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अलवर सहित प्रदेश के सभी जिलों में बनाया गया अस्थाई कारागार, वीडियो कॉलिंग के माध्यम से होगी कोर्ट में पेशी

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Published : May 27, 2020, 12:08 PM IST

अलवर जिला एवं केंद्रीय कारागार के कैदियों और स्टाफ में तेजी से कोरोना संक्रमण बढ़ रहा है. इसे देखते हुए प्रशासन की ओर से एक बड़ा बदलाव किया गया है. अब से आने वाले किसी भी बंदी को सीधे कारागार में नहीं भेजा जाएगा. इसके लिए अलवर सहित प्रदेश के सभी जिलों में एक अस्थाई जेल बनाई गई हैं, जहां सभी बंदियों को गिरफ्तारी के बाद रखा जाता है. यही से वीडियो कॉलिंग के माध्यम से न्यायालय में पेश किया जाएगा.

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प्रदेश के सभी जिलों में बनाया गया अस्थाई कारागार

अलवर. जिला एवं केंद्रीय कारागार के कैदियों और स्टाफ में तेजी से फैल रहे कोरोना संक्रमण को देखते हुए सरकार ने बड़ा बदलाव किया है. अब अपराधियों को सीधे जेल नहीं भेजा जाएगा. अलवर सहित प्रदेश के सभी जिलों में एक अस्थाई जेल बनाई गई हैं. इसके लिए अलवर के लॉर्ड्स कॉलेज को अस्थाई जेल के रूप में अधिग्रहित किया गया है.

प्रदेश के सभी जिलों में बनाया गया अस्थाई कारागार

बता दें कि अलवर जिले में पुलिस जिस भी अपराधी को गिरफ्तार करती है, उसको सबसे पहले इस जेल में रखा जाता है, यहां सीएससी और जिला अस्पताल के माध्यम से उसकी कोविड-19 की की जांच कराई जाती है. वहीं, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से न्यायालय में उसकी पेशी की जाती है. इसके बाद अगर उसकी रिपोर्ट नेगेटिव आती है तो न्यायालय के अनुसार उसको जेल भेजा जाता है. अगर पुलिस को कस्टडी जाती है तो अपराधी को पुलिस के हवाले कर दिया जाता है.

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अलवर जिले सहित पूरे प्रदेश में यह नई व्यवस्था शुरू हो चुकी है. अस्थाई जेल में बंदियों के रहने और खाने की व्यवस्था पुलिस प्रशासन की तरफ से की गई है. सरकार की तरफ से बंदियों के भोजन और अन्य कार्यों के लिए पुलिस को अतिरिक्त बजट दिया गया है.

अलवर पुलिस अधीक्षक पारिश देशमुख ने कहा कि अलवर में अस्थाई जेल शुरू कर दी गई है. सभी अपराधियों को गिरफ्तारी के बाद इस अस्थाई जेल में रखा जाता है. वही से वीडियो कॉलिंग के माध्यम से उनको न्यायालय में पेश किया जाता है और न्यायालय की पूरी प्रक्रिया होती है.

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इस दौरान कोरोना की जांच में अगर किसी व्यक्ति की रिपोर्ट पॉजिटिव पाई जाएगी तो उसे इलाज के लिए स्वास्थ्य विभाग के हवाले कर दिया जाएगा. अन्यथा उसे न्यायालय के आदेश के अनुसार न्यायिक हिरासत या पुलिस रिमांड पर भेज दिया जाएगा. इससे जेल के बंदियों और स्टाफ में संक्रमण फैलने का खतरा नहीं रहेगा.

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