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Rajasthan High Court: 19 साल से लंबित आपराधिक अपील का हाईकोर्ट ने किया निस्तारण, सजा पर दिया निर्णय

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 19, 2023, 8:55 PM IST

19 साल से लंबित एक मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने आपराधिक अपील का निस्तारण कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि मामले में अभियुक्त को पूर्व में 9 माह की सजा मिली थी. इस अवधि को सजा की अवधि तक कम किया जा रहा है.

Rajasthan High Court
राजस्थान हाईकोर्ट

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने लापरवाही से वाहन चलाने के दौरान हुई दुर्घटना में मौत के मामले में 19 साल से लंबित आपराधिक अपील का निस्तारण कर दिया है. निचली अदालत ने अभियुक्त को 9 माह की सजा सुनाई थी. अदालत ने कहा कि वे निचली अदालतों की ओर से दिए गए आदेश में हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं, लेकिन मामला काफी पुराना हो चुका है और इस दौरान याचिकाकर्ता लंबी मुकदमेबाजी का दर्द झेल चुका है. इसलिए उसकी सजा को पूर्व में भुगती गई सजा की अवधि तक कम किया जा रहा है. जस्टिस बिरेन्द्र कुमार की एकलपीठ ने यह आदेश सेडू राम की ओर से दायर आपराधिक याचिका का निस्तारण करते हुए दिए.

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता प्रवीण बलवदा ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ झुंझुनूं के उदयपुरवाटी थाने में वर्ष 1994 में रिपोर्ट दी गई थी. जिसमें कहा गया था कि उसने सड़क पर लापरवाही और उपेक्षा के साथ गाड़ी चलाते हुए साइकिल को पीछे से जोरदार टक्कर मार दी थी. जिसके चलते साइकिल सवार की मौत हो गई. रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 304-ए, 279 और धारा 337 के तहत एफआईआर दर्ज कर प्रकरण को लेकर निचली अदालत में आरोप पत्र पेश कर दिया.

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जिस पर कई सालों तक सुनवाई के बाद 12 नवंबर, 2003 को निचली अदालत ने याचिकाकर्ता अभियुक्त को दोषी मानते हुए 9 माह की सजा सुनाते हुए 500 रुपए का जुर्माना भी लगाया. वहीं जुर्माना अदा नहीं करने पर 15 दिन अतिरिक्त जेल में बिताने की सजा दी गई. इस आदेश को सत्र न्यायालय में चुनौती दी गई, लेकिन सत्र न्यायालय ने भी 16 जनवरी, 2004 को अपील निरस्त करते हुए निचली अदालत की ओर से दी गई सजा को बरकरार रखा. इन दोनों आदेशों को हाईकोर्ट में आपराधिक याचिका पेश कर वर्ष 2004 में ही चुनौती दी गई. जिस पर अदालत ने याचिकाकर्ता को मिली सजा को भुगती हुई सजा तक सीमित करते हुए याचिका का निस्तारण कर दिया.

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