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शिक्षा और सुविधाओं के मामलों में अव्वल है भरतपुर का यह सरकारी विद्यालय, स्कूल स्टाफ और ग्रामीणों की पहल से बदली तस्वीर

'भगवान के भरोसे मत बैठो क्या पता भगवान तुम्हारे भरोसे बैठा हो....ये बात दशरथ मांझी 'द माउंटेन मैन' ने कही है लेकिन उनकी इस बात से प्रेरणा लेकर भरतपुर सरकारी विद्यालय के स्कूल स्टाफ और ग्रामीणों ने जो किया वह काबिले तारीफ है. जी हां, जिले के इस सरकारी स्कूल के स्टाफ और यहां के ग्रामीणों ने 'सरकारी तंत्र' के भरोसे बैठने के बजाए अपने स्तर पर आर्थिक सहयोग और मेहनत से विद्यालय की कायापलट कर दी है. आज यहां निजी स्कूल से भी बेहतर सुविधाएं हैं. पढ़ें पूरी खबर...

government school of bharatpur has better facilities
अव्वल है भरतपुर का यह सरकारी विद्यालय
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Published : Jan 31, 2022, 7:23 PM IST

Updated : Feb 4, 2022, 2:15 PM IST

भरतपुर. प्रदेश में सरकारी स्कूलों में शिक्षा और सुविधाओं के हालात किसी से छुपे नहीं हैं. यही वजह है कि लोग सरकारी विद्यालयों के बजाय आधुनिक सुविधाओं से युक्त निजी स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाना अधिक पसंद करते हैं, लेकिन भरतपुर जिले का एक सरकारी स्कूल ऐसा है जो न केवल सुविधाओं में बल्कि शैक्षणिक स्तर के मामले में भी निजी स्कूलों को मात (government school of Bharatpur has better facilities) दे रहा है.

कई निजी स्कूल भी इसके आगे दोयम दर्जे के नजर आएंगे. और यह सब कुछ संभव हो सका है स्कूल स्टाफ और ग्रामीणों की पहल से. बीते 4 साल में स्कूल स्टाफ और ग्रामीणों ने स्कूल में सुविधाओं और शैक्षणिक स्तर के सुधार के लिए 22 लाख रुपए से अधिक का आर्थिक सहयोग प्रदान किया है. आज हालात ये हैं कि स्कूल की तस्वीर बदल गई है.

अव्वल है भरतपुर का यह सरकारी विद्यालय

पढ़ें. फुटपाथ पर चल रही 'दीदी' की अनूठी पाठशाला, भिक्षा मांगने वाले बच्चों का शिक्षा से संवार रहीं भविष्य

ऐसे शुरू हुआ कारवां
स्कूल के प्रधानाचार्य विनोद शर्मा ने बताया कि वह दिसंबर 2017 में प्रतापगढ़ से स्थानांतरित होकर शीशवाड़ा के राजकीय आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय (Government Model Higher Secondary School of Shishwada) आए थे. तब यहां के हालात ज्यादा अच्छे नहीं थे. ऐसे में 26 जनवरी 2018 के एक कार्यक्रम के दौरान ग्रामीणों को स्कूल की आवश्यकताओं के बारे में जानकारी दी गई. ग्रामीणों से कोई आर्थिक सहयोग मिलता उससे पहले ही स्कूल के स्टाफ ने 84 हजार रुपए इकट्ठा करके स्कूल के लिए एक अच्छे मंच का निर्माण करा दिया.

स्कूल स्टाफ की पहल को देखकर ग्रामीणों में भी उत्साह आया और उन्होंने सोचा कि जब स्टाफ उनके बच्चों की शिक्षा के लिए इतना कर रहा है तो वे खुद क्यों नहीं कर सकते. इसके बाद काफी संख्या में ग्रामीण आगे आए और अपनी क्षमता के अनुरूप आर्थिक सहयोग करने लगे. धीरे-धीरे हालात भी बदल गए और सुविधाएं भी पर्याप्त हो गईं.

government school of jodhpur has better facilities
स्कूल स्टाफ ने खुद बनवाया मंच

पढ़ें. Special: युवाओं के जज्बे को सलाम, झालावाड़ में गरीब बच्चों के लिए चला रहे 'पाठशाला', पाठ्य सामग्री भी दे रहे मुफ्त

अब तक 22 लाख से अधिक का सहयोग
प्रधानाचार्य विनोद शर्मा ने बताया कि वर्ष 2018 से अब तक जहां स्कूल के स्टाफ की तरफ से करीब दो लाख रुपए आए हैं वहीं ग्रामीणों की तरफ से करीब 20 लाख रुपए से अधिक का आर्थिक सहयोग विद्यालय को मिल चुका है. स्कूल स्टाफ और ग्रामीणों की ओर से मिलने वाले आर्थिक सहयोग का स्कूल और शैक्षणिक स्तर के विकास पर खर्च किया जाता है. इसके लिए एक स्कूल की ओर से एक कमेटी भी बनाई गई है जिसमें गांव के प्रबुद्ध लोग भी जुड़े हुए हैं. उनकी देखरेख में यह पूरा पैसा खर्च किया जाता है.

