Independence Day 2021: स्वतंत्रता की रघु'वीर' कहानी, आजादी के 75 साल बीते, इनके लिए देश सेवा आज भी सर्वोपरि

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Published : Aug 14, 2021, 5:09 PM IST

Updated : Aug 14, 2021, 10:07 PM IST

Freedom Fighter Raghuveer Charan Sharma

भारत देश को आजाद करने में कई रणबांकुरों ने अपने जीवन का त्याग किया. लेकिन कई स्वतंत्रता सेनानी आज भी जीवित है और देश के लिए त्याग कर रहे है. विदिशा जिले के ऐसे ही स्वतंत्रता सेनानी रघुवीर चरण शर्मा ने आजाद भारत के सपने को पूरा करने के लिए महात्मा गांधी और सुभाष चंद्र बोस के साथ महत्वपूर्ण भूमिका तो निभाई ही, लेकिन शर्मा आज भी सरकार से मिलने वाली सम्मान निधि को देश की धरोवर मानकर देश के लिए समर्पित कर देते है.

विदिशा। देश को आजाद हुए आज 75 वर्ष पूर्ण हो गए है. 15 अगस्त 1947 को भारत को आजाद करवाने में शहीदों का तो योगदान अतुलनीय है ही, लेकिन जो स्वतंत्रता सेनानी आजादी के लिए लड़े और देश को आजाद करवाकर आज भी जीवित है उनका योगदान भी अविस्मरणीय है. विदिशा जिले में भी एक ऐसे ही स्वतंत्रता सेनानी है रघुवीर चरण शर्मा जो महात्मा गांधी, पंडित नेहरू और सुभास चंद्र बोस के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आजाद भारत की नींव रखने में शामिल रहे. शर्मा ने गांधी जी के कई आंदोलनों में सक्रिय रहे और सुभास चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज का भी हिस्सा रहे.

भारत सरकार 1972 से लेकर आज तक स्वतंत्रता सेनानी रघुवीर चरण शर्मा को सम्मान निधि देती है. लेकिन रघुवीर शर्मा इस सम्मान निधि को खुद पर खर्च नहीं करते. उनका मानना है कि सरकार से जो सम्मान निधि मिलती है, वह सरकार की धरोवर है. इसलिए वे इस निधि को जनहित के कामों में खर्च करते है. उन्होंने अब तक सम्मान निधि से विदिशा जिले में साढ़े सात लाख के कार्य करवाए है. इसके साथ ही शर्मा ने प्रकृतिक आपदा से पीड़ित लोगों की भी सम्मान निधि से मदद की है.

स्वतंत्रता की रघु'वीर' कहानी

1926 में सामान्य परिवार में हुआ था जन्म

विदिशा की शकरी गलियों में रहने वाले कन्हैया लाल शर्मा के घर 1926 में रघुवीर चरण शर्मा का जन्म हुआ था. पिता न्यायालय में रिडर का काम करते थे. रघुवीर बचपन से ही क्रांतिकारी स्वभाव के थे. 1936 में उन्होंने सुन्दर लाल की किताब 'भारत में अंग्रेजी शासन' पड़ी थी. तब उनकी उम्र महज 10 वर्ष थी. रघुविर ने इस किताब को पढ़ने के बाद देश के लिए कुछ कर गुजरने की ठान ली. उन दिनों यह किताब भारत में प्रतिबंधित थी. उस किताब ने ही नन्हे बालक रघुविर स्वतंत्रता के पावन संग्राम में जान न्यौछावर करने की हिम्मत दी. इसके बाद रघुवीर क्रांतिकारी नेताओं के संपर्क में आए और देश को आजाद करवाने वाले अभियानों का हिस्सा बनने लगे.

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1942 में ग्वालियर के गांव-गांव जाकर किया प्रचार

स्वतंत्रता सेनानी रघुवीर चरण शर्मा ने बताया कि मैंने महात्मा गांधी, सुभास चंद्र बोस और पंडित जवाहरलाल नेहरु से मुलाकात की है. सुभास चंद्र बोस से विदिशा रेलवे स्टेशन पर मुलाकात हुई थी. उस समय बोस ने कहा था कि ब्रिटिश गवर्नमेंट द्वितीय विश्व युद्ध (Second World War) में बिजी है. इस वक्त देश की आजादी के लिए लड़ने का सही समय है. इसके बाद 1942 के समय हम लोग गांव-गांव जाकर लोगों को अंग्रेजों को सहयोग न करने के लिए प्रेरित कर रहे थे.

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इस दौरान अंग्रेजी हुकूमत ने मेरे कुछ साथियों के साथ मुझे भी गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तार कर हम सबको ग्वालियर सेंट्रल जेल में बंद कर दिया. जेल में बंद मैं और मेरे साथी कैदियों को खाना देने के दौरान जागरूक कर रहे थे. इसकी भनक लगने पर ब्रिटिश पुलिस ने हमें मुंगावली जेल में भेज दिया. इस जेल में हम 6 महिने रहे, लेकिन कैदियों को जागरूक करने का काम कभी नहीं रुका. हम सबकी मेहनत रंग लाई और देश 1947 में आजाद हो गया.

freedom fighter got tara ptra
स्वतंत्रता सेनानी को मिला ताम्रपत्र

1972 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ताम्रपत्र से नवाजा

स्वतंत्रता सेनानी रघुवीर चरण शर्मा बताते है कि आजादी के बाद घर चलाने के लिए मैंने प्राइवेट नौकरी की. 1972 में तात्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने मेरे सभी साथियों के साथ ताम्रपत्र से सम्मानित किया. इसके बाद हमें सम्मान निधि के रुप में कुछ पैसे भी मिलने लगे. लेकिन मैंने इस पैसों से जनहित के कार्यों को किया. रघुवीर शर्मा बताते है कि विदिशा में शहरी स्तंभ के लिए 3.5 लाख, गलर्स कालेज की केंटीन के लिए 2 लाख, फर्नीचर के लिए 1 लाख, कॉलेज में विवेकानंद की प्रतिमा के लिए 1.11 लाख दिए.

Freedom fighter Raghuveer Charan Sharma got the honor
स्वतंत्रता सेनानी रघुवीर चरण शर्मा को मिला सम्मान

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इसी के साथ रघुवीर चरण शर्मा ने देश की आजादी के दस्तावेज सुरक्षित रहे और वीरों के साहित्य को हम लोगों तक पहुंचा सके इसके लिए हिंदी भवन की स्थापना के लिए 10 लाख रुपए दिए थे. रघुवीर सम्मान निधि में मिलने वाले पैसे सुनामी, लातूर भूकंप, उडीसा सूखा राहत और कारगिल युद्ध में भी दिए है.

स्वतंत्रता सेनानी रघुवीर चरण शर्मा को ताम्रपत्र के साथ कैलाश सत्यार्थी नोबेल पुरस्कार भी मिला है. इसके अलावा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी रघुवीर चरण शर्मा को सम्मानित किया है.

Last Updated :Aug 14, 2021, 10:07 PM IST
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