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ERCP को लेकर सर्वदलीय बैठक में बरसे CM गहलोत, वसुंधरा-पूनिया पर साधा निशाना...ये प्रस्ताव हुआ पारित

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Published : Jul 24, 2022, 10:27 PM IST

ईआरसीपी के मुद्दे पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक बार फिर (Politics on ERCP) केंद्र की मोदी सरकार को आड़े हाथों लिया. जयपुर में रविवार को सर्वदलीय बैठक में सीएम गहलोत ने वसुंधरा राजे और भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया पर निशाना साधा. मुख्यमंत्री ने बैठक में राजे, पूनिया और नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया के नहीं आने पर नाराजगी जताई.

CM Ashok Gehlot
बैठक के दौरान मुख्यमंत्री गहलोत

जयपुर. राजस्थान ईस्टर्न कैनाल परियोजना को लेकर रविवार देर शाम मुख्यमंत्री आवास पर सर्वदलीय बैठक हुई. बैठक में परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने पर सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने अपनी सहमति देकर प्रस्ताव पास किया. हालांकि, मुख्यमंत्री के निशाने पर (CM Gehlot Targets BJP) पूर्व सीएम वसुंधरा राजे और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया समेत मोदी सरकार रही. बैठक में गहलोत ने यह तक कह दिया कि पदयात्रा ज्यादा जरूरी है या जनता से जुड़े इस प्रोजेक्ट की बैठक.

करीब 2 घंटे तक मुख्यमंत्री आवास पर चली इस बैठक में सभी दलों के प्रतिनिधियों से प्रोजेक्ट को लेकर उनकी राय जानी. वहीं, मुख्यमंत्री ने बैठक में वसुंधरा राजे, सतीश पूनिया और नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया के नहीं आने पर नाराजगी भी जताई. नाराजगी का आलम यह रहा कि मुख्यमंत्री ने भाजपा के प्रतिनिधि के रूप में मौजूद वरिष्ठ नेता राजेंद्र राठौड़ और रामलाल शर्मा की तरफ देखते हुए यह तक कह दिया कि आप वसुंधरा जी को कहिएगा कि हम उनकी योजना को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं. उन्हें तो यहां आकर धन्यवाद देना चाहिए.

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने गुलाबचंद कटारिया, सतीश पूनिया जी को भी आमंत्रित किया था, लेकिन वह बैठक में नहीं आए. क्या जनता से जुड़े इस अहम (CM Gehlot Targets Vasundhara Raje and Satish Poonia) प्रोजेक्ट की मीटिंग से ज्यादा पद यात्रा जरूरी है ? गहलोत ने कहा हमारी मंशा रिफाइनरी की तरह योजनाओं को रोकने की नहीं है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री अगर योजना की घोषणा को याद नहीं रख पा रहे हैं तो हमारा फर्ज है कि हम उन्हें याद दिलाएं और उन्हें याद दिलाने में कोई दिक्कत भी नहीं होनी चाहिए.

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बैठक में यह बोले राजेंद्र राठौड़ और रामलाल शर्मा : बैठक में प्रतिपक्ष के उपनेता राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि यह इंटरस्टेट मामला है और जो इससे जुड़ी तकनीकी खामियां हैं उसे राजस्थान सरकार को दुरुस्त करके केंद्र सरकार से बात करनी चाहिए. राठौड़ ने कहा कि हम सब इस योजना को राष्ट्रीय परियोजना करवाना चाहते हैं, लेकिन प्रदेश सरकार ने 50% जल निर्भरता के आधार पर यह परियोजना बनाई है, जो अंतर राज्य जल समझौता का उल्लंघन है. ऐसे में इस योजना की तकनीकी खामियों को दूर करना चाहिए. हालांकि, मुख्यमंत्री ने कहा कि यहां इंटरस्टेट का मामला नहीं है. गहलोत ने कहा कि केंद्र सरकार को स्पष्ट कर देना चाहिए कि अगर योजना किसी भी सूरत में शुरू नहीं हो सकती तो राज्य सरकार इस योजना में अपना पैसा खर्च करे. वहीं, भाजपा विधायक और प्रवक्ता रामलाल शर्मा ने इस दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को सुझाव दिया कि आप और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत एक ही क्षेत्र के हैं. ऐसे में आप दोनों एक कमरे में बैठकर इस समस्या का समाधान करें और जो कमियां हैं आपस में चर्चा कर दूर करें.

रामपाल जाट ने कहा- 75% डिपेंडेबिलिटी का नहीं है कोई नियम : वहीं, बैठक में जब इंटरस्टेट विवाद के समाधान और तकनीकी खामियां दूर करने के बाद भाजपा से जुड़े प्रतिनिधियों ने कही तो किसान नेता रामपाल जाट ने उन्हें बीच में ही टोक दिया. जाट ने कहा कि इस प्रोजेक्ट या अन्य किसी प्रोजेक्ट में 75% डिपेंडेबिलिटी से जुड़ा कोई नियम है ही नहीं. जाट ने कहा कि जिस नियम की बात बीजेपी के नेता और मंत्री कहते हैं, उससे जुड़ा कोई सर्कुलर नहीं निकला. जाट ने कहा कि साल 2004 में विभाग के ज्वाइंट सेक्रेटरी ने एक पत्र निकाला था, लेकिन वो सर्कुलर की परिभाषा में तब तक नहीं आता जब तक कैबिनेट से उस पर मुहर ना लगी हो.

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