ETV Bharat / bharat

विशेष लेख : पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक 2020 में भारत को 168 वां स्थान

author img

By

Published : Jun 5, 2020, 9:21 PM IST

Updated : Jun 5, 2020, 9:50 PM IST

पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक (EPI) 2020 ने दुनिया भर में स्थिरता के हालात को लेकर एक डेटा पेश किया है. इस सूची में 180 देशों को पर्यावरणीय स्वास्थ्य और पारिस्थितिकी तंत्र जीवन शक्ति को लेकर रैंक दी गई है. 180 देशों की इस सूची में भारत को 168 वां स्थान दिया गया है.

कॉन्सेप्ट इमेज
कॉन्सेप्ट इमेज

हैदराबाद : पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक (EPI) 2020 ने दुनियाभर में पर्यावरण के हालात को लेकर एक डेटा पेश किया है. इस सूची में 180 देशों को पर्यावरणीय स्वास्थ्य और पारिस्थितिकी तंत्र जीवन शक्ति को लेकर रैंक दी गई है. इनकी रैंकिंग 11 श्रेणियों में बांटे गए 32 प्रदर्शन संकेतकों के आधार पर की गई है.

ईपीआई द्वारा एक स्कोरकार्ड के माध्यम से पर्यावरण प्रदर्शन में नाकामी को उजागर किया गया है. यह उन देशों के लिए व्यावहारिक मार्गदर्शन प्रदान करता है जो एक स्थायी भविष्य की ओर बढ़ने की आशा रखते हैं.

पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक का डेटा
पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक का डेटा

येल और कोलंबिया विश्वविद्यालयों के शोधकर्ताओं के अनुसार भारत 180 देशों में 168वें स्थान पर है. यह स्कोरकार्ड दो वर्ष में एक बार तैयार किया जाता है.

पर्यावरण प्रदर्शन सूची
पर्यावरण प्रदर्शन सूची

रैंकिंग पर टिप्पणी करते हुए, येल प्रोफेसर डैन एस्टी ने कहा कि सूची के टॉप पर व्यापक अर्थव्यवस्थाओं पर आधारित प्रयासों और अपनी अर्थव्यवस्थाओं को डी-कॉर्बनाइज करने पर विशेष जोर देने वाले देश आगे आए हैं. उन्होंने कहा कि भारत को अपने डी-कॉर्बनाइजेशन के एजेंडा को गति देने की आवश्यक्ता है. इसके अलावा देश में खराब वायु गुणवत्ता सहित पर्यावरण के संबंधित कई जोखिम है.

अपने 22 वें वर्ष में, EPI रिपोर्ट वैश्विक पर्यावरण नीति विश्लेषण के लिए प्रमुख मैट्रिक्स ढांचा बन गई है. इसमें पर्यावरणीय स्वास्थ्य और इको सिस्टम को बचाने वाले मुद्दों को 11 श्रेणियों में और 32 प्रदर्शन संकेतकों पर 180 देशों की रैंकिंग की गई है.

2020 के ईपीआई में नए पैमाने शामिल किए गए हैं इनमें अपशिष्ट प्रबंधन, भूमि आवरण परिवर्तन से कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन, और फ्लोराइड गैसों के उत्सर्जन शामिल हैं, जो जलवायु परिवर्तन के लिए महत्वपूर्ण हैं.

प्रोजेक्ट निदेशक जेक वेंडलिंग ने कहा कि यह डेटा-संचालित पर्यावरण नीति के लिए वैश्विक क्षमता को मजबूत करने का वादा करता है और सर्वोत्तम नीतियों की पहचान करने में मदद करता है.

भारत इस सूची में लगभग सबसे नीचे आया है और सूची में अफ्गानिस्तान(178) ही साउथ एशिया क्षेत्र में भारत से नीचे है. भूटान (107) रैंकिग हासिल करने के बाद क्षेत्र का नेतृत्व कर रहा है, जिसने जैव विविधता और प्राकृतिक वास संरक्षण में अपेक्षाकृत उच्च स्कोर हासिल किया है. इसके अलावा श्रीलंका (109 वें) और मालदीव (127 वें) दक्षिणी एशिया के शीर्ष तीन देशों में हैं, इसके बाद पाकिस्तान (142 वां), नेपाल (145 वां), और बांग्लादेश (162 वां) देश है.

गौरतलब है कि भारत 2020 की ईपीआई की सूची में मौजूद कई पैमानों को पूरा करने में विफल रहा है.

हवा की गुणवत्ता को लेकर भारत और पाकिस्तान दोनों ही सूची में सबसे नीचे क्रमश: 179 और 180 वें नंबर पर मौजूद हैं.

अगर बात की जाए चीन को तो हवा की गुणवत्ता वहां भी अच्छी नहीं है, लेकिन हाल ही में चीन द्वारा हवा की गुणवत्ता को नियंत्रित करने और पर्यावरण में निवेश करने के कारण चीन को ईपीआई में 122वां स्थान मिला, जो भारत से 48 स्थान आगे है.

जैव विविधता और प्राकृतिक वास संरक्षण के मामले में भारत दुनिया में 148 वें स्थान पर है, जो अपने संरक्षित क्षेत्रों, विशेष रूप से समुद्री इको सिस्टम में संरक्षण क्षमता को बढ़ाने में पूरी तरह विफल रहा है.

इसके अलावा भारत जलवायु परिवर्तन शमन पर दुनिया में 106 वें स्थान पर है. ग्रीनहाउस गैसों के दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण उत्सर्जकों में भारत को अक्षय ऊर्जा निवेश में हालिया लाभ के लिए सराहना की जानी चाहिए.

हालांकि, डेटा दर्शाता है कि भारत जलवायु परिवर्तन के सबसे बुरे प्रभावों से बचने के लिए पर्याप्त रूप से डी-कॉरबनाइज के रोकने के लिए कदम नहीं उठा रहा है.

भारत के लिए कम ईपीआई स्कोर वायु और जल प्रदूषण, जैव विविधता संरक्षण, और एक स्वच्छ ऊर्जा भविष्य के लिए संक्रमण सहित कई मोर्चों पर राष्ट्रीय स्थिरता के प्रयासों की आवश्यकता का सुझाव देते हैं

Last Updated : Jun 5, 2020, 9:50 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.