Sawan 2022 : नर्मदेश्वर महादेव मंदिर का स्वरूप है अलवर का त्रिपोलिया मंदिर, दिन में तीन बार रूप बदलते हैं 'शिव'

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Published : Jul 26, 2022, 8:31 AM IST

Tripolia Mahadev Temple of Alwar

अलवर का त्रिपोलिया महादेव मंदिर नर्मदेश्वर महादेव का स्वरूप है. 300 साल पुराना मंदिर अलवर ही नहीं, देश भर में अपनी खास पहचान रखता है. कहते हैं यहां दिन में भगवान शिव तीन रूप बदलते हैं. मंदिर में 300 सालों से भगवान की अखंड ज्योत जल रही है. प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु भगवान की पूजा व दर्शन के लिए आते हैं. वहीं सावन माह में भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना होती है.

अलवर. सावन के महीने में भगवान शिव की बेल पत्र, दूध, दही, शहद पंचामृत से पूजा-अर्चना होती (Tripolia Mahadev Temple of Alwar) है. कहते हैं कि इस दौरान एक माह के लिए भगवान शिव पृथ्वी पर निवास करते हैं. इसलिए इस महा पूजा-अर्चना का खास महत्व होता है. अलवर में भगवान शिव के अनेकों मंदिर हैं, लेकिन इन मंदिरों में सबसे खास त्रिपोलिया महादेव मंदिर है. अलवर का त्रिपोलिया मंदिर प्रदेशभर में विशेष स्थान रखता है. वैसे तो यहां साल भर श्रद्धालु आते हैं, लेकिन सावन में भक्तों की भीड़ भोले बाबा के दर्शन के लिए यहां जरूर आती है.

मंदिर में प्रतिदिन विशेष श्रृंगार किया जाता है. त्रिपोलिया मंदिर का श्रृंगार उज्जैन महाकाल अन्य ज्योतिर्लिंगों के समान ही विशेष तरह का होता है. मंदिर में 300 साल से लगातार ज्योत जल रही है. श्रद्धालुओं द्वारा मंदिर में मांगी हुई सभी मुरादें पूरी होती है. मंदिर में सुबह 4 बजे, सुबह 6 बजे शाम 6.15 बजे, रात 11 बजे आरती होती है. यह शहर का एक मात्र ऐसा मंदिर है, जहां पहुंचने के लिए चार मार्ग हैं. यह मंदिर श्रद्धालुओं के दर्शनों के लिए 24 घंटे खुला रहता है. मंदिर में शिव पंचायत के अलावा दुर्गा, रामदरबार, नरसिंह भगवान हनुमान की प्रतिमा है. गोमुख से गंगा रूपी जल बहता रहता है, जिसे श्रद्धालु चरणामृत के रूप में उद्यमी प्रतिष्ठान में पूजा अर्चना में काम लेते हैं.

अलवर का त्रिपोलिया मंदिर है नर्मदेश्वर महादेव मंदिर का स्वरूप

दिन में तीन बार रूप बदलता है शिवलिंग: नर्मदा से लाकर यहां शिवलिंग स्थापित किया गया. इसलिए इसे नर्मदेश्वर महादेव कहते हैं. मंदिर की छत पर पश्चिममुखी बलदाऊजी महाराज का मंदिर स्थित है. अलवर के अलावा आसपास के शहरों और राज्यों से भी बड़ी संख्या में लोग भगवान के दर्शन के लिए आते हैं. सावन के माह में सुबह से ही दर्शन के लिए भक्तों की लंबी कतार लग जाती है और रात तक यह सिलसिला जारी रहता है.

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300 साल से जल रही अखंड ज्योत: मंदिर में 300 साल से लगातार अखंड ज्योत जल रही है. हजारों श्रद्धालु ज्योत में घी चढ़ाते हैं. कहते हैं कि ज्योत में घी चढ़ाने और मन्नत मांगने से बड़ी से बड़ी बीमारी का इलाज होता है और लोगों की सभी मुरादें पूरी होती है. पुजारी ने कहा कि आए दिन ऐसे मरीज आते हैं, इनकी बीमारी में डॉक्टरों ने भी हाथ खड़े कर दिए. लेकिन यहां मंदिर में आने के बाद वो आज ठीक हैं.

भगवान का होता है अलौकिक श्रृंगार : भगवान शिव का यह मंदिर अलवर में बाजार में बना हुआ है. इस मंदिर में आने के चार रास्ते हैं. मंदिर में जगह की कमी है, लेकिन इसके बाद भी हजारों लोग यहां पूजा करने और भगवान के दर्शन के लिए आते हैं. मंदिर में बीते 10 साल से भगवान का अलौकिक श्रृंगार किया जा रहा है. उज्जैन और बनारस सहित अन्य ज्योतिर्लिंगों की तरह त्रिपोलिया महादेव मंदिर में भगवान का श्रृंगार होता है.

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