Ganesh Utsav 2021: श्री गणेश को वरदान देने के बाद करना पड़ा था असुर का संहार, इसलिए नाम पड़ा 'विघ्नराज'

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Published : Sep 16, 2021, 3:14 PM IST

Updated : Sep 16, 2021, 5:19 PM IST

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Ganesh Utsav 2021: ETV Bharat 'नाम की महिमा' भाग ('Naam Ki Mahima' section) में आज हम भगवान गणेश के 'विघ्नराज' (Vighnaraj) नाम की महिमा के बारे में जानेंगे. पंडित आशुतोष दामले बताते है कि पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार माता पार्वती अपनी सखियों के साथ बातें कर रही थीं. बात करते-करते वो हंस पड़ी. उनके हास्य से एक पुरुष प्रकट हुआ. इसका नाम माता पार्वती जी ने मम रख दिया. माता पार्वती ने ही मम को गणेश जी के षडक्षर मंत्र का ज्ञान दिया. इसके बाद मम ने गणेश जी उपासना की. श्री गणेश ने प्रसन्न होकर मम को दर्शन दिए. मम ने पूरे ब्राह्माण का राज्य और युद्ध में आने वाले सभी विघ्नों से मुक्त रहने का वरदान मांगा. गणेश जी ने मम को निर्विघ्न विजय का वरदान दिया. इस वरदान को पाने के बाद मम ने दैत्यों के साथ मित्रता कर ली. मम के असुर मित्र शम्बर ने अपनी पुत्री से उसका विवाह करा दिया और उसे अपना राज्य सौंप दिया. साथ ही उसे दैत्यों का राजा घोषित कर दिया. इस तरह वह मामासुर बन गया. इस मैत्री के चलते मम के अत्याचार बढ़ गए और उसने तीनों लोकों को कष्ट में डाल दिया. मामासुर ने पृथ्वी, पाताल, शिवलोक, विष्णुलोक और देवलोक पर अधिकार कर लिया. सभी देवता और ऋषि-मुनि अत्याचारों से मुक्ति पाने के लिए श्री गणेश की शरण में पहुंचे. उनकी प्रार्थना सुन गणेश जी विघ्नराज अवतार में प्रकट हुए और मामासुर का वध कर दिया.

Last Updated : Sep 16, 2021, 5:19 PM IST

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