जयपुर. ग्रेटर नगर निगम में बीजेपी बोर्ड में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. महापौर और उपमहापौर में जैसे कोल्ड वॉर चल रहा (cold war in Greater Nagar Nigam) है. इसका पहला संकेत है महापौर सौम्या गुर्जर के स्वच्छता सर्वेक्षण के पोस्टर का विमोचन बिना उपमहापौर के यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल से करवा लेना. इसके बाद उपमहापौर ने भी ऐसे ही महापौर को इग्नोर किया.
उपमहापौर ने मोक्ष धाम के विकास और दाह संस्कार में निशुल्क गोकाष्ठ का उपयोग करने को लेकर बिना महापौर की उपस्थिति के एक एमओयू साइन करवाया. जबकि इस दौरान महापौर भी मुख्यालय में ही मौजूद थीं. इससे पहले बिना चर्चा किए बजट अनुमोदन के लिए राज्य सरकार को भेजने के प्रकरण ने भी तूल पकड़ा था.
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गत 2 फरवरी को सौम्या गुर्जर की महापौर की कुर्सी पर वापसी के बाद से ऐसे कई वाकये हुए हैं, जिन्हें देखकर लगता है मानो ग्रेटर नगर निगम के बीजेपी बोर्ड में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा. हाल ही में गुर्जर ने बजट पर चर्चा किए बिना वित्त समिति के प्रस्ताव पर बजट अनुमोदन के लिए राज्य सरकार को भेज दिया था. जिसे लेकर बीजेपी पार्षदों ने उपमहापौर की अगुवाई में महापौर के कक्ष में जाकर सवाल भी खड़े किए थे.
इससे पहले महापौर स्वच्छता सर्वेक्षण का पोस्टर विमोचन कराने के लिए उपमहापौर से राय मशवरा किए बिना यूडीएच मंत्री के घर पहुंच गई थी. वहीं, उपमहापौर ने मोक्ष धामों के विकास और दाह संस्कार में गोकाष्ठ का उपयोग करने को लेकर ग्रेटर निगम के साथ अंशदानी फाउंडेशन और श्री राम आशापूर्णा चैरिटेबल ट्रस्ट के साथ एमओयू साइन करवाया. लेकिन इस दौरान मुख्यालय में ही मौजूद महापौर को बुलाना उचित नहीं समझा. एमओयू साइन होने के दौरान उपमहापौर के साथ निगम कमिश्नर यज्ञमित्र सिंह देव और मुख्यमंत्री सलाहकार विधायक राजकुमार शर्मा मौजूद रहे. इसे लेकर निगम के गलियारों में भी चर्चाएं चलती रहीं.
निगम की पॉलिटिक्स को एनालाइज करते हुए वरिष्ठ पत्रकार श्याम सुंदर शर्मा ने भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सौम्या गुर्जर ने दोबारा सीट संभाली है, लेकिन आपसी समन्वय की कमी नजर आ रही है और आंतरिक कलह की स्थिति बनी हुई है. वहीं, विपक्ष ने आरोप लगाया कि ग्रेटर नगर निगम बीजेपी के आपसी झगड़ों का शिकार हो रहा है. इसका खामियाजा क्षेत्र की जनता को भुगतना पड़ रहा है.
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आपको बता दें कि बीजेपी पार्षद सौम्या गुर्जर को नवंबर 2020 में महापौर चुना गया था. लेकिन निगम कमिश्नर से हुई तथाकथित हाथापाई के मामले में महापौर को प्रदेश सरकार ने सस्पेंड कर दिया था. हालांकि सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद गुर्जर दोबारा सीट पर तो बैठी हैं, लेकिन उपमहापौर के हाल ही में लिए गए उनके फैसले रास नहीं आ रहे.