Interview: कोई भी धर्म हिंसा को स्वीकार नहीं करता: अल्पसंख्यक आयोग अध्यक्ष

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Published : May 4, 2022, 5:24 PM IST

Updated : May 4, 2022, 8:13 PM IST

Minorities

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा (National Minorities Commission Chairman Iqbal Singh Lalpura) ने सांप्रदायिक हिंसा के मुद्दे पर टिप्पणी की है. उन्होंने उपद्रवियों को देश की शांति और सद्भाव बाधित करने का जिम्मेदार ठहराया है. अल्पसंख्यक आयोग अध्यक्ष ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कई महत्वपूर्ण बातें कहीं. उनसे बातचीत की है वरिष्ठ संवाददाता सौरभ शर्मा ने...

नई दिल्ली: ईटीवी भारत से विशेष रूप से बात करते हुए राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा (National Minorities Commission Chairman Iqbal Singh Lalpura) ने रेखांकित किया कि कोई भी धर्म हिंसा और घृणा को स्वीकार नहीं करता है. यह काम उपद्रवियों का होता है. उन्होंने कहा कि उनके मकसद के पीछे एकमात्र कारण समाज में उनके गलत उद्देश्यों के लिए अशांति पैदा करना है.

लाउडस्पीकर पर क्या बोले: लाउडस्पीकर के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने और मुद्दे के राजनीतिकरण पर लालपुरा ने कहा कि किसी को यह ध्यान रखना चाहिए कि अपने धर्म को मानने से दूसरों को परेशानी न हो. अब तो अदालतों ने भी इस मसले पर संज्ञान ले लिया है. इस समिति के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने कहा कि हमारे खूबसूरत देश में किसी भी धर्म का प्रचार करने की पूर्ण स्वतंत्रता है लेकिन इससे कोई बाधा नहीं आनी चाहिए और ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण होना चाहिए. राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ऐसे मुद्दों पर नजर रखता है. हमने ऐसे मामलों पर भी संज्ञान लिया है.

कोई भी धर्म हिंसा को स्वीकार नहीं करता: अल्पसंख्यक आयोग अध्यक्ष

समान नागरिक संहिता पर कहा: देश के विभिन्न हिस्सों से समान नागरिक संहिता लाने की मांग पर एक सवाल पर लालपुरा ने जवाब दिया कि हमने अभी तक मसौदा नहीं देखा है. संबंधित अधिकारियों को पहले मसौदा तैयार करने दें. उसके बाद ही हम समान नागरिक संहिता लाने के मुद्दे पर चर्चा कर सकते हैं. मध्य प्रदेश के बाद जहांगीरपुरी और अब शाहीन बाग में विभिन्न हिस्सों में किए जा रहे विध्वंस अभियान पर लालपुरा ने जवाब दिया कि अवैध रूप से निर्मित क्षेत्रों पर विध्वंस अभियान चलाया जा रहा है. यह कानून और व्यवस्था का मामला है. यह अभियान को सजा के रूप में नहीं चलाया जा रहा है.

धार्मिक स्वतंत्रता का मुद्दा: अमेरिकी आयोग की रिपोर्ट के अनुसार धार्मिक स्वतंत्रता के आधार पर भारत को लगातार तीसरी बार विशेष चिंता के देश के रूप में चिह्नित किया गया है. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए लालपुरा ने कहा कि वे हमें बताने वाले कौन होते हैं. हाल ही में अमेरिका में सिखों पर हुए हमलों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वहां भी हेट क्राइम देखने को मिल रहा है. अफगानिस्तान और पाकिस्तान के हालात देखिए. दशकों से जबरदस्त बातचीत हो रही है और वहां सिखों और हिंदुओं का प्रतिशत कम हुआ है. उन्होंने कहा कि हमने भारत में कभी किसी घृणा अपराध की रिपोर्ट नहीं देखी.

जबरन धर्म परिवर्तन गलत: धर्म परिवर्तन पर लालपुरा ने कहा कि हम किसी भी बातचीत के खिलाफ नहीं हैं लेकिन मुद्दा जबर्दस्ती और जोड़-तोड़ की गई बातचीत का है. अगर कोई बल प्रयोग कर रहा है या धर्मांतरण के लिए कोई आर्थिक सहायता दे रहा है, तो हम उसके खिलाफ हैं. यदि वह धर्म परिवर्तन करना चाहता है तो यह व्यक्ति की आंतरिक इच्छा होनी चाहिए. जब सिख संगठनों द्वारा जम्मू-कश्मीर में पंजाबी भाषा को आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता देने और वहां अल्पसंख्यकों के लिए आयोग की स्थापना की मांग के मुद्दे पर टिप्पणी करने के लिए कहा गया तो लालपुरा ने जवाब दिया कि हम वहां उन घटनाओं को देख रहे हैं.

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कश्मीर में पंजाबी भाषा: लालपुरा ने कहा कि इस बाबत हमने वहां के प्रशासन को पत्र भी भेजा है. हम उन्हें फिर से दूसरा पत्र भेजेंगे. वहां के राज्यपाल बेहतरीन काम कर रहे हैं और आयोग द्वारा यूटी में सिखों की इन मांगों का विश्लेषण किया जा रहा है. हमने जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल और मुख्य सचिव के साथ इस पर चर्चा की है. वहां के अल्पसंख्यकों पर हालिया हमलों और श्रीनगर में एक सिख प्रिंसिपल की हत्या के बाद वहां के सिख थोड़े चिंतित हैं. इन आशंकाओं के कारण यूटी में सिख परिवार बेटियों को पढ़ाई के लिए पंजाब भेज रहे हैं.

Last Updated :May 4, 2022, 8:13 PM IST
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