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फसल और खेत के लिए अमृत से कम नहीं जीवामृत, जानें प्रयोग विधि और बनाने का तरीका

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Published : Mar 11, 2022, 10:45 AM IST

प्राकृतिक खेती करना चाह रहे हैं, तो जीवामृत आप की खेती और फसल के लिए किसी अमृत से कम नहीं है. इसे आप आसान तरीके से बना भी सकते हैं. आपके घर में ही यह चीजें आसानी से उपलब्ध हैं, बस जरूरत है इसे एक सीरियल क्रम में तैयार करने की. (natural farming in shahdol)

jeevamrut
जीवामृत

शहडोल। बदलते वक्त के साथ-साथ अब लोगों की सोच भी बदल रही है. एक दौर आया जब लोगों ने काफी तादाद में खेती में रासायनिक खाद का इस्तेमाल किया. फिर चाहे फसलों की ग्रोथ के लिए रासायनिक खाद का इस्तेमाल हो या फिर कीट व्याधि से फसलों को सुरक्षित करने के लिए कीटनाशकों का प्रयोग हो. धीरे-धीरे अब इसके नुकसान को समझने के बाद एक बार फिर से लोग जैविक खेती, प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ रहे हैं. ऐसे में अगर आप प्राकृतिक खेती करना चाह रहे हैं, तो जीवामृत आप की खेती और फसल के लिए किसी अमृत से कम नहीं है. इसे आप आसान तरीके से बना भी सकते हैं. आपके घर में ही यह चीजें आसानी से उपलब्ध हैं, बस जरूरत है इसे एक सीरियल क्रम में तैयार करने की. देखिये ये रिपोर्ट, कैसे जीवामृत को तैयार किया जाता है. (natural farming in shahdol)

फायदेमंद है जीवामृत

जीवामृत के फायदे
कृषि वैज्ञानिक बृजकिशोर प्रजापति बताते हैं कि मुख्य रूप से इस के चार स्तंभ दिए हुए हैं. ये क्रमशः वीजामृत, जीवामृत, भूमि का आच्छादन और वाष्पा हैं. जीरो बजट की नेचुरल फार्मिंग के लिए ये मुख्य माने जाते हैं. जीवामृत का मुख्य उद्देश्य भूमि की उपज को बढ़ाना होता है. इससे भूमि में मौजूद अलग-अलग तरह को पोषक तत्व आ जाते हैं. (benefits of Jeevamrut)

कैसे काम करता है जीवामृत
कृषि वैज्ञानिक ने कहा कि जीवामृत से मिट्टी में सूक्ष्म पोषक तत्व की भरमार हो जाती है. इससे जीवाणु, बैक्टीरिया, वायरस, केंचुआ, राइजोबियम बैक्टीरिया की संख्या बढ़ने लगती है. इसके साथ ही भूमि में कार्बन की संख्या भी बढ़ती है, जिससे भूमि की संरचना में सुधार होता है. ऐसे में फसल की उपज अच्छी हो जाती है. वहीं कीटनाशक का इस्तेमाल करने से भूमि का नुकसान होता है. (work of Jeevamrut)

ऐसे तैयार करें जीवामृत
जीवामृत बनाने के लिए हमें मुख्य रूप से 200 लीटर पानी की आवश्यकता होती है. फिर इसमें 10 किलो देसी गाय का गोबर, 10 लीटर गौमूत्र 1 किलोग्राम गुड़, 1 किलोग्राम बेसन, 200 ग्राम चूना और 50 ग्राम उपजाऊ मिट्टी (किसी भी खेत की मिट्टी या पीपल और बरगद के पेड़ के नीचे की मिट्टी) डाल दें. अब इस मिश्रण को 48 घंटे तक हिलाकर किसी प्लास्टिक के बड़े ड्रम या फिर मटके में रख दें. 48 घंटे बाद जीवामृत बनकर तैयार. (how to make Jeevamrut)

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कैसे करें जीवामृत का प्रयोग
जीवामृत तैयार होने के बाद सिंचाई के साथ या फिर ड्रिप इरीगेशन से इसका प्रयोग कर सकते हैं. 200 लीटर प्रति एकड़ की दर से अगर हम छिड़काव करते हैं, तो वह काफी फायदेमंद होता है. इससे हमारी फसल अच्छी होगी और भूमि की भी उपज बढ़ेगी. (use of Jeevamrut)

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