आत्मदाह करने वाले संत के निधन से गरमाई सियासत, बीजेपी ने गहलोत सरकार को ठहराया जिम्मेदार...नड्डा ने बनाई उच्च स्तरीय समिति

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Published : Jul 23, 2022, 6:12 PM IST

Updated : Jul 23, 2022, 7:34 PM IST

Bharatpur saint died in Dehli hospital, BJP targets Gehlot government for death
अवैध खनन के खिलाफ आत्मदाह करने वाले संत के निधन से गरमाई सियासत, बीजेपी ने गहलोत सरकार को ठहराया मौत का जिम्मेदार ()

भरतपुर जिले में अवैध खनन को लेकर धरने के बीच खुद को आग लगाने वाले संत विजय दास का नई दिल्ली में देर रात निधन हो गया. संत विजय दास के निधन के बाद सियासी बयानबाजी तेज हो गई है. बीजेपी नेताओं ने संत के निधन का जिम्मेदार प्रदेश की गहलोत सरकार को ठहराया (BJP targets Gehlot govt) है. वहीं, अवैध खनन और संत विजय दास के आत्मदाह मामले पर भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने चार सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है.

जयपुर. अवैध खनन के खिलाफ आन्दोलन करने वाले संत विजय दास के निधन ने प्रदेश की सियासत को गरमा दिया (Bharatpur saint died in Dehli hospital) है. बीजेपी ने संत की मौत को लेकर प्रदेश की गहलोत सरकार को निशाने पर लिया है. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह सहित बीजेपी के तमाम नेताओं ने विजय दास की मौत को लेकर सरकार की संवेदनहीनता को जिम्मेदार ठहराया. वहीं, अवैध खनन और संत विजय दास के आत्मदाह मामले पर भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने चार सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है.

संत विजय दास का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा: बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा (Poonia on saint Vijay Das death) कि संत विजय दास का निधन हृदय विदारक है. एक संत आज सरकार की नाकामियों के बीच दिव्य ज्योति में लीन हो गए. पूनिया ने कहा कि संत ने खनन माफियाओं के खिलाफ अपने प्राणों की आहुति दी है और उनकी मौत का जिम्मेदार कोई है तो वह खनन माफिया को संरक्षण देने वाली प्रदेश की गहलोत सरकार. ब्रज चौरासी कोस का स्थान है जिस तरह से वहां पर पर्यावरण और रास्ते को चुनौती थी, इसके लिए वहां पर 551 दिन से आंदोलन चल रहा था. संत समाज आंदोलन कर रहा है. यह सरकार के संज्ञान में था, लेकिन सरकार ने उसको नजरअंदाज किया. केवल इतना ही नहीं खनन माफियाओं को संरक्षण देना गहलोत सरकार की फितरत बन चुकी है.

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पूनिया ने कहा कि प्रदेश में जितने भी खनन माफिया हैं, उन्होंने सरकार को गिरफ्त में लिया हुआ है और उसकी परिणति एक साधु को अपनी जान का बलिदान देना पड़ा. जिस तरह से खनन माफिया ने राजस्थान की शांति को खत्म किया हुआ है, भ्रष्टाचार पनपा और कानून व्यवस्था चुनौतीपूर्ण बनी, इन सब के बीच में जो प्रश्न खड़ा होता है, वह राजस्थान सरकार की उदासीनता को दिखाता है. पूनिया ने कहा कि लगता है कि पानी सिर से ऊपर गुजर चुका है. संत विजय दास का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा. इस घटना को लेकर लोगों में आक्रोश है.

ब्रज 84 कोस क्षेत्र को अवैध खनन से बचाने के लिए संत ने दी प्राणों की आहुति: केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने संत विजय दास के निधन पर शोक जताया है. शेखावत ने कहा कि यह हृदय विदारक सूचना है कि संत विजय दास दिव्य ज्योति में लीन हो गए हैं. उन्होंने ब्रज 84 कोस क्षेत्र को अवैध उत्खनन से बचाने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हठधर्मी राजस्थान सरकार की अनदेखी ने उन्हें अग्नि स्नान के लिए विवश किया था. संत समाज से अधिक माफिया का मत मानने वाला शासन-प्रशासन इस सामाजिक क्षति का जिम्मेदार है.

