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इन कारणों से Omicron कोविड लहर में मृत्यु दर कम थी, जानिए Booster Dose की भूमिका

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Published : Dec 12, 2022, 1:00 PM IST

Dr Rajeev Jayadevan ने कहा, भारत में अधिकांश वयस्कों को पूरी तरह से टीका लगाया गया है और कई को प्राकृतिक संक्रमण भी हुआ है. समुदाय में पर्याप्त प्रतिरक्षा प्रचलित है, जो इस समय भारत के अधिकांश हिस्सों में कोविड के कम अस्पताल केस लोड का संभावित कारण है. Omicron variant information death due to corona . corona case death rate .

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सांकेतिक फोटो

नई दिल्ली : इस साल ओमिक्रॉन के नेतृत्व वाली कोविड लहर (Omicron covid wave) के साथ मृत्यु दर पिछले साल डेल्टा वेरिएंट (Delta covid wave) की तुलना में काफी कम थी. नेशनल आईएमए कोविड टास्क फोर्स (National IMA Covid Task Force co chairman Dr Rajeev Jayavedan) के सह-अध्यक्ष डॉ राजीव जयवेदन के अनुसार, यह कम गंभीरता और खतरे का स्तर पूरे भारत में कम बूस्टर डोज के चलते हो सकता है. जयवेदन ने आईएएनएस से बात कर टीके (Booster) की तीसरी डोज के बारे में जानकारियां दी.

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सांकेतिक फोटो

सरकार ने स्वतंत्रता के 75वें वर्ष को चिह्नित करने के लिए 15 जुलाई से 75 दिनों के लिए सभी वयस्कों को मुफ्त में कोविड-19 के खिलाफ Booster dose दी. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 75 दिनों की मुफ्त ड्राइव के दौरान टीके के तीसरे शॉट की मांग में काफी वृद्धि देखी गई और पात्र आबादी के कवरेज को 8 प्रतिशत से 27 प्रतिशत तक ले आया. इन 75 दिनों में कुल मिलाकर 159.2 मिलियन एहतियाती खुराक दी गई. बूस्टर खुराक की दर सामान्य आबादी के बीच कम थी.

Dr Rajeev Jayadevan ने कहा, भारत में अधिकांश वयस्कों को पूरी तरह से टीका लगाया गया है, और कई को प्राकृतिक संक्रमण भी हुआ है. समुदाय में पर्याप्त प्रतिरक्षा प्रचलित है, जो इस समय भारत के अधिकांश हिस्सों में कोविड के कम अस्पताल केस लोड का संभावित कारण है. Booster dose प्रतिरक्षा को बहाल करती है और कुछ महीनों के लिए Mucosal immunity को भी बढ़ाती है. लेकिन भारत में इस्तेमाल होने वाले टीके पश्चिम में इस्तेमाल होने वाले टीकों से अलग हैं. बूस्टर उपयोग के बाद हमारी जनसंख्या में नैदानिक परिणामों पर हमारे पास प्रकाशित अध्ययन भी नहीं हैं.

पश्चिमी शोध निष्कर्ष भारत में लागू नहीं
देश के बाहर बूस्टर के बारे में उन्होंने कहा, पश्चिमी देशों से बूस्टर अध्ययन मुख्य रूप से mRNA vaccines पर आधारित होते हैं, जिनका उपयोग भारत में नहीं किया गया है. इसलिए पश्चिमी शोध के निष्कर्षों को भारत के परिदृश्य में लागू नहीं किया जा सकता. इसके अलावा, पश्चिमी देशों में उपयोग किए जाने वाले बूस्टर अब ओमिक्रॉन पर आधारित हैं, जो वायरस का एक और हालिया वेरिएंट है. हालांकि यह देखा जाना बाकी है कि क्या वास्तविक लोगों में उपयोग किए जाने पर इस तरह के बाइवेलेन्ट बूस्टर मूल से बेहतर हैं.

डेल्टा की तुलना में ओमिक्रॉन कम नुकसानदायक
उन्होंने कहा, हम कुछ हद तक भाग्यशाली हैं कि लेटेस्ट वेरिएंट ओमिक्रॉन और इसके कई सबलाइनेज जैसे Ba.2.75 and XBB delta की तुलना में कम गंभीरता के हैं, हालांकि अधिक संक्रामक और प्रतिरक्षा से बचने वाले हैं. महत्वपूर्ण बात यह है कि डेल्टा की तुलना में ओमिक्रॉन सबलाइनेज फेफड़ों (Omicron sublineage) को कम नुकसान पहुंचाते हैं. इस नए वायरस में निरंतर विकास हो रहा है, जिससे इंसान अभी भी बेखबर है. ऐसे किसी और नए प्रकार का पता लगाने और रिपोर्ट करने के लिए सक्रिय निगरानी की आवश्यकता होती है, जिसमें ओमिक्रॉन की तुलना में एक अलग जैविक संपत्ति हो सकती है. हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि एक नए वेरिएंट को दुनिया भर में कवर करने में बहुत कम समय लगता है.

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डॉ जयदेवन ने सलाह दी, Mucosal vaccines अपेक्षाकृत नए हैं. उनमें नाक और गले में प्रतिरक्षा को मजबूत करने की क्षमता है, जो वायरस के प्रवेश बिंदु हैं और इससे संक्रमण और संचरण जोखिम कम हो सकता है. बूस्टर के रूप में भी उनकी भूमिका है. हालांकि, वे कितने प्रभावी और सुरक्षित हैं, इस बारे में बड़े पैमाने पर अध्ययन की प्रतीक्षा है. बूस्टर के इस्तेमाल से बुजुर्ग समेत लोगों को फायदा होने की सबसे ज्यादा संभावना है. --आईएएनएस

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