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Guru Nanak Jayanti: पुष्कर से गहरा नाता, नानक देव साहब आए थे यहां... जनकल्याण का दिया था संदेश

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Published : Nov 19, 2021, 10:10 AM IST

जगतपिता ब्रह्मा (Brahma) का विश्व में तीर्थ नगरी पुष्कर इकलौता स्थान है. साधु संतों और ऋषि मुनियों के लिए तपोस्थली रहे पुष्कर (Pushkar) में सिख समुदाय (Sikh Community) की भी गहरी आस्था है. सन 1511 में सिखों के पहले गुरु गुरु नानक देव (Guru Nanak Dev) साहब दक्षिण से लौटते समय पुष्कर (Pushkar) आकर रुके थे. जहां उन्होंने ऋषि-मुनियों से भेंट करके धर्म पर चर्चा की. साथ ही लोगों को जन कल्याण (Public Welfare) के कार्य करने का भी संदेश दिया.

Guru Nanak Jayanti
पुष्कर से गहरा नाता, नानक देव साहब आए थे यहां

पुष्कर (अजमेर): करोड़ों हिंदुओं के लिए पुष्कर (Pushkar) तीर्थ गुरु है वही सिखों (Sikhs) के लिए भी पुष्कर आस्था का बड़ा केंद्र है. सिखों के पहले गुरु गुरुनानक देव साहब (Guru Nanak Dev) ने दक्षिण की यात्रा से लौटते हुए पुष्कर तीर्थ के दर्शन किए थे. उनके बाद सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह (Guru Govind Singh) भी पुष्कर आए थे. यही वजह है कि देश और दुनिया से सिख समुदाय (Sikh Community) के लोगों में पुष्कर के प्रति गहरी आस्था है.

बताया जाता है कि जहां गुरु नानक देव साहब पुष्कर में रुके थे (Guru Nanak Visited Pushkar). वहीं उनके श्रद्धालुओं ने एक गुरुद्वारा (Gurudwara) का निर्माण भी करवाया. पुष्कर कार्तिक मेले (Pushkar Kartik Mela) में लाखों श्रद्धालु पंचतीर्थ स्नान (Panchteerth Snan) के लिए आते हैं. इनमें बड़ी संख्या सिख समाज के लोगों की भी होती है. पुष्कर गुरुद्वारा प्रबंध कमेटी (Pushkar Gurudwara Prapandh Committee) के मुख्य सेवादार सुबेन्द्र सिंह बताते हैं कि देश और दुनिया से पुष्कर मेले (Pushkar Mela) में एकादशी से पूर्णिमा (Ekadashi To Purniama) तक बड़ी संख्या में सिख समुदाय के लोग आते हैं. वो पुष्कर के पवित्र सरोवर के 52 घाटों में से एक गोविंद घाट (Govind Ghat) पर स्नान करने के बाद गुरुद्वारे में मत्था टेकते हैं.

पुष्कर से गहरा नाता, नानक देव साहब आए थे यहां

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गुरु गोविंद सिंह की पुष्कर यात्रा

पुष्कर तीर्थ पुरोहित विष्णु पाराशर बताते हैं कि सिखों के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह जब पुष्कर (Guru Govind Singh Visited Pushkar) आए थे तब उनके पूर्वज पंडित चेतन पराशर ने पुष्कर तीर्थ के महत्व के बारे में उन्हें बताया और दर्शन करवाए. साथ ही 7 दिनों तक पुष्कर में गुरु गोविंद सिंह साहब की सेवा भी की. उनकी सेवा और निष्ठा से प्रभावित होकर गुरु गोविंद सिंह साहब ने प्रसन्न होकर पंडित चेतन पाराशर को बहुमूल्य जेवरात दिए. पंडित चेतन पाराशर ने जेवरात लेने की बजाय उनसे हुकुम नामा की मांग की.

बताया जाता है कि गुरु गोविंद सिंह ने अपने हाथों से बाढ़ की नोंक से हुकमनामा लिखकर उन्हें भेंट किया था. इसमें गुरु गोविंद सिंह ने हुक्म दिया है कि पुष्कर आने वाले सिख श्रद्धालु पंडित चेतन की संतानों से ही यजमानी करवाएं. तब से पुष्कर में पंडित चेतन पाराशर की नवी पीढ़ी पंडित विष्णु पाराशर वर्तमान में सिख श्रद्धालुओं के लिए अनुष्ठान करते आए हैं.

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