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शेखावत ने कहा कि निश्चित रूप से आज संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है कि एक साधु जिसे अपनी बात सरकार तक पहुंचाने के लिए प्राणों की आहुति दे दी. सरकार संत विजय दास की हत्या की पापी है. उनको आत्मदाह के लिए गहलोत सरकार ने उकसाया है. शेखावत ने कहा कि खनन के खिलाफ अपनी भावना सरकार तक पहुंचाने के लिए 550 दिन तक संघर्ष करना पड़े, फिर भी प्रदेश की बहरी और गूंगी सरकार तक आवाज नहीं पहुंचे. इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या होगा. शेखावत ने कहा कि पहले तो सरकार ने संतों की मांग को गंभीरता से नहीं लिया और जब संत का निधन हो गया और उनका अंतिम संस्कार उस जगह नहीं करने दिया जा रहा, जहां उन्होंने तपस्या की है, इससे बड़ा गुनाह क्या होगा.

संत की मौत की जिम्मेदार राज्य सरकार-राजे: पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे ने कहा (Raje on saint Vijay Das death) कि जिस राज्य में संतों के निस्वार्थ समाज को आंदोलन करना पड़े. लोकहित में मांगों को मनवाने के लिए अपनी बलि देनी पड़े, तो उस राज्य में इससे बड़ी अराजकता कोई और नहीं हो सकती. उन्होंने कहा कि घटना के बाद मुख्यमंत्री के प्रदेश में अवैध खनन नहीं रुकने के तथ्य को स्वीकार करने से ही स्पष्ट हो जाता है कि संत की मौत का जिम्मेदार कोई है, तो वह राज्य सरकार है.

पूर्व सीएम ने कहा कि वे संत विजय दास के परलोक गमन से बहुत आहत हैं. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे . उन्होंने कहा कि यदि राज्य सरकार संतों की आवाज को सुनने में 551 दिन का समय नहीं लगाती और समय रहते ही ऐक्शन ले लेती, तो आज एक संत की जान नहीं जाती. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने संत समाज की मांग पर 27 जनवरी, 2005 को ब्रज क्षेत्र में अवैध खनन पर रोक लगाई थी. लेकिन कांग्रेस सरकार में आस्था से जुड़े ब्रज क्षेत्र में अवैध खनन फिर से शुरू हो गया. इस मामले की उच्च स्तरीय जांच हो क्योंकि यदि अधिकारी और सत्ता से जुड़े राजनीतिज्ञ समय रहते ही संतों की बात सुन लेते तो एक संत की जान नहीं जाती.

संत विजयदास की आत्मदाह को लेकर बनी कमेटीः अवैध खनन और संत विजय दास के आत्मदाह मामले पर भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने चार सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है . यह समिति घटनास्थल का दौरा कर जानकारी एकत्रित करेगी और शीघ्र ही रिपोर्ट राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को सौंपेगी. इस उच्चस्तरीय समिति में राष्ट्रीय महामंत्री और प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह , सांसद स्वामी सुमेधानंद सरस्वती , पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सांसद सत्यपाल सिंह, उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक एवं सांसद बृजलाल यादव को शामिल किया गया है. ये घटनास्थल का दौरा कर तथ्य एकत्रित करेंगे और राष्ट्रीय अध्यक्ष को रिपोर्ट सौंपेंगे.

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... तो नहीं देना पड़ता बलिदान: भीलवाड़ा हरी सेवा उदासीन आश्रम के महामंडलेश्वर हंसाराम महाराज ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि साधु का बलिदान बेकार नहीं जाना चाहिए. सरकार को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए. हम सरकार पर दबाव बनाएंगे जिससे भविष्य में ऐसी घटना की पुनरावृत्ति ना हो. हंसराम महाराज ने कहा कि अगर शासन व प्रशासन वैध व अवैध खनन को रोकने के लिए सख्त कार्रवाई करता, तो आज हमारे संत समाज के विजय दास को बलिदान नहीं देना पड़ता. शासन व प्रशासन की नाकामी के कारण ही संत विजय दास ने आत्मदाह का प्रयास किया.

सुनवाई नहीं हुई: उन्होंने कहा कि आसोपा के पास स्थित आदि बद्री में कनकांचल क्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण ने क्रीड़ा की थी. यह सनातन धर्म के लिए खास पावन स्थान है. अगर यहां अवैध खनन व पर्यावरण संरक्षित नहीं रहेगा, तो हमारी सनातन संस्कृति कैसे संरक्षित रहेगी. ऐसे में संत समाज उस स्थान को बचाने के लिए लंबे समय से धरना दे रहे थे. लगातार धरने के बाद संत समाज की सुनवाई नहीं होने के कारण विजय दास ने आत्मदाह का प्रयास किया और उपचार के बाद निधन हो गया जिसका मुझे बहुत दुख है. हम सरकार से मांग करते हैं कि सख्त से सख्त कार्रवाई करें जिससे भविष्य में ऐसी घटना नहीं हो. साधु का बलिदान बेकार नहीं जाना चाहिए.

Last Updated :Jul 23, 2022, 7:34 PM IST
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