पढ़ें. शिक्षक दिवस विशेष: दोस्तों की अनूठी पहल, 'अपनी पाठशाला' से नौनिहालों का भविष्य कर रहे उज्जवल

स्कूल में ये हैं सुविधाएं
सम्पूर्ण विद्यालय परिसर और कक्षाकक्ष सीसीटीवी की नजर में.
सम्पूर्ण विद्यालय परिसर wifi.
क्रियाशील विज्ञान प्रयोगशाला.
उच्च आईसीटी लैब.
कक्षाओं में सिर्फ व्हाइटबोर्ड का उपयोग.
24 घंटे पावर बैकअप.
पुस्तकालय एवं वाचनालय.
कालांश बदलने के लिए इलेक्ट्रिक बेल.
प्रधानाचार्य कक्ष में ही विद्यार्थियों के परिजनों व आगंतुकों के लिए बैठने की उचित व्यवस्था.
विद्यालय परिसर और खेल मैदान में 500 पौधे लगाए.
पूरे परिसर में उद्यान लगाकर हराभरा बनाया.

पढ़ें. Special: कमजोर पायों पर नन्हें-मुन्नों की पाठशाला, मां बाड़ी भवन के निर्माण में प्रयोग हो रही घटिया सामग्री

निजी स्कूलों से टीसी कटवा रहे बच्चे
प्रधानाचार्य विनोद शर्मा ने बताया कि जिस समय वह प्रतापगढ़ से स्थानांतरित होकर यहां आए थे. उस समय यहां पर 217 बच्चे अध्ययनरत थे, लेकिन आज स्टाफ और ग्रामीणों की मदद से स्कूल का नामांकन 500 तक पहुंच गया है। ग्रामीण दान सिंह ने बताया कि अब विद्यालय में ना केवल शीशवाड़ा गांव के बल्कि आसपास के 11 गांव के बच्चे अध्ययनरत हैं। इनमें से कई बच्चे तो ऐसे हैं जो पहले निजी स्कूलों पढ़ने जाते थे लेकिन अब निजी स्कूलों से टीसी कटवाकर यहां पर पढ़ने आते हैं.

government school of bharatpur has better facilities
ग्रामीणों की मदद से जुटाईं सामग्री

विज्ञान संकाय की मांग
ग्रामीण बाबूलाल ने बताया कि विद्यालय में विज्ञान संकाय नहीं है जिसके चलते अपने गांव और आसपास के अन्य गांवों के बच्चे विज्ञान संकाय की पढ़ाई करने के लिए या तो डीग और भरतपुर जाते हैं या फिर नगर और अलवर जाते हैं. इस संबंध में स्कूल प्रबंधन और ग्रामीणों ने कई बार जनप्रतिनिधियों से भी संपर्क किया लेकिन कहीं पर कोई सुनवाई नहीं हुई. यदि विद्यालय में विज्ञान संकाय खुल जाए तो क्षेत्र के बच्चों की पढ़ाई के लिए अच्छी सुविधा हो जाएगी.

भरतपुर. प्रदेश में सरकारी स्कूलों में शिक्षा और सुविधाओं के हालात किसी से छुपे नहीं हैं. यही वजह है कि लोग सरकारी विद्यालयों के बजाय आधुनिक सुविधाओं से युक्त निजी स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाना अधिक पसंद करते हैं, लेकिन भरतपुर जिले का एक सरकारी स्कूल ऐसा है जो न केवल सुविधाओं में बल्कि शैक्षणिक स्तर के मामले में भी निजी स्कूलों को मात (government school of Bharatpur has better facilities) दे रहा है.

कई निजी स्कूल भी इसके आगे दोयम दर्जे के नजर आएंगे. और यह सब कुछ संभव हो सका है स्कूल स्टाफ और ग्रामीणों की पहल से. बीते 4 साल में स्कूल स्टाफ और ग्रामीणों ने स्कूल में सुविधाओं और शैक्षणिक स्तर के सुधार के लिए 22 लाख रुपए से अधिक का आर्थिक सहयोग प्रदान किया है. आज हालात ये हैं कि स्कूल की तस्वीर बदल गई है.

अव्वल है भरतपुर का यह सरकारी विद्यालय

पढ़ें. फुटपाथ पर चल रही 'दीदी' की अनूठी पाठशाला, भिक्षा मांगने वाले बच्चों का शिक्षा से संवार रहीं भविष्य

ऐसे शुरू हुआ कारवां
स्कूल के प्रधानाचार्य विनोद शर्मा ने बताया कि वह दिसंबर 2017 में प्रतापगढ़ से स्थानांतरित होकर शीशवाड़ा के राजकीय आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय (Government Model Higher Secondary School of Shishwada) आए थे. तब यहां के हालात ज्यादा अच्छे नहीं थे. ऐसे में 26 जनवरी 2018 के एक कार्यक्रम के दौरान ग्रामीणों को स्कूल की आवश्यकताओं के बारे में जानकारी दी गई. ग्रामीणों से कोई आर्थिक सहयोग मिलता उससे पहले ही स्कूल के स्टाफ ने 84 हजार रुपए इकट्ठा करके स्कूल के लिए एक अच्छे मंच का निर्माण करा दिया.

