Protest Against HZL: हिंदुस्तान जिंक के खिलाफ ग्रामीणों का फूटा गुस्सा, लंबित मांगों के समाधान के लिए अब राष्ट्रपति से गुहार

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Published : Jul 14, 2022, 9:32 PM IST

Villagers protest against Hindustan Zinc limited

हिंदुस्तान जिंक के खिलाफ गुरुवार को ग्रामीणों ने विभिन्न मांगों को लेकर जिला कलेक्ट्रेट पर (Villagers protest against Hindustan Zinc limited) प्रदर्शन किया. इस दौरान ग्रामीणों ने जिला कलेक्टर को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा और आमरण अनशन की चेतावनी दी.

भीलवाड़ा. जिले के गुलाबपुरा उपखंड क्षेत्र स्थित हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड के खिलाफ फेराफेरी क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीणों का (Villagers protest against Hindustan Zinc limited) गुस्सा फूट पड़ा. ग्रामीणों ने गुरुवार को कलेक्ट्रेट पहुंचकर लंबित मांगों के निराकरण की मांग की. इस संबंध में उन्होंने जिला कलेक्टर आशीष मोदी को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा. इस दौरान ज्ञापन सौंपने आए ग्रामीणों ने हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह कंपनी नियमों की अवेलना कर रही है. इसके साथ ही किसानों की आवार्ड राशि भी नहीं लौटा रही है. इस समस्या के समाधान के लिए आज ज्ञापन दिया गया है. अगर प्रशासन इस पर कार्रवाई नहीं करता है तो हम कलेक्ट्रेट पर आमरण अनशन करेंगे. वहीं महिलाओं ने कहा कि हम आज नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं. धरातल पर कोई मूलभूत सुविधा हमें नहीं मिल रही हैं.

प्रदर्शन के दौरान उन्होंने मांग की कि हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड की ओर से वर्ष 2013 में की अवार्ड राशि रीको को जमा करवाने के साथ ही जिन किसानों को अवार्ड से बाहर किया गया उनको क्षति पूर्ति राशि का भुगतान , वर्ष 2011 में बिना कारण श्रमिकों को बाहर निकाले जाने पर उन श्रमिकों को न्याय देने के साथ ही भील व बागरिया बस्ती खेड़ा पालोला के लोगों को पट्टा दिलाने की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा.

ग्रामीणों का फूटा गुस्सा

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प्रदर्शन के दौरान किसान सौभाग माली ने मीडिया से बातचीत में कहा कि आज हमने हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड की कुरीतियों व तानाशाही नीति के खिलाफ ज्ञापन दिया. वर्ष 2012 में जिंक में जिन लोगों की जमीन अवाप्त की गई आज तक उसकी अवार्ड राशि जमा नहीं करवाई है. इनके साथ ही वर्ष 2002 में हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड ने भीलों का खेड़ा पालोला गांव विस्थापित कर नया बसाया था. वहां सभी दलित परिवार के लोग रहते हैं लेकिन आज तक वहां मूलभूत सुविधा नहीं मिल रही है जिनके कारण वहां के लोग नारकीय जीवन जीने को लोग मजबूर हैं.

वर्ष 2011 में हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड ने 23 मजदूरों को बिना कारण बताए बाहर निकाल दिया है जिससे वह मजदूर अभी तक बेरोजगार हैं. सौभाग माली ने आरोप लगाते हुए कहा कि जिंक प्रबंधन इतना तानाशाह हो गया की न्यायिक आदेश मानने को भी तैयार नहीं है.

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ज्ञापन देने आए आगूचा गांव के ओम प्रकाश टेलर ने कहा कि हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड ने वर्ष 2012 में जिक के प्लांट के एक्सटेंशन के लिए भूमि की आवाप्ति की थी. उसके लिए एसडीएम व रीको में मीटिंग हुई और वर्ष 2016 में सारा अवार्ड तैयार कर दिया. फिर अचानक उस अवाप्ति को डिनोटिफाइड कर दिया है जो बहुत ही गलत है. हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड खनन के दौरान पर्यावरण नियमों की अवहेलना कर रहा है. आज तक पर्यावरण के नाम पर जिंक के पेराफेरी क्षेत्र में पौधे नहीं लगाए हैं और पर्यावरण संवर्धन के लिए एक बीघा जमीन भी नहीं है. हाल ही में एनजीटी ने सर्वे किया है और माना है कि जिंक के आसपास का पर्यावरण दिल्ली के पर्यावरण से भी बहुत ज्यादा प्रदूषित है.

खेड़ा पालोला गांव से आई दलित महिला मोहनी का भी प्रेस के सामने दर्द छलक पड़ा. उन्होंने कहा कि 30 वर्ष पहले जिंक ने कांटे की जगह साफ सफाई करके हमको बसाया था, लेकिन आज तक हमारी तरफ न रोड है और न पीने का पानी. कोई हम दलितों की सुनने वाला नहीं है. हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड हमें मूलभूत सुविधा भी उपलब्ध नहीं करवा रही है. क्षेत्र की सायरी बागरिया ने कहा कि हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड दलितों के साथ अत्याचार कर रही है. हमारी खेड़ा पालोला गांव की दलित बस्ती में आज तक बुनियादी सुविधाएं भी नहीं मिल रही है.

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