अजमेर. कोरोना का कहर अभी थमा नहीं है. कोरोना की दूसरी लहर को लंबा वक्त बीत चुका है, लेकिन अस्पतालों में आज भी बेड मरीजों को नहीं मिल रहे. श्मशानों में चिताओं के जलने का सिलसिला जारी है. इस बार कोरोना की दूसरी लहर गांवों में ज्यादा तेजी से फैल रही है. राजस्थान सरकार लोगों को जन अनुशासन सिखाते-सिखाते अब लॉकडाउन कर चुकी है.
शहर हो या देहात, लोग घरों में कैद हैं. कोरोना के भयानक रूप से ज्यादा लोग अब अस्पतालों में मरीजों और परिजनों की हालात और श्मशान में वेटिंग की स्थिति से डरने लगे हैं. हर कोई चाहता है कि कोरोना खत्म हो, लेकिन तीसरी लहर की आहट ने लोगों के होश उड़ा दिए है. यही वजह है कि अजमेर जिले में ग्रामीण क्षेत्रों में लॉकडाउन का मखौल उड़ाता था, लेकिन अब लोग कोरोना की विकराल स्थिति से सहम गए है. ईटीवी भारत ने पुष्कर विधानसभा क्षेत्र के कई गांवों का जायजा लेकर ग्राउंड जीरो के हालातों को देखा.
ग्राउंड जीरो से हालातों का जायजा...
ग्रामीण क्षेत्र में काफी कुछ बदल चुका था. सड़कें सुनी रहती हैं, घर के बाहर चबूतरे सुने हैं, उन पेड़ों के नीचे लगने वाली चौपाल भी सुनी है. सुबह 11 बजे बाद दूर-दूर तक सन्नाटा गांवों में पसरा हुआ है. जबकि सुबह 11 बजे से पहले वही लोग घरों से बाहर निकल रहे हैं, जिन्हें आवश्यक काम है. ऐसा लॉकडाउन की वजह से नहीं, बल्कि कोरोना के डर ने ग्रामीणों को भी जन अनुशासन सीखा दिया है. ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना से बचाव को लेकर बढ़ी जागरूकता के पीछे कोर कमेटी के सदस्यों से ज्यादा पंच और सरपंचों की भी है, जो दिन-रात लोगों की सहायता में जुटे हुए हैं. ऐसे कई सरपंच हैं, जिन्होंने कोरोना संक्रमित मरीज को अलग से रखने के लिए आइसोलेशन सेंटर भामाशाह की मदद से खोल दिए हैं.
पढ़ें : SPECIAL : कोविड की पहली लहर में गई नौकरी, दूसरी लहर में स्टार्टअप हुआ चौपट
कड़ेल गांव के सरपंच महेंद्र सिंह मझेवला बताते हैं कि पिछले 1 महीने में 45 कोरोना पॉजिटिव मरीज ग्राम पंचायत क्षेत्र में पाए गए. इनमें 33 मरीजों की रिपोर्ट नेगेटिव आ चुकी है, जबकि शेष मरीजों का इलाज जारी है. उन्होंने बताया कि गांव से बाहर रहने वाले लोगों को गांव में नहीं आने के लिए कहा गया था. इस बार बाहर से गांव में कम लोग आए. मझेवला ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में वैक्सीन को लेकर कई तरह की भ्रांतियां थीं. ग्रामीणों के साथ समझाइश कर उन्हें कोरोना की वजह से बिगड़े हालातों की वास्तविक जानकारी दी गई और बताया गया कि सबसे पहले हेल्थ वर्कर को वैक्सीन लगी है. कोरोना की पहली लहर में कई हेल्थ वर्कर ने जान गंवाई थी, लेकिन इस बार वैक्सीन लगवा चुके हेल्थ वर्कर पूरी निष्ठा के साथ अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इनमें से किसी की भी मौत नहीं हुई है. उन्होंने बताया कि 15 दिन पहले वैक्सीनेशन कैंप लगा था, जिसमें 2200 से अधिक ग्रामीणों के वैक्सीन लगी थी. इसके बाद वैक्सीन की कमी के कारण कैंप नहीं लगा है.
ग्रामीण क्षेत्रों में डोर-टूडोर सर्वे...
ग्रामीण क्षेत्रों में डोर-टू-डोर सर्वे काफी कारगर साबित हो रहा है. जैसे ही किसी घर में सर्दी-खासी, जुकाम-बुखार के मरीज के बारे में पता चलता है तो उसे तुरंत मेडिकल किट सर्वे टीम थमा देती है और प्रारंभिक अवस्था में ही उसका इलाज शुरू हो जाता है. सरकारी मशीनरी के साथ ग्रामीण जनप्रतिनिधि भी कंधे से कंधा मिलाकर कार्य कर रहे हैं. ग्रामीण बताते हैं कि सुबह 11:00 बजे तक ढील मिलती है. इस दौरान गांव से कुछ लोग मजदूरी के लिए पुष्कर और आसपास क्षेत्रों में जाते हैं. जिससे उनका गुजारा हो जाता है, लेकिन जिनके पास रोजगार का कोई अन्य साधन नहीं है. उन्हें काफी समस्याएं हो रही हैं. तिलोरा ग्राम पंचायत के उपसरपंच शैतान सिंह रावत ने बताया कि मुख्य सड़क की ओर आने वाली ज्यादातर मार्ग बलिया लगाकर बंद कर दिए गए हैं, ताकि बाहर से आने वाले और स्थानीय ग्रामीणों का बाहर जाने का सिलसिला कम हो सके
घर पर क्वारेंटाइन किए गए मरीजों पर भी विशेष निगरानी रखी जा रही है, ताकि वह बाहर ना निकले. रावत ने बताया कि सर्वे टीम को पूरा सहयोग दिया जा रहा है. कोशिश की जा रही है कि गांव में कोरोना की चैन को तोड़ दिया जाए. उन्होंने बताया कि तिलोरा ग्राम पंचायत क्षेत्र में 30 से अधिक लोग संक्रमण है शिकार हुए. इनमें 25 से ज्यादा लोग ठीक भी हो चुके हैं. शेष का इलाज किया जा रहा है. इस बार कोरोना से ग्राम पंचायत क्षेत्र में एक भी मौत नहीं हुई है.
जागरूकता की वजह से 'जंग' को मजबूती...
ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना से बचाव को लेकर बढ़ रही जागरूकता की वजह से अब कोरोना के खिलाफ लड़ी जा रही जंग को मजबूती मिली है. लेकिन कोरोना को हराने के लिए आवश्यक वैक्सीन नहीं मिलने से इसमें गतिरोध आ रहा है. देव नगर गांव के एक ग्रामीण ने बताया कि ग्रामीणों को अब समझ आ गई है और वह व्यक्ति लगवाने के लिए तैयार हैं, लेकिन गांव में 15 दिन पहले कैंप लगा था. उसके बाद दोबारा वैक्सीन के लिए कैंप नहीं लगा है. सरकार और प्रशासन को वैक्सीन का इंतजाम करना चाहिए, ताकि गांव भी कोरोना से मुक्त हो. उन्होंने बताया कि रोजगार को लेकर ग्रामीणों को काफी परेशानी हो रही है. 60 फीसदी ग्रामीण मजदूरी के लिए शहर की ओर जाते हैं, लेकिन लॉकडाउन की वजह से उन्हें मुसीबतें झेलनी पड़ रही हैं. पिछली बार लॉकडाउन में प्रशासन और भामाशाह ने जरूरतमंदों की मदद खाना बांट कर की थी, लेकिन इस बार कोई नजर नहीं आ रहा है.