अलवर. राजस्थान का अलवर जिला अवैध खनन (Illegal Mining) के लिए पूरे देश में बदनाम है. जिले में आए दिन अवैध खनन के मामले सामने आते रहते हैं. अवैध खनन माफिया पुलिस, खनन विभाग और वन विभाग की टीम पर हमला करते हैं. अवैध खनन रोकने के लिए कुछ साल पहले पीएसी की दो प्लाटून वन विभाग को दी गई थी, जिसके बाद तिजारा और किशनगढ़बास सहित जिले के विभिन्न क्षेत्रों में पीएसी की तैनाती की गई थी.
बता दें, पीएसी तैनात होने के बाद अरावली पहाड़ी क्षेत्र में अवैध खनन (Illegal Mining) पर लगाम लगी थी. लेकिन बीते डेढ़ साल से वन विभाग के पास पीएसी नहीं है. इसके चलते अलवर जिले में फिर से खुलेआम वन क्षेत्र में अवैध खनन शुरू हो चुका है. अवैध खनन माफिया बेकाबू हो चुके हैं. माफिया खुलेआम अवैध खनन करने के साथ ही वन विभाग की टीम पर हमला भी करते हैं. ऐसे में विभाग बिना पीएसी के अवैध खनन रोकने में असफल हो रहा है.
वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पीएसी के लिए कई पत्र पुलिस विभाग को लिखे गए हैं. साथ ही बीते दिनों हुई प्रशासनिक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में भी सुरक्षा के लिए पीएसी की मांग उठी थी. इसके बाद जिला कलेक्टर ने पीएसी कमांडेंट को पत्र लिखकर वन विभाग को पीएसी देने की बात कही, लेकिन उसके बाद भी अभी तक पीएसी के सुरक्षा बल नहीं मिले. इसके कारण जिले के कई क्षेत्रों में अवैध खनन की गतिविधि हो रही है.
इन क्षेत्रों में हो रहा है अवैध खनन
इस समय अलवर में सबसे ज्यादा अवैध खनन (Illegal Mining) की घटनाएं किशनगढ़बास, गढ़ीसवाईराम, राजगढ़ और लक्ष्मणगढ़ क्षेत्र में हो रही है. वन क्षेत्र में अवैध खनन माफिया अवैध खनन करके ट्रैक्टरों के माध्यम से पत्थर सप्लाई कर रहे हैं.
अवैध खनन के दर्ज मामले
बता दें, साल 2016- 17 में अवैध खनन (Illegal Mining) के 70 मामले सामने आए. साल 2017-18 में 128 मामले सामने आए. साल 2018-19 में 168 मामले सामने आए. साल 2019-20 में 184 मामले सामने आए. वहीं, अलवर में साल 2020-21 में अवैध खनन के 164 मामले सामने आए हैं.
3 साल में 15 बार हुए हमले
वन विभाग की टीम पर साल 2019 से अब तक करीब 15 बार हमले हो चुके हैं. हाल ही में एक महीने पहले अवैध खनन माफियाओं ने वन विभाग की टीम पर हमले किए थे और ट्रैक्टर चढ़ाने का भी प्रयास किया था. इससे पहले भी अवैध खनन (Illegal Mining) रोकने के लिए मौके पर पहुंचने वाले अधिकारियों पर ट्रैक्टर चढ़ाने, पथराव करने और फायरिंग करने के मामले सामने आ चुके हैं. सभी मामलों में जांच पड़ताल चल रही है.
वहीं, कुछ मामलों में आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं. वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वन विभाग के कर्मचारी और अधिकारियों के पास हथियार नहीं होते हैं. इसके अलावा वन विभाग के कर्मचारी और अधिकारियों को कोई ट्रेनिंग भी अलग से नहीं दी जाती है. उनका कहना है कि अगर हमें पीएसी के सुरक्षा बल मिल जाते हैं तो हम अवैध खनन (Illegal Mining) करने वालों के खिलाफ कार्रवाई कर पाएंगे.