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जोधइया बाई का नाम पद्मश्री के लिए नामांकित, पेंटिंग्स देश-विदेश में हैं प्रसिद्ध

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Published : Sep 6, 2020, 2:05 AM IST

उमरिया जिले की अतंरराष्ट्रीय ट्राइबल पेंटर जोधइया बाई बैगा का नाम पद्म श्री आवार्ड के लिए नामित किया गया है. बैगा जनजाति से आने वाली 70 साल की जोधइया के नाम पेंटिंग के क्षेत्र में बहुत सारे सम्मान हैं. उनके द्वारा बनाई गई पेंटिंग राज्य स्तर, राष्ट्रीय स्तर और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाले आयोजनों में प्रदर्शित की जाती हैं.

70-year-old Jodhaia Bai nominated for Padma Shri Award  in umaria
70 वर्षीय जोधइया बाई का नाम पद्म श्री अवार्ड के लिए नामांकित

उमरिया। जिले के छोटे गांव से निकलकर पूरे विश्व में अपनी पहचान बनाने वाली जोधइया बाई का नाम पद्म श्री आवार्ड के लिए नामांकित किया गया है. बैगा जनजाति से आने वाली 70 साल की जोधइया बाई एक पेंटर हैं. उनकी ख्याति बैगा जनजाति की ट्रेडीशनल पेटिंग बनाने को लेकर है. उनके द्वारा बनाई गई पेटिंग राज्य स्तर, राष्ट्रीय स्तर तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाले आयोजनों में प्रदर्शित की जाती है.

गुरु ने पहचानी कला

जोधईया बाई का जन्म 1 जनवरी 1950 को लोरहा ग्राम में हुआ था, जो बैगा आदिवासी बाहुल्य ग्राम है. जोधईया बाई ने अपने जीवन में बहुत सी मुश्किलों का सामना किया लेकिन उनके गुरू आशीष स्वामी ने उनकी चित्रकारी को तराशनें का काम किया. जिसके चलते जोधइया की कला का लोहा आज पूरी दुनिया मान रही है. अपनी कला के चलते अब वे नई पीढी के लिए रोल माडल बन चुकी है. इस आयु में भी वे पूरी सक्रियता के साथ सहभागिता निभाती हैं.

कई राष्ट्रीय कार्यक्रमों में लिया भाग

जोधइया बाई साल 2014 में आदिवासी संग्राहलय भोपाल में, वर्ष 2015 में भारत भवन भोपाल में, वर्ष 2020 में एलियांस फ्रांस में पेटिंग्स का प्रदर्शन कर चुकी हैं. वहीं वर्ष 2017 में उन्होंने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्राहलय द्वारा केरल में आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लिया है. इसके अलावा साल 2018 में शांति निकेतन, पश्चिम बंगाल में पेटिंग्स का प्रदर्शन किया, जबकि वर्ष 2020 में आईएमए फाउंडेशन लंदन द्वारा बिहार संग्राहलय पटना में सहभागिता और सम्मान प्राप्त किया है. वहीं प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी साल 2016 में उमरिया में आयोजित विंध्य मैकल उत्सव में जोधइया बाई को सम्मानित कर चुके हैं.

विदेशों में है ख्याति

जोधईया बाई पिछले 10 दस सालों में तैयार की गई पेंटिंग्स के विषय पुरानी भारतीय पंरपरा में देवलोक की परिकल्पना, भगवान शिव और बाघ पर आधारित हैं, जो पर्यावरण और वन्य जीव के महत्व को प्रदर्शित करती हैं. इसके साथ ही बैगा जनजाति की संस्कृति पर अधारित पेंटिंग्स को विदेशों में खूब सराहा गया है. जिससे उनकी ख्याति देश के साथ-साथ विदेशों में भी है. वे भारतीय परंपरागत आर्ट गैलरी के आयोजन में मिलान (इटली) और फ्रांस के पेरिस शहर मे आयोजित आर्ट गैलरी में भाग ले चुकी हैं. इसके साथ ही इंग्लैंड, अमेरिका और जापान देशों में इनके द्वारा बनाई गई बैगा जनजाति की परंपरागत पेटिंग्स की प्रदर्शनी लग चुकी है.

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