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Rajasthan : थर्मल इकाइयों में 2 से 5 दिन का कोयला शेष, लेकिन गर्मियों में निर्बाध बिजली आपूर्ति का दावा...

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Published : Apr 20, 2022, 7:51 PM IST

राजस्थान की थर्मल इकाइयों में 2 से 5 दिन का कोयला शेष बचा है. ऐसी स्थिति में न चाहकर भी विदेश से महंगा कोयल खरीदना पड़ेगा. इन सबके बीच प्रदेश में निर्बाध बिजली आपूर्ति का दावा (Electricity Condition in Rajasthan) किया जा रहा है. डिस्कॉम व ऊर्जा विभाग की क्या है रणनीति, यहां जानिए...

Bhaskar Sawant Discom Chairman
भास्कर ए. सावंत

जयपुर. तापमान में बढ़ोतरी के साथ बिजली की खपत में भी लगातार इजाफा हो रहा है, लेकिन प्रदेश में कोयले के संकट ने ऊर्जा विभाग को परेशानी में डाल रखा है. आलम यह है कि प्रदेश की थर्मल उत्पादन इकाइयों में 2 से 5 दिन का कोयला ही शेष है. यही कारण है कि अब विदेश से भी (Coal Availability in Rajasthan Thermal Units) कोयला आयात करने की तैयारी शुरू कर दी गई है. हालांकि, आयातित कोयला थोड़ा महंगा होगा, लेकिन गर्मियों में उपभोक्ताओं को निर्बाध बिजली की आपूर्ति हो, इसके प्रयास में डिस्कॉम व ऊर्जा विभाग जुट गया है.

2 से 6 दिन का कोयला शेष, 25 दिन का स्टॉक रखने का है नियम : राजस्थान में थर्मल आधारित बिजली इकाइयों में वर्तमान में 2 से 6 दिन का ही कोयला शेष है. जबकि ऊर्जा मंत्रालय की गाइडलाइन के अनुरूप बिजली उत्पादन इकाइयों में 20 से 26 दिन का कोयला स्टॉक रहना जरूरी है. राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम के अंतर्गत आने वाली राजस्थान की थर्मल आधारित उत्पादन इकाइयों की कुल उत्पादन क्षमता 7580 मेगावाट की है, लेकिन वर्तमान में इन थर्मल इकाइयों से 5610 मेगावाट बिजली उत्पन्न की जा रही है. मतलब पूरी क्षमता से इकाई काम करे, इसके लिए जरूरी है कि प्लांट्स में कोयला भरपूर मात्रा में हो.

भास्कर ए. सावंत ने क्या कहा...

छत्तीसगढ़ कोल माइनिंग का मसला भी अब तक है अनसुलझा : प्रदेश में कोयले संकट का एक बड़ा कारण छत्तीसगढ़ कोल माइनिंग का विवाद न सुलझना भी है. दरअसल, छत्तीसगढ़ में राजस्थान के पास मौजूद खदान से ही कोयला निकाला जा रहा है, लेकिन दूसरी फेस की खदान का आवंटन और अन्य एनओसी प्रक्रिया केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद पूरी होने के बाद भी दूसरी खदान से कोयले का खनन नहीं हो पा रहा. यही कारण है कि राजस्थान को अपनी थर्मल इकाइयों के लिए अब कोयले की दरकार है, लेकिन सस्ता कोयला अपने ही देश से मिलना संभव है. विदेश से खरीदा गया कोयला महंगा ही होगा. अभी तक राजस्थान में 3.86 लाख मीट्रिक टन कोयला खरीदने की प्रक्रिया शुरू की थी, लेकिन नए निर्देश के बाद इसे बढ़ाकर 9.65 मीट्रिक टन करने की प्लानिंग है. इससे बिजली कंपनियों पर अतिरिक्त आर्थिक भार आएगा. प्रदेश में 3240 मेगावाट क्षमता के बिजली घर है, जहां कोल इंडिया की सहायक कंपनियों से कोयला पहुंचता है. इन्हीं प्लांटों में विदेश से आयात होने वाला कोयला आएगा.

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फ्यूल सरचार्ज के नाम पर उपभोक्ताओं पर आएगा भार : वर्तमान में कोयले का संकट केवल राजस्थान के साथ में ही नहीं, बल्कि देश के अन्य कई राज्यों में भी है. यही कारण है कि केंद्र सरकार ने सभी राज्यों की बिजली कंपनियों को कोयला आयात करने के नियमों में कुछ छूट दी है. हालांकि, राजस्थान ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव और डिस्कॉम चेयरमैन भास्कर ए. सावंत का कहना है कि उनका प्रयास देश में ही सस्ता कोयला (Discom Chairman on Coal Supply in Rajasthan) खरीदने पर है, जिससे बिजली कंपनियों पर आर्थिक भार न आए. उन्होंने बताया कि इस सिलसिले में गुरुवार को दिल्ली में ऊर्जा मंत्रालय के अधिकारियों के साथ एक अहम बैठक भी होनी है, जिसमें कोयला खरीद से जुड़े मसले पर भी चर्चा होगी.

Electricity Condition in Rajasthan
गर्मियों में निर्बाध बिजली आपूर्ति का दावा...

निर्बाध बिजली देने का है प्रयास : डिस्कॉम चेयरमैन और ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव भास्कर ए. सावंत ने कहा है कि हमारा प्रयास बिजली उपभोक्ताओं को निर्बाध बिजली आपूर्ति का है और यह हमारा आत्मविश्वास है. लेकिन आम बिजली उपभोक्ताओं से भी हम इस बात की अपील करते हैं कि वह ऊर्जा बचत के प्रति जागरूक हों. सावंत के अनुसार गर्मियों में बिजली सप्लाई में परेशानी न हो, इसके लिए विशेष व्यवस्था की गई है. वहीं, उत्पादन इकाई पूरी क्षमता से काम करें और कोयले की आपूर्ति भी हो, इसके लिए सभी स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं.

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