ETV Bharat / city

राजस्थान: 1004 करोड़ के फर्जी कारोबार का खुलासा, DGGI ने 5 आरोपियों को किया गिरफ्तार

author img

By

Published : Jan 23, 2021, 8:05 PM IST

राजस्थान में DGGI ने फर्जी इनवॉइस रैकेट का खुलासा करते हुए 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. प्रदेश में कुल 1004 करोड़ रुपए के फर्जी कारोबार का खुलासा हुआ है.

Fake invoice racket exposed,  DGGI action in Jaipur
1004 करोड़ के फर्जी कारोबार का खुलासा

जयपुर. डायरेक्टर जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलिजेंस ने प्रदेश में फर्जी इनवॉइस रैकेट का पर्दाफाश किया है. डीजीजीआई ने 1004 करोड़ की फर्जी इनवॉइस के मामले में 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. फर्जी इनवॉइस के मामले में आरोपी विष्णु गर्ग, महेंद्र सैनी, प्रदीप दयानी, बद्री लाल माली और चार्टर्ड अकाउंटेंट भगवान सहाय गुप्ता को गिरफ्तार किया गया है. आरोपी फर्जी इनवॉइस से सरकार को करोड़ों रुपए का चूना लगा रहे थे.

1004 करोड़ के फर्जी कारोबार का खुलासा

जानकारी के अनुसार गिरोह का मास्टरमाइंड विष्णु गर्ग है. आरोपियों ने 146 करोड़ की फर्जी आईटीसी क्लेम की है. डीजीजीआई (Directorate General of GST Intelligence) की जांच पड़ताल में सामने आया है कि आरोपियों ने 25 फर्जी फर्मों के जरिए 4 साल में 1004 करोड़ से ज्यादा का फर्जी कारोबार किया है. आरोपियों ने 1004 करोड़ रुपए के फर्जी इनवॉइस जारी कर 146 करोड़ रुपए की फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट ली है. फिलहाल, आरोपियों से गहनता से पूछताछ की जा रही है.

माल आपूर्ति के बिना नकली चालानों को जारी किया

डीजीजीआई (गुड्स एंड सर्विस टैक्स इंटेलिजेंस महानिदेशालय) के एडीजी राजेंद्र कुमार ने बताया कि विष्णु गर्ग ने माल की आपूर्ति के बिना नकली चालानों को जारी किया है. इस तरह के चालान पर आईटीसी यानी इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उठाया गया है. विष्णु गर्ग के पास इसके अलावा 20 अन्य फर्म पाई गई है जो फर्जी बिलों को जारी कर रही थी. विष्णु गर्ग ने सीजीएसटी अधिनियम 2017, आरजीएसटी अधिनियम 2017, आईजीएसटी अधिनियम 2017 और उसके नियमों से संबंधित विभिन्न प्रावधानों का उल्लंघन किया है.

पढ़ें- जयपुर में आयकर विभाग की छापेमारी में antique item का जखीरा बरामद, जयपुर पुलिस करेगी जांच

आरोपी के खिलाफ जांच पड़ताल करते हुए घर और कार्यालय में तलाशी ली गई, जहां पर कई दस्तावेज जब्त किए गए हैं. 25 फर्मों को जीएसटी के तहत और जीएसटी से पहले वैट के तहत भी बनाया गया था. नकली चालान में शामिल कुल मूल्य 1004.34 करोड़ रुपए हैं, जिसमें कुल आईटीसी 146.08 करोड़ शामिल है. यह राशि प्रारंभिक जांच में उजागर हुई है और जांच पूरी होने पर बढ़ भी सकती है.

मास्टरमाइंड ने जारी किया 200 फर्मों को चालान

मास्टरमाइंड विष्णु गर्ग ने 200 फर्मों को चालान जारी किया, जो राजस्थान, मध्य प्रदेश और तेलंगाना समेत अन्य राज्यों में है. मुख्य रूप से टिंबर, स्क्रैप, प्लाईवुड और गोल्ड के संबंध में बिल जारी किए गए हैं. आरोपियों की 25 फर्मों में से 21 फर्म सिर्फ कागजों में पाई गई है, जिनका वास्तविक कोई अस्तित्व ही नहीं है.

डीजीजीआई ने आरोपी विष्णु गर्ग के ठिकानों से 4 करोड़ रुपए से ज्यादा राशि जब्त की है. आरोपियों के खिलाफ जीएसटी एक्ट की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जांच की जा रही है. अब तक की जांच में सामने आया है कि इन फर्मों को माल की वास्तविक आपूर्ति के बिना फर्जी चालान के आधार पर आईटीसी के फर्जी तरीके से पारित करने के एकमात्र उद्देश्य के लिए बनाया गया था. विष्णु गर्ग ने अब तक कुल राशि 4.05 करोड़ जमा किए हैं.

चार्टर्ड अकाउंटेंट भी गिरफ्तार

आरोपी बद्री लाल माली और महेंद्र सैनी दोनों टोंक निवासी हैं और विष्णु गर्ग के कर्मचारी और सहयोगी हैं. इन्होंने सारे कार्यों में अपने मालिक के आदेशों का पालन किया और सभी तरह से सहयोग प्रदान किया. जांच में यह भी सामने आया है कि 25 फर्जी फर्मों में से 21 फर्जी फर्मों को चलाने के लिए सहायता और मार्गदर्शन करने में चार्टर्ड अकाउंटेंट भगवान सहाय गुप्ता सक्रिय रूप से शामिल हैं. चारों आरोपी के साथ चार्टर्ड अकाउंटेंट को भी गिरफ्तार किया गया है.

पढ़ें- सबसे बड़ी IT रेड! आयकर विभाग को सुरंग में मिला खजाना, उजागर की 2000 करोड़ की अघोषित आय

आरोपियों ने सीजीएसटी अधिनियम-2017 के विभिन्न प्रावधानों का और उसके तहत बनाए गए नियमों का उल्लंघन किया है. आरोपी प्रदीप दयानी हैदराबाद निवासी है. आरोपी ने हैदराबाद में एक फर्म चलाने में विष्णु गर्ग की सक्रिय रूप से सहायता की और चालान जारी किए. कमीशन के आधार पर प्रेषण स्थानांतरित किए और रिटर्न दाखिल किए. माल की आपूर्ति के बिना चालान जारी करने के उद्देश्य के लिए स्वयं के नाम पर एक और फर्म पंजीकृत की गई. इन दोनों फर्मों के नकली चालान में शामिल कुल मूल्य 17.35 करोड़ रुपए, जिसमें कुल 3.15 करोड़ रुपए शामिल है.

2017 से अब तक 25 लोग गिरफ्तार

आरोपियों ने 1004 करोड़ रुपए के फर्जी इनवॉइस कागजी कंपनियों के नाम पर बनाएं, जिनमें मेसर्स विकास ट्रेडिंग कंपनी, मेसर्स श्याम ट्रेडर्स, मेसर्स विनायक एसोसिएट, मेसर्स एसपी एंटरप्राइजेज एंड कॉरपोरेशन शामिल है. डीजीजीआई ने 2017 से अब तक 25 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें से 21 को नकली चालान जारी करने के लिए गिरफ्तार किया गया है. नकली चालान जारी करने के मुख्य मामले में कुल 798.88 करोड़ की चोरी उजागर हुई है और 204.86 करोड़ की वसूली की गई है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.