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REET Paper Leak Case 2021: यह एक राजनीतिक षड्यंत्र है, पद से हटाने को लेकर कोई आधिकारिक सूचना मुझे नहीं मिली: जारोली

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Published : Jan 29, 2022, 11:53 AM IST

रीट परीक्षा में धांधली (REET Paper Leak Case 2021) को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डीपी जारोली को बर्खास्त (RBSE President DP Jaroli sacked) कर दिया है. इसके बाद जारोली ने कहा कि पद से हटाने को लेकर मुझे कोई अधिकारिक सूचना नहीं मिली है.

DP Jaroli statement on dismissal from RBSE President
राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डीपी जारोली

अजमेर. रीट धांधली मामले को लेकर प्रदेश की गहलोत सरकार एक्शन (Big decision of CM Ashok Gehlot) में आ गई है. शुक्रवार मध्यरात्रि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में हुई हाई पावर कमेटी की बैठक में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अध्यक्ष डीपी जारोली को बर्खास्त (RBSE President DP Jaroli sacked) कर दिया गया है. इसके साथ ही रिटायर्ड हाईकोर्ट जस्टिस की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर जांच करने का निर्णय लिया गया है.

डॉ. डीपी जारोली ने पद से हटाए जाने को लेकर बयान देते हुए कहा (DP Jaroli statement on dismissal from RBSE President) कि इस संदर्भ में मेरे पास किसी तरह की कोई सूचना अधिकारिक रूप से नहीं मिली है. जारोली ने कहा कि मैं पहले भी सहयोग करता आया हूं और करता रहूंगा. पेपर लीक मामले (REET Paper Leak Case 2021) में मेरी कोई भी संदिग्धता नहीं है और न कभी रहेगी. जारोली ने कहा कि एसओजी यहां आती है उन्हें जो भी दस्तावेज चाहिए वह उन्हें उपलब्ध करवाए गए हैं. आगे भी एसओजी को जो सहयोग चाहिए वह मैं करूंगा.

यह एक राजनीतिक षड्यंत्र है

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शिक्षा संकुल के स्ट्रांग रूम से पेपर लीक 24 सितंबर को हुआ था, एसओजी ने इस बात का खुलासा पूर्व में जयपुर में किया था. जारोली पर आरोप लगाए जा रहे थे कि 24 सितंबर को वह अपने मित्र पाराशर के साथ शिक्षा संकुल में ही मौजूद थे. इस सवाल को लेकर जारोली ने कहा कि 23 सितंबर को जयपुर में CMR गया था और वहां बैठक के बाद मैं मेरे जयपुर आवास पर भी नहीं गया, वहां से सीधा अजमेर आ गया. उसके बाद मैं परीक्षा के बाद गया हूं.

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सेवानिवृत्त अधिकारियों को परीक्षा कार्यों में लगाए जाने के सवाल पर रीट समन्वयक डीपी जारोली ने बताया कि प्रदीप पाराशर को मैंने लगाया था, लेकिन जो पकड़े गए हैं उन कार्मिकों को मैंने नहीं लगाया और न ही मैं उन्हें जानता हूं. नियमों में स्पष्ट उल्लेख है कि कोई भी व्यक्ति वहां उपस्थित नहीं रह सकते हैं. सह समन्वयक प्रदीप पाराशर के अलावा 4 अधिकारी और हैं जो शिक्षा संकुल में उच्च पदों पर बैठे हैं. एक समिति होती है. कलेक्टर और एसपी के परमिशन के बिना स्ट्रांग रूम में कोई नहीं जा सकता. वहां सशस्त्र बल 24 घंटे रहता है.

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स्ट्रांग रूम में सीसीटीवी कैमरे नहीं लगाए जाने के आरोप के बारे में सवाल पूछे जाने पर जारोली ने बताया कि जिला समन्वय समिति ही तय करती है कि सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं अथवा नहीं लगाए जाएं. वीडियोग्राफी करवाना भी समिति ही तय करती है. जारोली ने कहा कि यह राजनीतिक षड्यंत्र है. हमने पहले भी कहा था कि राजनीतिक लोगों को पहले से ही पता है कि शिक्षा संकुल से पर्चा लीक हुआ है, लेकिन हम यह मानने को पहले भी तैयार नहीं थे. यs तो सियासी लोग ही बताएंगे इस बारे में मैं और ज्यादा कुछ नहीं कहूंगा.

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