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SPECIAL: लॉकडाउन के कारण वस्त्र उद्योग पर गहरा रहा संकट, अब तक 2 हजार करोड़ का हो चुका नुकसान

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Published : May 2, 2020, 8:43 PM IST

भीलवाड़ा में सारे कपड़ा उद्योग का संचालन बंद है. ऐसे में इस लॉकडाउन ने कपड़ा उद्योग के सामने संकट खड़ा कर दिया है. उद्यमियों सरकार से मांग कर रहे हैं कि वे इसके संचालन की शर्तों में छूट दे.

Bhilwara news, भीलवाड़ा वस्त्र उद्योग
भीलवाड़ा वस्त्र उद्योग पर संकट

भीलवाड़ा. कोरोना जैसी महामारी की चेन को खत्म करने के लिए भीलवाड़ा में लॉकडाउन है. वहीं वस्त्रनगरी के नाम से विख्यात भीलवाड़ा में तमाम उद्योग बंद है. इस लॉकडाउन ने वस्त्र उद्योग की कमर तोड़ दी है. लॉकडाउन के कारण वस्त्र उद्योग को अब तक दो हजार करोड़ का नुकसान हुआ है. वहीं स्थिति समान्य होने के बाद भी कपड़ा उद्योग को इस नुकसाने से उबरने में 1 साल से भी अधिक समय लग जाएगा.

भीलवाड़ा वस्त्र उद्योग पर संकट

लॉकडाउन के दौरान सारे उद्योग ठप पड़े हैं. इस कारण टेक्सटाइल उद्योग की कमर टूट गई है. भीलवाड़ा टेक्सटाइल ट्रेड फेडरेशन के महासचिव प्रेम स्वरूप गर्ग ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. जिसमें उन्होंने वस्त्र उद्योग के सामने आ रही समस्याओं को साझा किया. उन्होंने कहा कि इस समय इस महामारी से निपटने के लिए लॉकडाउन आवश्यक है लेकिन वस्त्र उद्यमियों को इससे बहुत नुकसान हुआ. वर्तमान में कुछ वस्त्र इकाइयों को चलाने के लिए छूट दे दी गई है लेकिन सभी संचालित नहीं हो पाई हैं.

Bhilwara news, भीलवाड़ा वस्त्र उद्योग
वस्त्र नगरी के नाम से जाना जाता है भीलवाड़ा को
  • 'वस्त्र नगरी' के नाम से प्रसिद्ध है भीलवाड़ा
  • राजस्थान में टेक्सटाइल की कुल 29 ईकाइयां, 14 अकेले भीलवाड़ा में
  • भीलवाड़ा में लगभग 400 ईकाइयों का होता है संचालन
  • भीलवाड़ा से 60 देशों को एक्सपोर्ट होता है वस्त्र और यार्न
  • सालाना लगभग 18,000 करोड़ का होता है वस्त्र कारोबार
  • 20 मार्च से तमाम औद्योगिक इकाइयां बंद
  • लॉकडाउन के कारण वस्त्र उद्योग को हुआ 2,000 करोड़ का नुकसान
  • लॉकडाउन के बाद भी वस्त्र उद्योग को उबरने में लगेगा 1 साल का समय
    Bhilwara news, भीलवाड़ा वस्त्र उद्योग
    गोदाम में पड़ा कपड़े का स्टॉक

20 मार्च से तमाम औद्योगिक इकाइयां बंद

गर्ग ने कहा कि नुकसान होने के बाद भी वस्त्र उद्यमी श्रमिकों को वेतन दे रहे हैं. प्रदेश स्तर पर विद्युत विभाग को एवरेज बिल भी चुकाना पड़ रहा है. दूसरी तरफ सरकार विद्युत बिल भुगतान के लिए प्रेशर बना रही है. सरकार कह रही है कि अगर समय पर बिल का भुगतान नहीं किया तो बिल पर 35 प्रतिशत ब्याज लगेगा. इस विश्वव्यापी महामारी के समय उद्योग द्वारा बिजली काम में नहीं ली गई. उद्योग सरकार द्वारा बंद करवाए गए उसके बाद भी सरकार हमारे से ब्याज वसूल रही है, जो एक सरकार का विरोधाभासी कदम है.

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ट्रेड महासचिव आगे कहते हैं कि सरकार हमें सशर्त इकाइयां चालू करने को कह रही है लेकिन लघु उद्यमी उन शर्तों को पूरा करते हुए कभी भी जीवन में उद्योग नहीं चला पाएंगे. वस्त्र उद्योग आगे कब और कैसे काम कर पाएगा, इस पर संशय बना हुआ है. गर्ग कहते हैं कि सरकार किसी प्रकार वस्त्र उद्योग को चलाने के लिए शर्तों को नॉर्मल भी कर दें तो भी उद्यमियों को इतने बड़े घाटे से उबरने में लगभग 1 साल का समय लगेगा.

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