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नवीन का शव पहुंचने को लेकर अनिश्चितता, जानें क्या हैं अंतरराष्ट्रीय कानून

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Published : Mar 2, 2022, 4:40 PM IST

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भारतीय दूतावास के संयुक्त निदेशक निमेश भनोट (Indian Embassy Joint Director Nimesh Bhanot) ने बुधवार को नवीन के भाई हर्ष को फोन किया और उन्हें यूक्रेन के हालात के बारे में बताया. उनका कहना है नवीन के शव को लाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं, हालांकि जमीन पर हालात काफी खतरनाक हैं. वहीं सशस्त्र संघर्षों में मृत व्यक्तियों के शवों को लेकर कुछ अंतरराष्ट्रीय नियम (international rules) भी हैं. पढ़ें यह रिपोर्ट.

हावेरी (कर्नाटक): भारतीय दूतावास के संयुक्त निदेशक निमेश भनोट (Indian Embassy Joint Director Nimesh Bhanot) ने बुधवार को नवीन के भाई हर्ष को फोन पर आश्वस्त किया कि उनके शरीर को वापस लाने के लिए पूरी कोशिश करेंगे. यूक्रेन में हालात दिन-ब-दिन बिगड़ते जा रहे हैं इसलिए यह हमारे लिए बहुत मुश्किल होता जा रहा है. फिलहाल नवीन के शव को खार्किव के एक स्थानीय अस्पताल में रखा गया है.

कर्नाटक के हावेरी के रहने वाले नवीन खार्किव नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस के चौथे वर्ष के छात्र थे. वे यूक्रेन की एक प्रमुख सरकारी इमारत पर गोलाबारी में अपनी जान गंवा बैठे. इस घटना में एक दूसरा छात्र घायल भी हुआ है. जिसकी जानकारी जुटाई जा रही है. घायल छात्र के बारे में बात करते हुए कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि मैं पता लगाने की कोशिश कर रहा हूं. एक खबर में कहा गया है कि वह व्यक्ति सुरक्षित है, क्योंकि वह उनके (नवीन के) साथ नहीं था. एक अन्य खबर में कहा गया है कि वह घायल है. हम पुष्टि का इंतजार कर रहे हैं.

घायल छात्र की जानकारी पाने की कोशिश: बोम्मई
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने बुधवार को कहा कि सरकार यूक्रेन के खारकीव शहर में रूसी बलों की गोलाबारी में कथित रूप से घायल हुए हावेरी जिले के छात्र से जुड़ी जानकारियों का पता लगाने की कोशिश कर रही है. यूक्रेन में रूसी सैन्य कार्रवाई में मंगलवार को भारतीय छात्र नवीन शेखरप्पा ज्ञानगौदर की मौत हो गई थी. यूक्रेन में रूस के जारी युद्ध में यह किसी भारतीय व्यक्ति की मौत का पहला मामला है.

क्या कहते हैं अंतरराष्ट्रीय कानून
अंतरराष्ट्रीय सैन्य संघर्षों के दौरान मृत लोगों के बारे में अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून (International humanitarian law) में कई प्रावधान किए गए हैं. जिसमें जेनेवा कन्वेंशन के अनुच्छेद 17, 1949 के तीसरे पैराग्राफ में कुछ नियम बनाए गए हैं. जिसमें यह है कि सशस्त्र संघर्षों के दौरान एक आधिकारिक कब्र पंजीकरण सेवा स्थापित की जाएगी. साथ ही मृतक के अवशेषों को उसके गृह देश में संभावित परिवहन के माध्यम से पहुंचाया जाएगा. ये प्रावधान शव की राख पर भी लागू होंगे.

जेनेवा कन्वेंशन III
1949 के जिनेवा कन्वेंशन III के अनुच्छेद 120 के छठे पैराग्राफ में स्वदेश में अवशेषों की वापसी की संभावना के संबंध में नियम दिया गया है. किसी भी संघर्ष के बाद रिकॉर्ड के लिए क्षेत्र को नियंत्रित करने वाली शक्ति पर यह जिम्मेदारी होगी. कि वह कब्र पंजीकरण सेवा द्वारा घर की इच्छा के अनुसार उचित निपटान तक शव को रखा जाएगा. यह नियम राख पर भी लागू होगी.

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जेनेवा कन्वेंशन IV
1949 के जेनेवा कन्वेंशन IV के अनुच्छेद 130 के दूसरे पैराग्राफ में प्रावधान है कि राख या मृतकों के शव को हिरासत में लेने वाले अधिकारियों द्वारा सुरक्षित रखा जाएगा और उनके अनुरोध पर परिजनों को जल्द से जल्द स्थानांतरित किया जाएगा.

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