स्कूल स्टाफ की पहल को देखकर ग्रामीणों में भी उत्साह आया और उन्होंने सोचा कि जब स्टाफ उनके बच्चों की शिक्षा के लिए इतना कर रहा है तो वे खुद क्यों नहीं कर सकते. इसके बाद काफी संख्या में ग्रामीण आगे आए और अपनी क्षमता के अनुरूप आर्थिक सहयोग करने लगे. धीरे-धीरे हालात भी बदल गए और सुविधाएं भी पर्याप्त हो गईं.

government school of jodhpur has better facilities
स्कूल स्टाफ ने खुद बनवाया मंच

पढ़ें. Special: युवाओं के जज्बे को सलाम, झालावाड़ में गरीब बच्चों के लिए चला रहे 'पाठशाला', पाठ्य सामग्री भी दे रहे मुफ्त

अब तक 22 लाख से अधिक का सहयोग
प्रधानाचार्य विनोद शर्मा ने बताया कि वर्ष 2018 से अब तक जहां स्कूल के स्टाफ की तरफ से करीब दो लाख रुपए आए हैं वहीं ग्रामीणों की तरफ से करीब 20 लाख रुपए से अधिक का आर्थिक सहयोग विद्यालय को मिल चुका है. स्कूल स्टाफ और ग्रामीणों की ओर से मिलने वाले आर्थिक सहयोग का स्कूल और शैक्षणिक स्तर के विकास पर खर्च किया जाता है. इसके लिए एक स्कूल की ओर से एक कमेटी भी बनाई गई है जिसमें गांव के प्रबुद्ध लोग भी जुड़े हुए हैं. उनकी देखरेख में यह पूरा पैसा खर्च किया जाता है.

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स्कूल में ये हैं सुविधाएं
सम्पूर्ण विद्यालय परिसर और कक्षाकक्ष सीसीटीवी की नजर में.
सम्पूर्ण विद्यालय परिसर wifi.
क्रियाशील विज्ञान प्रयोगशाला.
उच्च आईसीटी लैब.
कक्षाओं में सिर्फ व्हाइटबोर्ड का उपयोग.
24 घंटे पावर बैकअप.
पुस्तकालय एवं वाचनालय.
कालांश बदलने के लिए इलेक्ट्रिक बेल.
प्रधानाचार्य कक्ष में ही विद्यार्थियों के परिजनों व आगंतुकों के लिए बैठने की उचित व्यवस्था.
विद्यालय परिसर और खेल मैदान में 500 पौधे लगाए.
पूरे परिसर में उद्यान लगाकर हराभरा बनाया.

पढ़ें. Special: कमजोर पायों पर नन्हें-मुन्नों की पाठशाला, मां बाड़ी भवन के निर्माण में प्रयोग हो रही घटिया सामग्री

निजी स्कूलों से टीसी कटवा रहे बच्चे
प्रधानाचार्य विनोद शर्मा ने बताया कि जिस समय वह प्रतापगढ़ से स्थानांतरित होकर यहां आए थे. उस समय यहां पर 217 बच्चे अध्ययनरत थे, लेकिन आज स्टाफ और ग्रामीणों की मदद से स्कूल का नामांकन 500 तक पहुंच गया है। ग्रामीण दान सिंह ने बताया कि अब विद्यालय में ना केवल शीशवाड़ा गांव के बल्कि आसपास के 11 गांव के बच्चे अध्ययनरत हैं। इनमें से कई बच्चे तो ऐसे हैं जो पहले निजी स्कूलों पढ़ने जाते थे लेकिन अब निजी स्कूलों से टीसी कटवाकर यहां पर पढ़ने आते हैं.

government school of bharatpur has better facilities
ग्रामीणों की मदद से जुटाईं सामग्री

विज्ञान संकाय की मांग
ग्रामीण बाबूलाल ने बताया कि विद्यालय में विज्ञान संकाय नहीं है जिसके चलते अपने गांव और आसपास के अन्य गांवों के बच्चे विज्ञान संकाय की पढ़ाई करने के लिए या तो डीग और भरतपुर जाते हैं या फिर नगर और अलवर जाते हैं. इस संबंध में स्कूल प्रबंधन और ग्रामीणों ने कई बार जनप्रतिनिधियों से भी संपर्क किया लेकिन कहीं पर कोई सुनवाई नहीं हुई. यदि विद्यालय में विज्ञान संकाय खुल जाए तो क्षेत्र के बच्चों की पढ़ाई के लिए अच्छी सुविधा हो जाएगी.

Last Updated : Feb 4, 2022, 2:15 PM IST
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