सिवनी। मध्यप्रदेश के सिवनी जिले के आदेगांव को छोटी काशी के रूप में जाना जाता है. यहां भैरव अष्टमी पर मेला लगता है. आदेगांव में स्थित गोंड राजाओं के किले में 18 वीं सदी में करपात्री महाराज ने काल भैरव महाराज की मूर्ति की स्थापना की थी. बताया जाता है कि पूरे देश में काल भैरव की खड़ी रूप में विराजित एकमात्र प्रतिमा यहीं है. इसी किले में भैरव अष्टमी के दिन बहुत बड़ा मेला भी लगता है. जिसमें देशभर के लोग यहां पर दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं.
क्यों कहते हैं इसे मिनी काशी : गोंड राजाओं के किले में किले में विराजमान कालभैरव, नागभैरव व बटुकभैरव का पूजन सदियों से होता आ रहा है. लोग इसे छोटी काशी के नाम से भी जानते हैं. स्थानीय नागरिक राजुल नेमा बताते हैं कि बनारस (काशी) की तरह यहां पर भगवान कालभैरव की प्रतिमा है लेकिन खड़े स्वरूप में प्राचीन प्रतिमा स्थापित सिर्फ़ यहीं है. किले के पिछले हिस्से में तालाब के नजदीक श्यामलता का विशाल वृक्ष है. कहा जाता है कि दुर्लभ श्यामलता के वृक्ष की पत्तियों में श्रीराधा कृष्ण का नाम लिखा दिखाई देता है.
![MP news mini Kashi in Adegaon of Seoni district](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/11-01-2024/mp-chh-01-small-kashi-7204291-sdmp4_10012024231103_1001f_1704908463_708.jpg)
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तीन भैरव बाबा का संगम : वृक्ष कब और किसने लगाया, यह आज भी लोगों के लिए रहस्य है. जानकारों के अनुसार उक्त वृक्ष का महत्व इसलिए और अधिक माना जाता है कि श्यामलता के साथ चम्पू का वृक्ष भी साथ है. शास्त्रों के अनुसार श्यामलता में भगवान श्री कृष्ण व चम्पू के वृक्ष में राधारानी का वास होता है. इन दोनों वृक्षों का संगम देश में विरले ही स्थानों पर देखा गया है. ये स्थान तीन भैरवनाथ का संगम आस्था का केंद्र है. ग्रामीण बताते हैं कि इस मंदिर में एक साथ तीन भैरव बाबा का संगम है. बटुक भैरवनाथ, काल भैरवनाथ और नाग भैरवनाथ यानी दूधिया भैरवनाथ भी कहा जाता है. तीनों एक साथ देश में कहीं भी विराजित नहीं हैं. इसलिए ये स्थान आस्था का केंद्र है.