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Ujjain Laxmi Mandir गजलक्ष्मी मंदिर में दिवाली पूजा के बाद महिलाओं को मिलता है विशेष प्रसाद, स्कन्द पुराण में भी है मंदिर का वर्णन

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Published : Oct 24, 2022, 6:20 PM IST

Updated : Oct 24, 2022, 6:28 PM IST

ujjain gaj laxmi mandir
उज्जैन गजलक्ष्मी मंदिर

उज्जैन के सराफा बाजार में गजलक्ष्मी के मंदिर में दीपावली पर चार दिनों पर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है. माना जाता है कि गजलक्ष्मी का मंदिर करीब 2 हजार वर्ष पुराना है.जिसका वर्णन स्कन्द पुराण में भी मिलता है. धन तेरस से पड़वा तक मंदिर चौबीस घंटे खुला रहता है. मंदिर में साल भर दान के रूप में आने वाले बिंदी सिंदूर को दीपावली के दूसरे दिन सुहाग पड़वा पर सौभाग्यवती महिलाओं को माता की बिंदी का सिंदूर सौभाग्य स्वरूप वितरित किया जाता है. (vaibhav laxmi pujan vidhi) (laxmi puja muhurt) (diwali 2022) (ujjain laxmi mandir) (diwali laxmi pooja)

उज्जैन। गजलक्ष्मी, लक्ष्मी के आठ रूपों में से एक हैं. उज्जैन के मध्य सराफा बाजार में मां गजलक्ष्मी के मंदिर है जहां चार दिवसीय दीप पर्व पर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. मंदिर के पुजारी सागर शर्मा बताते हैं कि गजलक्ष्मी का मंदिर करीब 2 हजार वर्ष पुराना है. इस मंदिर का वर्णन स्कन्द पुराण में भी मिलता है. गजलक्ष्मी माता राजा विक्रमदित्य की राजलक्ष्मी भी कहलाती थी. हाथी पर सवार लक्ष्मी माता की दुर्लभ प्रतिमा विक्रमादित्य के समय काल की है जो अपने आप में अद्वितीय है. ऐरावत हाथी पर पद्मासन मुद्रा में बैठी हैं. हाथी पर सवार लक्ष्मी माता मान सम्मान वैभव दिलाने वाली होती हैं. शुभ लक्ष्मी के रूप में गज लक्ष्मी को पूजा जाता है. (ujjain laxmi mandir)

गजलक्ष्मी मंदिर में दिवाली पूजा के बाद महिलाओं को मिलता है विशेष प्रसाद

पांच दिन 24 घंटे खुला रहता है मंदिर: धन तेरस से पड़वा तक चार दिन तक दीपावली त्यौहार गजलक्ष्मी मंदिर में मनाया जाता है. दीपावली के पांचों दिन यह मंदिर चौबीस घंटे खुला रहता है और यहां अनुष्ठान होता है. धनतेरस पर सोने-चांदी और अन्य व्यापारी मंदिर में मंत्र और यंत्र बनवाते हैं. पंडित सागर शर्मा ने बताया कि धन तेरस पर राजस्थान गुजरात और मध्य प्रदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु गजलक्ष्मी मंदिर पहुंचते है. यहां वे प्रति वर्ष वितरित होने वाली बरकत को लेने आते हैं. श्रद्धालुओं को बरकत के रूप में एक नारियल ब्लाउज पीस, पीले चावल, सिक्का, कोड़ी और श्री यंत्र मिलता है. मान्यता है कि जो भी भक्त बरकत अपने घर में रखता है उसके घर में हमेशा धन वैभव और सुख समृद्धि बनी रहती है. मंदिर में साल भर दान के रूप में आने वाले बिंदी सिंदूर को दीपावली के दूसरे दिन सुहाग पड़वा पर सौभाग्यवती महिलाओं को माता की बिंदी का सिंदूर सौभाग्य स्वरूप वितरित किया जाता है. (diwali laxmi pooja)

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भगवान विष्णु की दशावतार मूर्ति भी है विराजित : विष्णु भगवान की दशा अवतार की अति प्राचीन मूर्ति भी गज लक्ष्मी मंदिर में विराजित है. जो की दशावतार लिए हुए है, मूर्ति काले पाषाण पर निर्मित अद्भुत दुर्लभ प्रतिमा है जिसमें विष्णु के दस अवतारों का वर्णन है. विष्णु की इस प्रतिमा के बारे में पंडित राजेश शर्मा ने कहा कि मूर्ति करीब 2 हजार वर्ष पुरानी है. विश्व में कहीं भी इस तरह की प्रीतिमा देखने को नहीं मिलती है. इस मंदिर का वर्णन महाभारत काल की कथाओं में भी मिलता है. भक्तों की मान्यता है कि पांडवों को उनका खोया राज्य मां गजलक्ष्मी की कृपा से ही वापस मिला था. (vaibhav laxmi pujan vidhi) (laxmi puja muhurt) (diwali 2022)

Last Updated :Oct 24, 2022, 6:28 PM IST
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