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यूक्रेन संकट के बीच लौटी भीलवाड़ा की बेटी, बोली- सोचा नहीं था ऐसे दिन भी देखने पड़ेंगे...मैंने गोलियां चलते, बम फूटते देखा

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Published : Mar 3, 2022, 1:34 PM IST

Updated : Mar 3, 2022, 2:25 PM IST

अपनों के बीच लौटी आकृति खुद को अब सुरक्षित समझ रही है. यूक्रेन संकट को झेल कर अपने शहर लौटी मेडिकल स्टूडेंट (Medical Student return India from Ukraine) ने ईटीवी भारत से बातचीत में उन दहशत भरे पलों को साझा किया.

Medical Student return India from Ukraine
यूक्रेन संकट के बीच लौटी भीलवाड़ा की बेटी

भीलवाड़ा. रूस और यूक्रेन के बीच छिड़े युद्ध से दिनोंदिन हालात खराब होते जा रहे हैं. सबसे ज्यादा मुश्किल उनके लिए है जो विदेशी हैं. वहां बड़ी तादाद में भारतीय छात्र मेडिकल की पढ़ाई करते हैं. भारत सरकार ने उन छात्रों को वहां से निकालने के लिए ही ऑपरेशन गंगा (Operation Ganga In Ukraine) चलाया है. इस ऑपरेशन के तहत ही गुरुवार को कपड़ा नगरी की बेटी आकृति अपनों के बीच लौटी (Medical Student return India from Ukraine) है.

ईटीवी से बातचीत के दौरान भीलवाड़ा की इस बेटी ने उन कठिन क्षणों को साझा किया जिसकी कल्पना मात्र से सिहरन पैदा होती है. उन मुश्किलों लम्हों को गुजार घर पहुंची तो स्वजनों की आंखें छलछला गईं. बेटी की वापसी पर खुशी जाहिर की और केक काटकर उसका स्वागत किया.

यूक्रेन संकट के बीच लौटी भीलवाड़ा की बेटी

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नहीं सोचा था ऐसे दिन भी आएंगे: कठिन परिस्थितियों में यात्रा कर भीलवाड़ा पहुंची आकृति कहती हैं मुझे अपने घर पहुंचकर बहुत अच्‍छा लग रहा है. कम्पलीट महसूस कर रही हूं. मैने कभी ये उम्‍मीद नहीं कि थी की मुझे यह दिन भी देखने पड़ेंगे. मैंने अपने सामने बम ब्‍लास्‍ट होते देखा, गोलियां चलती देखीं और ये सब मेरे लिए भयानक था.

वो पुराने दिन और बंकर में बिताए ये दिन: जब बम ब्‍लास्‍ट होते थे तब हमें बंकर में छुपना पड़ता था. अब वैसे दिन नहीं हैं, हालात बदल गए हैं. मैं युक्रेन के ओडेसा में 4 साल से मेडिकल की पढ़ाई कर रही थी. यह ब्‍लैक सी के पास है. मेरे पिछले 4 साल अच्‍छे गए और पढ़ाई भी अच्‍छी चल रही थी. हमें युनिवर्सिटी वाले भी बहुत स्‍पोर्ट करते थे.

बॉर्डर पार करना था बड़ा काम: आकृति के मुताबिक उनके लिए पहला बड़ा काम ओडेसा से लेकर बोर्डर क्रॉस करना था. कहती हैं- बॉर्डर तक इंडियन छात्र छात्रा अपनी रिस्क पर पहुंच रहे हैं. वहां रह रहे हर भारतीय को सबसे पहले बॉर्डर तक पहुंचना होता है. चाहे वो रूमानियां हो, पोलैंड हो या हंगरी हो मै हंगरी बॉर्डर से आयी हूं. मैं सबसे पहले ट्रेन से ओडेसा से ऊजेट और फिर हंगरी बॉर्डर पर पहुंची थी.

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दूतावास ने दिया सहारा: भीलवाड़ा की बेटी ने Embassy की मदद को बहुत अहम माना. साथ ही केन्द्र और राज्य सरकार का भी शुक्रिया अदा किया. बताया- हमारी भारतीय दुतावास, केन्‍द्र और राज्‍य सरकार ने बहुत मदद की है. हमें रहने की जगह और खाना भी उपलब्‍ध करवाया और सरकार की मदद से ही मैं यहां तक पहुंची हुं. मैं भारत सरकार से यही अपील करूंगी की अभी भी कई छात्र-छात्राएं है जो वहां पर फंसे हुए हैं उन्हें भी जल्द से जल्द अपने वतन लेकर आया जाए.

Last Updated : Mar 3, 2022, 2:25 PM IST
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