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'सांड की आंख' को स्टेट GST से मिली छूट, सीएम गहलोत ने दी मंजूरी

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Published : Oct 10, 2019, 9:05 PM IST

मुख्यमंत्री आशोक गहलोत ने महिला सशक्तीकरण एवं खेल पर आधारित फिल्म 'सांड की आंख' को प्रदेश के मल्टीप्लेक्स और सिनेमाघरों में प्रदर्शन पर लगने वाले राज्य माल और सेवा कर से छूट प्रदान करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है.

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जयपुर. मुख्यमंत्री आशोक गहलोत ने महिला सशक्तीकरण एवं खेल पर आधारित फिल्म 'सांड की आंख' को प्रदेश के मल्टीप्लैक्स और सिनेमाघरों में प्रदर्शन पर लगने वाले राज्य माल और सेवा कर (एसजीएसटी) से छूट प्रदान करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है.

मुख्यमंत्री ने 'सांड की आंख' फिल्म को स्टेट जीएसटी से छूट की मंजूरी दी

बता दें कि यह फिल्म ग्रामीण परिवेश की दो महिलाओं के जज्बे और उनके संघर्ष की कहानी पर आधारित है. इसमें बताया गया है कि कैसे उत्तरप्रदेश के बागपत जिले के जौहरी गांव की दो वृद्ध महिलाएं चन्द्रो तोमर और प्रकाशी तोमर निशानेबाजी सीखती हैं.

अपने इस काम से दोनों महिलाएं गांव की बालिकाओं में आत्मविश्वास जगाती हैं और उन्हें खेलों को अपनाने के लिए प्रेरित करती है. यह फिल्म नारी सशक्तीकरण और सामाजिक मानसिकता में बदलाव का चित्रण करती है.

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उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने इससे पहले भी दो फिल्मों को सिनेमाघरों में प्रदर्शन के लिए राज्य माल एवं सेवा कर से मुक्त किया था. जिसमें पहली फिल्म गरीब पृष्ठभूमि के मेधावी विद्यार्थियों को आईआईटी की परीक्षा के लिए निशुल्क कोचिंग देकर उनके भविष्य निर्माण पर आधारित फिल्म 'सुपर-30' और दूसरी फिल्म 'पेडमैन' जिसमें महिलाओं में हाईजीन को बढ़ावा दिया गया था शामिल हैं.

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मुख्यमंत्री ने महिला सशक्तीकरण पर आधारित फिल्म ‘सांड की आंख‘
को स्टेट जीएसटी से छूट को मंजूरी दी

एंकर:- मुख्यमंत्री आशोक गहलोत ने महिला सशक्तीकरण एवं खेल पर आधारित फिल्म ‘सांड की आंख’ को प्रदेश के मल्टीप्लैक्स तथा सिनेमाघरों में प्रदर्शन पर लगने वाले राज्य माल एवं सेवा कर (एसजीएसटी) से छूट प्रदान करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।

Body:VO:- यह फिल्म ग्रामीण परिवेश की दो महिलाओं के जज्बे और उनके संघर्ष की कहानी पर आधारित है। इसमें बताया गया है कि कैसे उत्तरप्रदेश के बागपत जिले के जौहरी गांव की दो वृद्ध महिलाएं चन्द्रो तोमर और प्रकाशी तोमर निशानेबाजी सीखती हैं, गांव की बालिकाओं में आत्मविश्वास जगाती हैं और उन्हें खेलों को अपनाने के लिए प्रेरित करती है। यह फिल्म नारी सशक्तीकरण और सामाजिक मानसिकता में बदलाव का चित्रण करती है।
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने इससे पहले गरीब पृष्ठभूमि के मेधावी विद्यार्थियों को आईआईटी की परीक्षा के लिए निःशुल्क कोचिंग देकर उनके भविष्य निर्माण पर आधारित फिल्म ‘सुपर-30’ और महिलाओं में हाईजीन को बढ़ावा देने वाली फिल्म ‘पेडमैन’ को भी मल्टीप्लैक्स एवं सिनेमाघरों में प्रदर्शन के लिए राज्य माल एवं सेवा कर से मुक्त किया था।Conclusion:Vo
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