मेघवाल को टिकट दिया जाएगा. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस सीट को जीतने की जिम्मेदारी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को सौंपी. वहीं मंत्री भंवर सिंह भाटी जैसे शांत मंत्री को लगाया. पूरे चुनाव में एक बार भी कांग्रेस पार्टी में विवाद की स्थिति नहीं बनी और कांग्रेस की रणनीति ही माना जा रहा है कि हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी ने भाजपा को जबरदस्त नुकसान पहुंचाया.

सहाड़ा

राजस्थान में सहाड़ा विधानसभा सीट पर हर किसी की नजर थी कि यहां किस पार्टी को जीत मिलेगी. यह कहा नहीं जा सकता, लेकिन इस सीट पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सबसे पहले तो मास्टर स्ट्रोक लगाते हुए परिवार में चल रहे विवाद को शांत करते हुए दिवंगत विधायक कैलाश त्रिवेदी की पत्नी को टिकट दिया, जबकि एक समय यह कहा जा रहा था कि राजेंद्र त्रिवेदी ही सबसे बेहतरीन उम्मीदवार हो सकते हैं. लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गायत्री त्रिवेदी को टिकट देने के बाद पूरे परिवार में एकता बनाई और उसके बाद नतीजे सबके सामने हैं कि पार्टी बड़े मार्जिन से सहाड़ा विधानसभा सीट पर चुनाव जीती.

इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने अपने खास सिपहसालार स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा और कांग्रेस नेता धर्मेंद्र राठौड़ को पूरे चुनाव की चाबी सौंप कर रखी थी, जिन्होंने बेहतर बूथ मैनेजमेंट से इन चुनावों को जिताया. वहीं सहाड़ा विधानसभा चुनाव में भाजपा के बागी रहे पितलिया फेक्टर को भी कांग्रेस ने खूब भुनाया.

राजसमंद

राजसमंद विधानसभा सीट भले ही कांग्रेस पार्टी नहीं जीत सकी हो, लेकिन जिस तरीके से राजसमंद सीट पर कांग्रेस पार्टी ने चुनाव लड़ा है. उसे देखकर साफ कहा जा सकता है कि यह भी पार्टी के कार्यकर्ताओं के लिए किसी बड़े मोरल बूस्टर से कम नहीं है. राजसमंद की सीट लगातार कांग्रेस पार्टी 4 बार से हार रही थी, लेकिन हार का अंतर हमेशा 25,000 से ज्यादा रहा, लेकिन इस बार इस अंतर को कम करके कांग्रेस पार्टी 5000 तक ले आई. जबकि राजसमंद से चुनाव लड़ रही कैंडिडेट भी दीप्ति माहेश्वरी को भाजपा ने सहानुभूति के सहारे ही टिकट दिया था. लेकिन नए और साफ छवि के कैंडिडेट को उतारकर कांग्रेस ने भी इस बार राजसमंद के चुनाव को कड़ी टक्कर वाले चुनाव में परिवर्तित कर लिया.

एक साथ सवार होकर कांग्रेस के चारों नेताओं ने दिया जनता में एकजुटता का संदेश

चुनाव से पहले लगातार यह कयास लग रहे थे कि कांग्रेस की गुटबाजी का असर इन चुनाव में जरूर पड़ेगा, लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस पार्टी ने मास्टर स्ट्रोक को खेलते हुए नामांकन रैली के दिन ही चारों प्रमुख नेता गहलोत, पायलट, माकन और डोटासरा एक ही हेलीकॉप्टर में सवार होकर तीनों विधानसभा सीटों के प्रत्याशियों की नामांकन रैली में शामिल हुए. नतीजा यह हुआ कि भले ही गुटबाजी की बातें चलती रही हों, लेकिन जब चारों नेता एक मंच पर आकर इन प्रत्याशियों के पक्ष में वोट की अपील कर गए तो गहलोत पायलट की जो गुटबाजी की चर्चाएं थी, उन पर विराम लग गया और सब का ध्यान भाजपा की गुटबाजी की ओर चला गया.

नेताओं की बढ़ी साख

वैसे तो जब सत्ताधारी दल उपचुनाव में जीतता है, तो उसमें जीत की जिम्मेदारी पूरी तरीके से सरकार की होती है. ऐसे में 3 सीटों के नतीजे जो भी रहे, उन्हें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सरकार के कामकाज पर जनता के असर के तौर पर देखा जाएगा. लेकिन यह चुनाव राजस्थान कांग्रेस संगठन के लिये भी कोई पहले विधानसभा चुनाव थे. ऐसे में प्रदेश संगठन के मुखिया गोविंद सिंह डोटासरा, प्रदेश प्रभारी महासचिव अजय माकन और राजस्थान कांग्रेस के पूरे संगठन की साख के साथ ये चुनाव जुड़े रहे. अजय माकन 3 दिन तक राजसमंद और सहाड़ा विधानसभा सीट पर रुक कर चुनावी रणनीति तैयार करते दिखे. वहीं गोविंद डोटासरा लगातार सुजानगढ़ सीट पर अपनी नजर बनाए हुए थे. ऐसे में इन चुनाव के नतीजे कांग्रेस संगठन के लिए भी साख में इजाफा करने वाले साबित हुए हैं.

हालांकि इन चुनावों में चुनाव प्रबंधन संभाल रहे चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा, सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना और उच्च शिक्षा मंत्री भंवर सिंह भाटी की भी साख दांव पर थी, जिसमें से मंत्री रघु शर्मा और भंवर सिंह भाटी ने तो भारी मतों से अपनी सीटों में जीत दिलाकर अपने कद को बढ़ा लिया है. वहीं राजसमंद विधानसभा में भी कम मार्जिन से हुई हार से प्रभारी मंत्री उदयलाल आंजना और संगठन के नेताओं की छवि बेहतर हुई है.

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