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इस घर को मिली देश की पहली 'नागरिकता', पाक से प्रताड़ित होकर भारत आया था ये परिवार...

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Published : Dec 12, 2019, 4:21 PM IST

लोकसभा और राज्यसभा से नागरिकता संशोधन बिल पास होने के बाद भी जहां लोगों का विरोध जारी है तो वहीं दूसरी तरफ नागरिकता हासिल करने की आस रखने वाले लोग काफी खुश नजर आ रहे हैं. दिल्ली में रह रहे एक पाकिस्तानी हिन्दू शरणार्थी ने तो नवजात का नाम ही नागरिकता रख दिया.

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परिजनों ने बच्ची का नाम रखा 'नागरिकता'

नई दिल्ली/जयपुर. नागरिकता संशोधन बिल को लेकर जहां पूर्वोत्तर समेत देश के अलग-अलग हिस्सों में विरोध जारी है. वहीं इस बिल के लागू होने के बाद नागरिकता हासिल करने की उम्मीद रखने वाले लोग काफी खुश दिखाई दे रहे हैं.

नवजात का नाम रखा 'नागरिकता'...

दिल्ली के मजनूं का टीला के पास रहने वाले एक पाकिस्तानी हिन्दू शरणार्थी ने नवजात का नाम नागरिकता रखा है. पिछले 7 साल से भारत में बतौर शरणार्थी रह रहे ईश्वर और आरती का कहना है कि उनकी बच्ची नागरिकता लेकर आई है, ऐसे में हमने उसका नाम नागरिकता रखा है.

परिजनों ने बच्ची का नाम रखा 'नागरिकता'

बिल पास होने से पहले नवजात का हुआ जन्म...

अपनी मां मीरा के साथ भारत आने वाले ईश्वर बताते हैं कि उनका सपना था कि उन्हें भारत की नागरिकता मिल जाए और ये सपना हकीकत में तब बदला जब नागरिकता संशोधन बिल सदन से पास हुआ. लोकसभा से बिल पास होने के एक दिन पहले ही बच्ची का जन्म हुआ तो उसका नाम नागरिकता रख दिया.

'पाकिस्तान में अपनापन नहीं था'...

ईटीवी भारत से बातचीत में आरती ने कहा कि इससे बड़ी बात क्या होगी कि हमारी बेटी हमारे लिए नागरिकता लेकर आई है और इसीलिए हमने इसका नाम नागरिकता रखा है. वहीं मीरा ने भी बताया कि उनकी पोती उनकी जिंदगी में खुशियों की बहार लेकर आई है. नागरिकता के पिता ईश्वर ने कहा कि पाकिस्तान में अपनापन और आजादी नहीं थी. बता दें कि ईश्वर और आरती के साथ-साथ कई शरणार्थी परिवार भी खुश हैं. 9 साल की श्रीदेवी का कहना है कि इस बिल के पास होने से अब उम्मीद जगी है.

Intro:राज्यसभा की तरफ से भी नागरिकता संशोधन विधेयक को मंजूरी मिल गई और इसी के साथ पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों की बस्ती में खुशी की ऐसी लहर दौड़ी कि 4 दिन पहले जन्मी एक बच्ची का नाम ही नागरिकता रख दिया गया.


Body:नई दिल्ली: मजनू का टीला के पास पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों की बस्ती है. यहां बीते 5-7 साल से सैकड़ों की संख्या में पाकिस्तानी हिंदू रह रहे हैं. भारत आते समय उनका सपना था कि वे हमेशा के लिए यहीं के होकर रह जाएंगे, लेकिन इसमें आड़े थी भारत की नागरिकता. लेकिन अब नागरिकता तो मिलती दिखने की इनकी खुशी ऐसी है जिन्हें बस इनके अहसास से ही समझा जा सकता है.

नागरिकता लेकर आई बच्ची

ईश्वर और आरती यहां पर बीते 7 साल से रह रहे हैं. अपनी मां मीरा जी और पूरे परिवार के साथ वे भारत आए थे. उस समय उनका सपना था कि भारत की नागरिकता मिल जाए, लेकिन सपना हकीकत में कुछ यूं बदला कि जिस दिन नागरिकता संशोधन बिल लोकसभा से पास हुआ उससे ठीक 1 दिन पहले इनके घर जन्मी बच्ची का नाम ही इन्होंने नागरिकता रख दिया.

पाकिस्तान में अपनापन नहीं था

ईटीवी भारत से बातचीत में आरती ने कहा कि इससे बड़ी बात क्या होगी कि हमारी बेटी हमारे लिए नागरिकता लेकर आई है और इसीलिए हमने इसका नाम नागरिकता रखा है. वहीं मीरा जी ने भी बताया कि उनकी पोती उनकी जिंदगी में खुशियों की बहार लेकर आई है. नागरिकता के पिता ईश्वर ने कोट के ऊपरी पॉकेट में तिरंगा लगा रखा है. उन्होंने अपना अहसास बयां करते हुए कहा कि पाकिस्तान में कुछ भी था अपनापन और आजादी नहीं थी, जो यहां है.


Conclusion:9 साल की श्रीदेवी की खुशी

यहां हमें 9 साल की श्रीदेवी भी मिली, जो आज सज धज कर श्रृंगार करके तैयार थी. उसके घर वालों ने बताया कि 2 साल की थी, तब वह भारत आई थी और आज आधिकारिक रूप से भारतीय होने की खुशी उस बच्ची के चेहरे से भी महसूस की जा सकती है. कुल मिलाकर पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों की बस्ती में रहने वाले हजारों लोगों के लिए आज आजादी का दिन है और उसे ये धूमधाम से सेलिब्रेट भी कर रहे हैं.
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