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Mahashivpuran Kubereshwar Dham पंडित प्रदीप मिश्रा के प्रवचन- छप्पर फाड़कर धन-संपत्ति देते हैं हमारे भोलेनाथ

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Published : Feb 20, 2023, 4:09 PM IST

Speech of Pandit Pradeep Mishra
पंडित प्रदीप मिश्रा के कुबेरेश्वर धाम में महाशिवपुराण

सीहोर स्थित पंडित प्रदीप मिश्रा के कुबेरेश्वर धाम में महाशिवपुराण सुनकर भक्त शिवमय हो रहे हैं. इस मौके पर पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि किसी भी कर्म का अहंकार नहीं पालें. भगवान भोलेनाथ की पूजा आपको छप्पर फाड़कर धन संपत्ति देगी. भगवान शिव का व्रत रखकर हम मनोवांछित फल पा सकते हैं.

सीहोर। सभी देवता देते भैया पल्ला झाड़ कर, मेरे भोले बाबा देते छप्पर फाड़कर. भगवान महादेव पर विश्वास और आस्था होना चाहिए, तभी सत्य के मार्ग पर आप अग्रसर हो सकते हैं. अपने कर्म के प्रति जिस दिन तुम जागरूक हो जाओगे, उस दिन तुम्हें तुम्हारे लक्ष्य की प्राप्ति निश्चित है. कर्म का फल जरूर मिलता है. शिवपुराण में भी लिखा है कि स्वयं कर्म करोगे तो दुख घटना शुरू हो जाएगा. कर्म की लिस्ट हम स्वयं तैयार करते हैं. उक्त विचार जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वरधाम पर जारी सात दिवसीय शिव महापुराण के तीसरे दिन पंडित प्रदीप मिश्रा ने कही.

निष्ठा व सत्य के साथ कर्म करो : उन्होंने कहा कि जिस कार्य को आप पूरी निष्ठा और सत्य के साथ करेंगे, उसमें आपको सफलता मिलेगी. कथा के अंत में भगवान शिव और माता पार्वती के मंगल विवाह की झांकी सजाई गई. सुबह से देर रात्रि तक जारी भोजनशाला में 10 टन से अधिक फलहारी प्रसादी का वितरण लाखों श्रद्धालुओं को किया गया. कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में लगभग 5 लाख श्रद्धालुओं को फलहार की प्रसादी वितरित किया गया. इसके अलावा यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं महादेव का जलाभिषेक के साथ-साथ पूजा-अर्चना कर रहे हैं. सुबह से ही श्रद्धालु देवादिदेव महादेव को बेलपत्र, शमी पत्र, अकाओं, धतुरा, बेर अर्पित कर रहे हैं. पंडित श्री मिश्रा ने कहा कि हमारे द्वारा किए गए अच्छे कर्मों के बाद यदि मन मे अहंकार का भाव आ गया तो उसका पुण्य लाभ हमें नहीं मिलत. यदि हम भगवान शिव का व्रत रखकर अभिमान करते हैं तो उस व्रत का वांछित फल हमें नहीं मिलता.

भिक्षुवर्य अवतार कथा का वर्णन : शिवमहापुराण के दौरान पंडित श्री मिश्रा द्वारा भगवान शंकर के 14 वें अवतार के बारे में वर्णन किया गया. यह कथा विदर्भ नरेश सत्यरथ, उनकी पत्नी और उनके पुत्र के बारे में है. महाभारत के बाद सभी देवता अपने-अपने धाम चले गए. पृथ्वी लोक पर कलयुग का प्रारंभ हो चुका था. कलयुग के प्रारंभ होने के बाद देवता बस विग्रह रूप में ही रह गए. अब कलयुग होने की वजह से धर्म और अधर्म के मध्य ज्यादा भेद नहीं था. अब सारे लोग धन संपत्ति के लालच में एक दूसरे के राज्य पर हमले कर रहे थे और उनकी संपत्ति छीन रहे थे. विदर्भ के राजा सत्यरथ के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. शत्रु राज्य ने उनके राज्य पर हमला कर दिया और राजा सत्यरथ को मार डाला. उसकी गर्भवती पत्नी ने शत्रुओं से छिपकर अपने प्राण बचाए. इस कथा का विस्तार से वर्णन किया.

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पेट भरने की जिम्मेदारी भगवान की : पंडित श्री मिश्रा ने कहा कि व्यक्ति का पेट भरने की जिम्मेदारी परमात्मा की होती है, लेकिन पेटी भरने की जिम्मेदारी परमात्मा की नहीं होती. भगवान ने पेट देकर भेजा है. इसलिए उसे भरना उसकी जिम्मेदारी है. परिवार दिया है. इसलिए उसका पालन पोषण करना भी उसकी जिम्मेदारी है. रिश्ते नाते दिए हैं तो उनका निर्वहन करना भी उसकी जिम्मेदारी है. भगवान ने पेटी नहीं दी थी तो उसे भरना भगवान की जिम्मेदारी नहीं है. व्यक्ति जब पेटी को भरने के चक्कर में लगता है तो वह पेट को भूल जाता है और पेटी को भरते-भरते शरीर व्यर्थ हो जाता है. पूरे साल श्रद्धालुओं को कुबेरेश्वरधाम सेअब रुद्राक्ष का वितरण पूरे साल जो कुबेरेश्वर धाम आते हैं, उन्हें दिया जाए. जो भक्त नहीं आ सकते, वे साल में कभी भी आकर यहां से रुद्राक्ष ले सकते हैं. लोग समझ रहे हैं यह रुद्राक्ष की भीड़ है, यह तो बाबा के भक्तों की भीड़ है.

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