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लॉकडाउन में कई प्राइवेट टीचर हो गए बेरोजगार, बंद होने की कगार पर निजी स्कूल

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Published : Jul 23, 2020, 10:41 PM IST

वैश्विक महामारी कोरोना ने हर वर्ग को प्रभावित किया है. कोरोना कहर के बाद किए गए लॉकडाउन से प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षक बेरोजगार हो गए हैं. कई स्कूल भी बंद होने की कगार पर हैं. पढ़िए पूरी खबर...

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लॉकडाउन में कई प्राइवेट टीचर हो गए बेरोजगार

शहडोल। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस ने हर वर्ग और व्यापार को प्रभावित किया है. कोरोना वायरस के बाद किए गए लॉकडाउन से मध्यप्रदेश के सभी स्कूल कॉलेज बंद हैं. ऐसे में प्राइवेट स्कूल संचालकों और शिक्षकों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. तीन महीने से ज्यादा का वक्त बीत जाने के बाद भी स्कूल बंद हैं. ऐसे में अभिभावकों द्वारा फीस नहीं दिए जाने से स्कूल संचालक बेहद परेशान है और उनके सामने भूखे मरने की नौबत आ चुकी है.

लॉकडाउन में कई प्राइवेट टीचर हो गए बेरोजगार

लॉकडाउन के दौरान जमा पूंजी खत्म होने के बाद अब शिक्षकों कों घर चलाना मुश्किल हो रहा है. इस लॉकडाउन के दौरान कई शिक्षकों की नौकरी चली गई तो कईयों को पिछले तीन महीने से सैलरी नहीं मिली. ईटीवी भारत ने जब शहडोल की ग्राउंड रिपोर्ट की तो प्राइवेट शिक्षकों ने अपना दर्द बताया.

लॉकडाउन के दौरान चली गई नौकरी

उमाकांत दुबे पिछले 16 साल से प्राइवेट स्कूल में पढ़ा रहे थे. पहले एक गांव के प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने वाले उमाकांत ने एक साल पहले ही जिला मुख्यालय के एक स्कूल में पढ़ाना शुरू किया था, लेकिन उन्हें क्या पता था कि उनका यह फैसला इस कोरोना काल में उन पर ही भारी पड़ जाएगा. आलम यह है कि उमाकांत दुबे को अब उस स्कूल से हटा दिया गया है. अप्रैल में उन्हें बुलाकर यह कह दिया गया है कि अब आप लोग स्कूल ना पहुंचे.

परिवार का भरण पोषण करने की चुनौती

उमाकांत दुबे स्कूल में मिलने वाली सैलरी से अपना और अपने परिवार का पेट पालते थे, उनका नाम गरीबी रेखा में भी नहीं है. अब आलम यह है कि ना तो उनके पास कमाई का कोई साधन है, ना ही कोई आय का साधन है और उनके पीछे 5 लोगों का पेट है, ऐसे में उनके सामने परिवार के लिए रोटी जुटाने की चिंता है.

बंद होने की कगार पर प्राइवेट स्कूल

सरकार ने भले ही शैक्षणिक फीस मामले में स्कूलों के पक्ष में आदेश जारी किए हों, लेकिन अभिभावकों द्वारा बच्चों की फीस नहीं दी गई है. लिहाजा स्कूल संचालकों के सामने बिल्डिंग, बिजली, पानी का किराया देने की परेशानी खड़ी हो गई है, जबकि स्कूल के कर्मचारियों की भी सैलरी अटकी हुई है. स्कूल संचलाकों की मानें तो अगर जल्द ही कोई हल नहीं निकाला जाता तो स्कूल को बंद करना पड़ेगा.

कई शिक्षक हो चुके हैं बेरोजगार

कोरोना काल में अधिकतर शिक्षक बेरोजगार हो चुके हैं. लिहाजा पेट पालने और घर चलाने के लिए कई शिक्षकों ने सब्जी तक बेचना शुरु कर दिया है. प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन स्कूल संघ के अध्यक्ष ने सरकार से राहत की मांग की है.

पूरे प्रदेश का यही हाल

चीन के वुहान शहर से शुरु हुए कोरोना वायरस ने दुनिया भर में तबाही मचा रखी है. एमपी में तो कोरोना से लोग बेहाल हो चुके हैं. खासकर प्राइवेट सेक्टर में काम करने वालों को ज्यादा परेशानी हुई है. इसके उदाहरण सिर्फ शहडोल के प्राइवेट शिक्षक नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में यही हाल हैं.

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